ओशो- एक छोटी सी कहानी है…एक बहुत बड़ा जौहरी मर गया। उसकी पत्नी ने बहुत दिनों तक कुछ पत्थरों को कीमती मान कर, समझ कर तिजोरी में छिपा रखा था। जौहरी के मर जाने पर भी वह निश्चित थी अपनी संपत्ति के लिए। बहुत संपत्ति उसके पास थी। लड़का था एक, बड़ा होगा। बहुत संपत्ति […]Read More
ओशो : ॐ को चुनने के दो कारण हैं। एक तो, एक ऐसे शब्द की तलाश थी जिसका अर्थ न हो, जिसका तुम अर्थ न लगा पाओ; क्योंकि अगर तुम अर्थ लगा लो तो वह पांचवें के इस तरफ का हो जाएगा। एक ऐसा शब्द चाहिए था जो एक अर्थ में मीनिंगलेस हो। हमारे सब […]Read More
ओशो- कल्पना क्या है? यह किसी धारणा में इतना गहरे चले जाना है कि वह धारणा ही वास्तविकता बन जाए। उदाहरण के लिए, तुमने एक विधि के बारे में सुना होगा। जो तिब्बत में प्रयोग की जाती है। वे उसे ऊष्मा योग कहते है। सर्द रात है, बर्फ गिर रही है। और तिब्बतन लामा खुले […]Read More
भगवान शिव द्वारा माता पार्वती को आत्म साक्षात्कार के लिए
ध्वनि-संबंधी अंतिम विधि:‘’अपने नाम की ध्वनि में प्रवेश करो, और उस ध्वनि के द्वारा सभी ध्वनियों में।‘’ ओशो- मंत्र की तरह नाम का उपयोग बहुत आसानी से किया जा सकता है। यह बहुत सहयोगी होगा, क्योंकि तुम्हारा नाम तुम्हारे अचेतन में बहुत गहरे उतर चुका है। दूसरी कोई भी चीज अचेतन की उस गहराई को […]Read More
दुनिया में छोटे अपराधी जेलखानों में मिलेंगे; बडे़ अपराधियों के
ओशो– दुनिया में छोटे अपराधी जेलखानों में मिलेंगे; बडे़ अपराधियों के नाम पर इतिहास लिखे जाते हैं! नेपोलियन, और सिकंदर, और चंगेज़, और नादिर, और स्टैलिन, और हिटलर, और माओ–सब हत्यारे हैं। लेकिन उनके नाम पर इतिहास लिखे जाते हैं। उनकी गुण-गाथाएं गायी जाती हैं। छोटे-मोटे अपराधी जेलों में सड़ते हैं। बडे़ अपराधी इतिहास के […]Read More
ओशो- आइंस्टीन से मरने के पहले किसी ने पूछा कि तुम अगर दुबारा जन्म लो तो क्या करोगे? तो उसने कहा, मैं एक प्लंबर होना पसंद करूंगा बजाय एक वैज्ञानिक होने के। क्योंकि वैज्ञानिक होकर देख लिया कि मेरे मांध्यम से, मेरे बिना जाने, मेरी बिना आकांक्षा के, मेरे विरोध में, मेरे ही हाथों से […]Read More
ओशो- सनातन का अर्थ ही यह है, शाश्वत का अर्थ ही है यह कि हम उसे जान सकते हैं लेकिन कह नहीं सकते। कहना शामिल हो जाता है। सब भाषा समय की भाषा है। सब प्रतीक समय के प्रतीक हैं। सब कहना समय का कहना है। सनातन सत्य कहीं भी नहीं है, जिनको आप पकड़ […]Read More
प्रश्न: महाभारत को आपने बहुत-बहुत महिमा दी है, उसे जीवन का पूरा काव्य कहा है। तब क्या यह दावा सही है कि जो महाभारत में नहीं है, वह कहीं भी नहीं है? ओशो: पहली बात, दावा सही है। जो महाभारत में नहीं है, वह कहीं भी नहीं है। महाभारत का जन्म हुआ उस आत्यंतिक शिखर […]Read More
ओशो- भय को न मारा जा सकता है न जीता जा सकता है, केवल समझा जा सकता है और केवल समझ ही रूपांतरण लाती है, बाकी कुछ नहीं। अगर तुम अपने भय को जीतने की कोशिश करोगे, तो यह दबा रहेगा, तुम्हारे भीतर गहरे में चला जाएगा। उससे कुछ सुलझेगा नहीं, बल्कि चीजें और उलझ […]Read More
ओशो- जीवन जैसा है वैसी ही मृत्यु होगी। जो उस पार है वैसा ही इस पार होना पड़ेगा। जैसे तुम यहां हो वैसे ही वहां हो सकोगे। क्योंकि तुम एक सिलसिला हो, एक तारतम्य हो। ऐसा मत सोचना कि मृत्यु के इस पार तो अंधेरे में जीयोगे और मृत्यु के उस पार प्रकाश में। जो […]Read More