सम्भोग से समाधि की ओर (जीवन ऊर्जा रूपांतरण का विज्ञान) ओशो- स्त्रियों को हम कहते हैं, पति को परमात्मा समझना! और उन स्त्रियों को बचपन से सिखाया गया है कि सेक्स पाप है, नरक है। वे कल विवाहित होंगी। वे उस पति को कैसे परमात्मा मान सकेंगी जो उन्हें सेक्स में और नरक में ले […]Read More
सम्भोग से समाधि की ओर (जीवन ऊर्जा रूपांतरण का विज्ञान) ओशो- नीत्शे ने एक वचन कहा है, जो बहुत अर्थपूर्ण है। उसने कहा है कि धर्मों ने जहर खिला कर सेक्स को मार डालने की कोशिश की थी। सेक्स मरा तो नहीं, सिर्फ जहरीला होकर जिंदा है। मर भी जाता तो ठीक था। वह मरा […]Read More
भिलाई/ गुरु घासीदास कला एवं साहित्य विकास समिति के द्वारा गनियारी लोक कला महोत्सव का आयोजन 17 एवं 18 फरवरी को किया जाएगा। आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं नगर निगम भिलाई चरोदा के महापौर निर्मल कोसरे ने बताया कि यह महोत्सव विगत 14 वर्षों से आयोजित किया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण अंचल […]Read More
सम्भोग से समाधि की ओर (जीवन ऊर्जा रूपांतरण का विज्ञान) ओशो- मनुष्य की जाति को अगर हम नया द्वार न दे सकें तो मनुष्य एक रिपिटीटिव सर्किल में, एक पुनरुक्ति वाले चक्कर में घूमता है और नष्ट होता है। लेकिन आज तक सेक्स के संबंध में जो भी धारणाएं रही हैं, वे मनुष्य को सेक्स […]Read More
सम्भोग से समाधि की ओर (जीवन ऊर्जा रूपांतरण का विज्ञान) ओशो- क्या हम अपने भीतर परमात्मा को उघाड़ पाने में सफल हो सकते हैं? क्या हम वह प्रतिमा बनेंगे जहां परमात्मा की झलक मिले? यह कैसे हो सकता है–इस प्रश्न के साथ ही आज की दूसरी चर्चा मैं शुरू करना चाहता हूं। यह कैसे हो […]Read More
(सम्भोग से समाधि की ओर जीवन ऊर्जा रूपांतरण का विज्ञान) ओशो- एक छोटी सी कहानी से मैं अपनी बात शुरू करना चाहूंगा। बहुत वर्ष बीते, बहुत सदियां, किसी देश में एक बड़ा चित्रकार था। वह जब अपनी युवा अवस्था में था, उसने सोचा कि मैं एक ऐसा चित्र बनाऊं, जिसमें भगवान का आनंद झलकता हो। […]Read More
सम्भोग से समाधि की ओर जीवन ऊर्जा रूपांतरण का विज्ञान ओशो- एक मित्र ने मुझे लिखा कि आपने ऐसी बातें कहीं, कि मां के साथ बेटी बैठी थी, वह सुन रही है! बाप के साथ बेटी बैठी है, वह सुन रही है! ऐसी बातें सबके सामने नहीं करनी चाहिए। मैंने उनसे कहा, आप बिलकुल पागल […]Read More
सम्भोग से समाधि की ओर (जीवन ऊर्जा रूपांतरण का विज्ञान) ओशो- बर्ट्रेंड रसेल ने लिखा है कि जब मैं छोटा बच्चा था, विक्टोरियन जमाना था, स्त्रियों के पैर भी दिखाई नहीं पड़ते थे। वे कपड़े पहनती थीं, जो जमीन पर घिसटता था और पैर नहीं दिखाई पड़ता था। अगर कभी किसी स्त्री का अंगूठा दिख […]Read More
सम्भोग से समाधि की ओर (जीवन ऊर्जा रूपांतरण का विज्ञान) ओशो- एक आदमी बीमार था और बीमारी कुछ उसे ऐसी थी कि दिन-रात उसे भूख लगती थी। सच तो यह है, उसे बीमारी कुछ भी न थी। भोजन के संबंध में उसने कुछ विरोध की किताबें पढ़ ली थीं। उसने पढ़ लिया था कि भोजन […]Read More
सम्भोग से समाधि की ओर (जीवन ऊर्जा रूपांतरण का विज्ञान) ओशो- पहली बात तो यह कि मनुष्य के प्राणों में सेक्स का जो आकर्षण है, वह वस्तुतः सेक्स का आकर्षण नहीं है। मनुष्य के प्राणों में जो कामवासना है, वह वस्तुतः काम की वासना नहीं है। इसलिए हर आदमी काम के कृत्य के बाद पछताता […]Read More