ओशो– उपनिषदों का बड़ा अदभुत वचन है–तेन त्यक्तेन भुंजीथाः। यह बड़ा क्रांतिकारी सूत्र है। यह कहता है, वे ही त्याग सकते हैं, जिन्होंने भोगा। जो भोग के पहले भाग गए, वे भोग से सदा पीड़ित रहेंगे। जिन्होंने भोग लिया, उनकी स्थिति शांत हो गई, उफशम को उफलब्ध हो गए। अब वे जा सकते हैं। अब […]Read More
ओशो– ईशावास्य का यह सूत्र कहता है — इंद्रियां इसे पा न सकेगी, क्योंकि यह इंद्रियों के पहले है स्वभावत:, मैं आंख से आपको देख सकता हूं मेरी आंख से आपको देख सकता हूं आप मेरी आंख के आगे हैं। लेकिन मैं मेरी आंख से अपने को नहीं देख सकता, क्योंकि मैं आंख के पीछे […]Read More
प्रश्न– जीसस कहते हैंः प्रेम परमात्मा है। फरीद गाते हैंः अकथ कहानी प्रेम की। और आप भी कहते हैंः प्रेम है आनंद, प्रेम है मुक्ति, प्रेम है समाधि की सुवास। फिर क्या कारण है कि मीरा गाती हैः जो मैं ऐसा जानती, प्रेम किए दुख होय। जगत ढिंढोरा पीटती, प्रेम न कीजै कोय।। ओशो- एक […]Read More
ओशो– अदालत में मुकदमा था। एक नेताजी ने अदालत में एक आदमी पर मानहानि का मुकदमा चलाया था। क्योंकि होटल में जहा कि पचास—साठ लोग मौजूद थे, उस आदमी ने नेताजी को उल्लू का पट्टा कह दिया। स्वभावत: नेताजी क्रुद्ध हो गये। उल्लू का पट्ठा! इसको मजा चखा कर रहेंगे। मुल्ला नसरुद्दीन नेताजी के बगल […]Read More
ओशो– साधु-संत वही कहते हैं, जो तुम सुनना चाहते हो। वह नहीं जो है। वैसा नहीं, जैसा है; वरन वैसा, जैसा तुम्हें प्रीतिकर लगेगा, मधुर लगेगा। वैसा, जैसा है, कटु भी हो सकता है, कठोर भी हो सकता है। तुम सांत्वना चाहते हो, सत्य नहीं। सत्य को तो तुम सूली देते हो। तुम मलहम-पट्टी चाहते […]Read More
6-असुर्या नाम ते लोका: अन्धेन तमसावृता :। तास्ते प्रेत्याभिगच्छन्ति ये के चात्महनो जना:।। ओशो– फ्रायड ने मरने के कुछ दिन पहले अपने एक मित्र को एक पत्र में लिखा है कि इतनी जिंदगी भर लाखों लोगों के दुख को सुनने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि आदमी सदा ही दुखी रहेगा, क्योंकि […]Read More
ओशो– हम कहानी सुनते हैं कि सत्यवान मर गया है, सावित्री उसे दूर से जाकर लौटा लायी है। लेकिन कभी कोई कहानी ऐसी सुनी कि पत्नी मर गयी हो और पति दूर से जाकर लौटा लाया हो। नहीं सुनी है हमने। स्रियां लाखों वर्ष तक इस देश में पुरुषों के ऊपर बर्बाद होती रही हैं। […]Read More
ओशो– जो भी काम करना है, उसे पूरा कर लें। पूरा किया गया काम, संयत किया गया काम, सस्पेंडेड, लटका हुआ नहीं रह जाता, और व्यक्ति प्रतिपल बाहर हो जाता है–प्रत्येक कर्म के बाहर हो जाता है। और तब वैसा व्यक्ति कभी भी भार, बर्डन नहीं अनुभव करता मस्तिष्क पर। निर्भार होता है, वेटलेस होता […]Read More
भिलाईनगर/ भारत सरकार द्वारा निकाले गये विकसित भारत संकल्प यात्रा का 12 दिवसीय पड़ाव भिलाई निगम क्षेत्र में रहेगा इस दौरान 24 केम्प के माध्यम से निगम अलग अलग वार्ड में केन्द्र सरकार के जनकल्याणकारी योजना प्रदर्शन, लाभान्वित हितग्राहियों के लघु फिल्म प्रदर्शन के साथ भिलाई निगम क्षेत्र के नागरिकों को योजनाओं से लाभान्वित करने […]Read More
मैं तुम्हें आत्महत्या का सही तरीका सिखाऊँगा, लोग आत्महत्या इसलिये
ओशो– तुम आत्महत्या के बारे में क्यों सोचते हो? क्या तुम पागल हो या और कुछ? मुझे पता है कि तुम जीवन से ऊब गये हो। यदि तुम सचमुच ऊब गये हो तो आत्महत्या नहीं करो, क्योंकि आत्महत्या तुम्हें फिर इसी जीवन में घसीट लायेगी — और हो सकता है कि इससे भी अधिक भद्दा […]Read More