ओशो- हजारों-लाखों पक्षी हर साल यात्रा करते हैं हजारों मील की। सर्दियां आने वाली हैं, बर्फ पड़ेगी, तो बर्फ के इलाके से पक्षी उड़ना शुरू हो जाएंगे। हजारों मील दूर किसी दूसरी जगह वे पड़ाव डालेंगे। वहां तक पहुंचने में अभी उन्हें दो महीने लगेंगे, महीना भर लगेगा। अभी बर्फ गिरनी शुरू नहीं हुई, महीने […]Read More
ओशो– उन्नीस सौ चौबीस में एक घटना घटी। उन्नीस सौ चौबीस में जर्मनी में अणुविज्ञान के संबंध में शोध का पहला संस्थान निर्मित हुआ। अचानक एक दिन सुबह एक आदमी, जिसने अपना नाम फल्कानेली बताया, एक कागज में लिखकर कुछ दे गया। उस कागज में एक छोटी—सी सूचना थी कि मुझे कुछ बातें ज्ञात हैं, […]Read More
ओशो– वेदांत परम दृष्टि है, क्योंकि वह शून्य में पूर्ण को उतार लेती है। ध्यान का शास्त्र है, न कुछ देखने को है, न कोई देखनेवाला है। न दृश्य है, न दर्शन है। फिर विचार कहां उठता है? फिर विचार खो जाता है।लेकिन विचार का खो जाना पर्याप्त नहीं है। यही भक्तों में और ध्यानियों […]Read More
ओशो– ऐसा हुआ, मगीध नाम का एक यहूदी फकीर जंगल में भटक गया–कहानी है। कहानी बड़ी मीठी है। शैतान ने उसे भटका दिया। क्योंकि मगीध से शैतान बड़ा परेशान था। यह उसकी सुनता ही नहीं था। और हजार उपाय करता था, सब असफल हो जाते थे। तो मगीध और उसके एक शिष्य जो जंगल से […]Read More
ओशो– बड़ी पुरानी कहानी है। महाराष्ट्र में संत हुए रामदास। उन्होंने राम की कथा लिखी। वे लिखते जाते, और रोज लोगो को सुनाते जाते। कहते हैं, कथा इतनी प्यारी थी कि खुद हनुमान भी सुनने आते थे। छिपकर बैठ जाते भीड़ में।जब हनुमान सुनने आए तो बात कुछ राज की ही होगी, क्योंकि हनुमान ने […]Read More
प्रश्न : परमहंस रामकृष्ण के जीवन में दो उल्लेखनीय प्रसंग हैं। एक कि वे एक हाथ में बालू और दूसरे में चांदी के सिक्के रख कर दोनों को एक साथ गंगा में गिरा देते थे। और दूसरा कि जब स्वामी विवेकानंद ने उनके विस्तर के निचे चांदी का सिक्का छिपा दिया तो परमहंस देव बिस्तर […]Read More
ओशो- इच्छाओं के कारण गलत कर्म जीवन करने को मजबूर होता है। जो आदमी चोरी करता है, वह भी ऐसा अनुभव नहीं करता कि मैं चोर हूं। बड़े से बड़ा चोर भी ऐसा ही अनुभव करता है कि मजबूरी में मैंने चोरी की है; मैं चोर नहीं हूं। बड़े से बड़ा चोर भी ऐसा ही […]Read More
गोपनीयों में गुप्त रखने योग्य, भावों में मौन ओशो– यह बड़ा उलटा मालूम पड़ेगा, क्योंकि गोपनीय तो हम किसी बात को रखते हैं। मौन को भी कोई गोपनीय रखता है? गोपनीय तो हम किसी विचार को रखते हैं। निर्विचार को भी कोई गोपनीय रखता है? कोई बात छिपानी हो तो हम छिपाते हैं। मौन का […]Read More
ओशो– हिंदू जलाते हैं शरीर को। क्योंकि जब तक शरीर जल न जाए, तब तक आत्मा शरीर के आसपास भटकती है। पुराने घर का मोह थोड़ा सा पकड़े रखता है।तुम्हारा पुराना घर भी गिर जाए तो भी नया घर बनाने तुम एकदम से न जाओगे। तुम पहले कोशिश करोगे, कि थोड़ा इंतजाम हो जाए और […]Read More
ओशो– परमात्मा भी रिजोनेंस है; प्रतिध्वनि देता है। जैसे हम होते हैं, ठीक वैसी प्रतिध्वनि परमात्मा भी हमें देता है। हमारे चारों ओर वही मौजूद है। हमारे भीतर जो फलित होता है, तत्काल उसमें प्रतिबिंबित हो जाता है; वह दर्पण की भांति हमें लौटा देता है, हमारे प्रतिबिंबों को। कृष्ण कहते हैं, जो मुझे जिस […]Read More