कुम्हारी/ आईसीएफएआई विश्वविद्यालय कुम्हारी रायपुर ने शनिवार को रायपुर के होटल बेबीलोन कैपिटल में अपना दूसरा दीक्षांत समारोह मनाया। छत्तीसगढ़ के माननीय राज्यपाल श्री रमेश डेका कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।कार्यक्रम में कुलपति प्रो. डॉ. आर.पी. कौशिक, पूर्व भारतीय राजदूत तुर्कमेनिस्तान, कुलपति प्रो. डॉ. सत्य प्रकाश दुबे, डीन अकादमिक्स डॉ. के. […]Read More
ओशो- …. ...”कहीं एक मंदिर बन रहा था। तीन श्रमिक वहां धूप में बैठकर पत्थर तोड़ रहे थे। एक राहगीर वहां से गुजर रहा था। बारी-बारी से उसने श्रमिकों से पूछा :’क्या कर रहे हो?’ एक से पूछा। वह बोला :’पत्थर तोड़ रहा हूँ।’ उसके कहने में बड़ी पीड़ा थी और स्वर भी भारी था। […]Read More
ओशो- ईशावास्य उपनिषद की आधारभूत घोषणा : सब कुछ परमात्मा का है। इसीलिए ईशावास्य नाम है — ईश्वर का है सब कुछ। मन करता है मानने का कि हमारा है। पूरे जीवन इसी भ्रांति में हम जीते हैं। कुछ हमारा है — मालकियत, स्वामित्व — मेरा है। ईश्वर का है सब कुछ, तो फिर मेरे […]Read More
ब्राह्मण होना उपलब्धि है. जन्म से कोई ब्राह्मण नहीं होता
पहला प्रश्न भगवान,सत्यं परं परं सत्य। सत्येन न स्वर्गाल्लोकाच च्यवन्ते कदाचन। सतां हि सत्य। तस्मात्सत्ये रमन्ते। अर्थात सत्य परम है, सर्वोत्कृष्ट है, और जो परम है वह सत्य है। जो सत्य का आश्रय लेते हैं वे स्वर्ग से, आत्मोकर्ष की स्थिति से च्युत नहीं होते। सत्पुरुषों का स्वरूप ही सत्य है। इसलिए वे सदा सत्य […]Read More
कैसे अनुभव करेंगे कि जो हो रहा है वह मन का है ? ओशो- अगर मन शांत हो, तो एक बुनियादी खयाल रखना जब मन शांत हो–जब मन ही शांत हो और भीतर के तल पर शांति न पहुंची हो–तो शांत होते ही एक वासना पैदा हो जाएगी कि यह शांति बनी रहे,मिट न जाए। […]Read More
दुर्ग/ आयुक्त आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास नवा रायपुर द्वारा दिए निर्देश के पालन में अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों की पारंपरिक लोक कला यथा लोकगीत/लोकगायन नृत्य जैसे- पंथी नृत्य, पांडवानी, भरथरी तथा अनुसूचित जाति वर्ग के पारंपरिक लोक वाद्य आदि में कलाकारों की प्रतिभा की पहचान करने एवं उन्हें पुरस्कृत कर प्रोत्साहित करने […]Read More
अमेरिका के मनोवैज्ञानिकों ने हिसाब लगाया है कि न्यूयार्क जैसे
ओशो- पिछले पहले महायुद्ध में तीन करोड़ लोगों की हमने हत्या की थी। और उसके बाद–शांति और प्रेम की बातें करने के बाद दूसरे महायुद्ध में हमने साढ़े सात करोड़ लोगों की हत्या की। और उसके बाद भी चिल्ला रहे हैं बट्रेंड रसेल से लेकर विनोबा तक सारे लोग कि शांति चाहिए, शांति चाहिए, और […]Read More
ओशो- धर्म अनुभव की बात कभी नहीं करता है, सिर्फ विधि की बात करता है। वह बताता है कि यह कैसे होगा, लेकिन यह नहीं बताता कि क्या। क्या को तुम पर छोड़ दिया जाता है।’ बुद्ध निरंतर चालीस वर्षों तक कहते रहे कि मुझसे सत्य, ईश्वर, मोक्ष और निर्वाण के संबंध में प्रश्न मत […]Read More
ओशो- ओम् को चुनने के दो कारण हैं। एक तो, एक ऐसे शब्द की तलाश थी जिसका अर्थ न हो, जिसका तुम अर्थ न लगा पाओ; क्योंकि अगर तुम अर्थ लगा लो तो वह पांचवें के इस तरफ का हो जाएगा। एक ऐसा शब्द चाहिए था जो एक अर्थ में मीनिंगलेस हो। हमारे सब शब्द […]Read More
पद किसी को भ्रष्ट नहीं करते, भ्रष्टों को आमंत्रित करते
ओशो- जब भी दो व्यक्ति पास मौन में बैठे हों, जानना गहन प्रेम हैं। या, जब भी दो व्यक्ति प्रेम में हों, तब तुम जानोगे कि गहन मौन में हैं। प्रेमी चुप हो जाते हैं। और अगर तुम चुप होने की कला सीख जाओ, तो तुम प्रेमी हो जाओगे। फिर तुम जिसके पास भी चुप […]Read More