ओशो- आधुनिक मनोविज्ञान और वैज्ञानिक शोध कहती है कि दोनों भौंहों के मध्य में एक ग्रंथि है जो शरीर का सबसे रहस्यमय अंग है। यह ग्रंथि, जिसे पाइनियल ग्रंथि कहते है। यही तिब्बतियों का तृतीय नेत्र है—शिवनेत्र : शिव का, तंत्र का नेत्र। दोनों आंखों के बीच एक तीसरी आँख का अस्तित्व है, लेकिन साधारणत: […]Read More
ओशो– शिव जैसा ध्यानी नहीं है। ध्यानी हो तो शिव जैसा हो। क्या अर्थ है? ध्यान का अर्थ होता है : न विचार, वासना, न स्मृति, न कल्पना। ध्यान का अर्थ होता हैः भीतर सिर्फ होना मात्र। इसीलिए शिव को मृत्यु का, विध्वंस का, विनाश का देवता कहा है। क्योंकि ध्यान विध्वंस है–विध्वंस है मन […]Read More
ओशो- मैंने सुना है, एक पुरानी कहानी कि जार के जमाने में,रूस में, साइबेरिया में तीन कैदी बंद थे। और तीनों में सदा विवाद हुआ करता था कि कौन बड़ा अपराधी है। और तीनों में सदा विवाद हुआ करता था कि कौन ज्यादा दिन से जेल भोग रहा है। जेल में अक्सर यह होता है। […]Read More
ओशो- जब भी कोई सत्य के लिए प्यासा होता है, अनायास ही वह भारत में उत्सुक हो उठता है। अचानक पूरब की यात्रा पर निकल पड़ता है। और यह केवल आज की ही बात नहीं है। यह उतनी ही प्राचीन बात है, जितने पुराने प्रमाण और उल्लेख मौजूद हैं। आज से 2500 वर्ष पूर्व, सत्य […]Read More
ओशो- गुरजिएफ अपने संस्मरणों में लिखता है, मैं जिंदगी में कोई बुरा काम नहीं कर पाया। मेरे बाप ने मुझे धोखा दे दिया। उसने कहा, चौबीस घंटे बाद कर लेना। लेकिन चौबीस घंटा तो बहुत वक्त है, चौबीस सेकेंड भी कोई बुरा काम करते वक्त रुक जाए, तो नहीं कर सकता। चौबीस सेकेंड भी! क्योंकि […]Read More
ओशो- मैं तुम्हें एक जीवन के गहरे कानूनों में से एक बताता हूं। तुमने इसके बारे में बिल्कुल नहीं सोचा होगा। तुमने सुना होगा कि – पूरा विज्ञान इस पर निर्भर करता है–– कि कारण और परिणाम आधारभूत नियम है। तुम कारण निर्मित करो और परिणाम अनुसरण करता है। जीवन एक कारण-कार्य कड़ी है। तुमने […]Read More
ध्यान धीरे-धीरे तुम्हारे सारे जीवन पर फैल जाना चाहिए इसलिए
प्रश्न : मैं ध्यान करना चाहता हूँ, लेकिन मैं हर समय व्यस्त रहता हूँ। मैं नहीं जानता कि कैसे ध्यान किया जाये या इसे करने के लिये कब समय निकाला जाये… ??? ओशो: दुनिया भर में ध्यान के सारे शिक्षक तुम्हें कहते रहे हैं कि तुम्हें ध्यान के लिये अलग से समय निकालना है। लेकिन […]Read More
डोंगरगढ़/ डोंगरगढ़ में पहाड़ी पर विराजित विश्व प्रसिद्ध मां बम्लेश्वरी मंदिर में डेढ़ क्विंटल वजनी चांदी का दरवाजा लगेगा। नवरात्र पर्व 2024 के पहले पुराने दरवाजे को निकालकर नया दरवाजा लगाया जाएगा। जानकारी के मुताबिक इसकी लागत लगभग डेढ़ करोड़ रुपये होगी। दरवाजे पर लगाए जाने वाली चांदी की चादर की मोटाई 22 गेज की […]Read More
ओशो- मैने सुना है कि एक वेश्या और संन्यासी आमने-सामने रहते थे। एक ही दिन मरे। देव-दूत इकट्ठे हुए और संन्यासी को नरक ले जाने लगे और वेश्या को स्वर्ग। फिर किसी को संदेह पैदा हुआ, क्योंकि संन्यासी चिल्लाया, ‘यह क्या कर रहे हो? कुछ गलती हो गयी! मुझे स्वर्ग ले जाओ, मैं संन्यासी हूँ […]Read More
ओशो- मैं भर्तृहरि के जीवन में एक उल्लेख पढ़ता था। भर्तृहरि सम्राट हुए। सम्राट होते ही इन्होंने अपने वजीरों को बुलाया और एक बड़ी अनूठी आज्ञा दी। आज्ञा यह थी कि जितने भी सुख संभव हो संसार में, मैं सब भोगना चाहता हूं। वजीरों ने सोचा: खूब भोगी–सम्राट हो गया है। पहले दिन ही सिंहासन […]Read More