ओशो- कोई इच्छाओ को दबाये बिना उन्हे कैसे काट सकता है? इच्छाएं सपने हैं, वे वास्तविकताएं नहीं हैं। तुम उन्हें परिपूर्ण नहीं कर सकते और तुम उन्हें दबा नहीं सकते, क्योंकि तुम्हारे किसी निश्रित चीज को परिपूर्ण करने के लिए उसके वास्तविक होने की जरूरत होती है। तुम्हारे किसी निशित चीज को दबाने के लिए […]Read More
ओशो- मैंने सुना है, एक अंधा और एक लंगड़ा दो मित्र थे—दोनों भिखारी। और दोनों की मित्रता एकदम जरूरी भी थी, क्योंकि एक अंधा था और एक लंगड़ा था। लंगड़ा चल नहीं सकता था, अंधा देख नहीं सकता था। तो अंधा चलता था और लंगड़ा देखता था। लंगड़ा अंधे के कंधों पर बैठ जाता, दोनों […]Read More
ओशो- अर्जुन का मन हो कितना ही जटिल, कितनी ही हों द्वंद्व की पर्तें भीतर, पर अर्जुन सरल व्यक्तित्व है। जटिलता है बहुत, लेकिन अपनी जटिलता के प्रति किसी धोखे में अर्जुन नहीं है। और अपनी जटिलता को भी प्रकट करने में स्पष्ट और ईमानदार है। शायद यही उसकी योग्यता है कि कृष्ण का संदेश […]Read More
ओशो- सुना है मैंने कि चीन में एक बहुत बड़ा धनुर्धर हुआ। उसने जाकर सम्राट को कहा कि अब मुझे जीतने वाला कोई भी नहीं है। तो मैं घोषणा करना चाहता हूं राज्य में कि कोई प्रतियोगिता करता हो, तो मैं तैयार हूं। और अगर कोई प्रतियोगी न निकले–या कोई प्रतियोगी निकले, तो मैं स्पर्धा […]Read More
ओशो- अखबार उठा कर देखें, तो दो कौड़ी का आदमी किसी पद पर हो जाए, तो अखबार के लिए भगवान हो जाता है। वही आदमी कल अखबार से, दुनिया..पद से नीचे उतर जाए, फिर उसका पता लगाना मुश्किल है कि वह कहां है। कोई पता नहीं चलेगा। बस सत्ता का हमारे मन में इतना आदर […]Read More
प्रश्न. मैंने सैंकड़ों सबंध बनाये, शारीरिक और मानसिक दोनों, लेकिन आखिर में बढ़ती हुई अतृप्ति के सिवाय कुछ भी हाथ नहीं आया। मैं कुछ पकड़ नहीं पाती, सब हाथ से फिसल-फिसल जाता है और मैं बेबस और भयभीत खड़ी देखती रहती हूं; ऐसा क्यों है ?- ओशो- तुम्हारा कुछ कसूर नहीं। इस जगत के सारे […]Read More
ओशो- कुतूहल व्यर्थ है, बचकाना है। यह बहुत सोचने जैसी बात है। जितनी छोटी उम्र, उतना कुतूहल होता है–यह कैसा है, वह कैसा है? यह क्यों हुआ, यह क्यों नहीं हुआ? जितना छोटा मन, जितनी कम बुद्धि, उतना कुतूहल होता है।इसलिए एक और बड़े मजे की बात है कि जिस तरह बच्चे कुतूहल से भरे […]Read More
भिलाई / भिलाई नगर विधायक देवेंद्र यादव ने प्रगति यात्रा के दूसरे दिन रविवार को सेक्टर 7 में लोगों के साथ 15 किलोमीटर की पदयात्रा की। इस दौरान 85 लाख के कार्यों का भूमिपूजन और लोकार्पण किया। विधायक ने महाराणा प्रताप भवन के पास चाय होटल में लोगों के साथ बैठकर चाय पी और लोगों […]Read More
ओशो- मुहूर्त का अर्थ होता है : दो क्षणों के बीच का अंतराल। मुहूर्त कोई समय की धारा का अंग नहीं है। समय का एक क्षण गया, दूसरा क्षण आ रहा है, इन दोनों के बीच में जो बड़ी पतली संकरी राह है—मुहूर्त।शब्द फिर विकृत हुआ। अब तो लोग कहते हैं, उसका उपयोग ही तभी […]Read More