सूत्र द्वेषप्रतिपक्षभावाद्रसशब्दाच्च रागः।। 6।। नक्रियाकृत्यनपेक्षणाज्ज्ञानवत् ।। 7।। अत एव फलानन्त्यम्।। 8।। तद्वतःप्रपत्तिशब्दाच्च नज्ञानमितरप्रपत्तिवत्।। १।। सा मुख्येतरापेक्षितत्वात्।। 10।। ओशो- मनुष्य है एक द्वंद्व — प्रकाश और अंधकार का, प्रेम और घृणा का। यह द्वंद्व अनेक सतहों पर प्रकट होता है। यह द्वंद्व मनुष्य के कण-कण में छिपा है। राम और रावण प्रतिपल संघर्ष में रत हैं। […]Read More
ओशो- मनुष्य के कृत्यों को देखों ! तीन हजार वर्षों में पाँच हजार युद्ध आदमी ने लड़े हैं। उसकी पूरी कहानी हत्याओं की कहानी है, लोगों को जिंदा जला देने की कहानी है और एक को नहीं, हजारों को। और यह कहानी खत्म नहीं हो गई है। क्या तुम सोचते हो आदमी बंदर से विकसित […]Read More
ओशो– शरीर एक यंत्र है। और उस यंत्र में आपने जो आदतें डाली हैं, उन आदतों को आपको नई आदतों से बदलना पड़ेगा; नई बातें सुनकर नहीं। इसका मतलब यह हुआ कि अगर आपको सिगरेट पीना छोड़ना है तो आपको ताजगी पैदा करने की दूसरी आदतें डालना पड़ेंगी। नहीं तो आप कभी नहीं छोड़ पाएँगे। […]Read More
ओशो- छुटपन से ही छोटे-छोटे बच्चे भी डर जाते हैं। बच्चे की समझ में नहीं आता। वह बड़े प्रेम से आया है, माँ की साड़ी खींच रहा है, और माँ झिड़क देती है कि दूर हट! उसे पता ही नहीं कि माँ अभी नाराज है, पिता से झगड़ा हुआ है, या बर्तन टूट गया है, […]Read More
केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल ने भारत भर के 68 हवाई अड्डों पर तैनात विमानन सुरक्षा समूह (एएसजी) के लिए एक आंतरिक गुणवत्ता नियंत्रण इकाई (आईक्यूसीयू) की स्थापना करके विमानन सुरक्षा को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आईक्यूसीयू विश्व स्तरीय सुरक्षा प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकी की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह पहल […]Read More
भारत में धार्मिक आस्था गहरी जड़ों से जुड़ी हुई है, और इसी आस्था के आधार पर कई बार अवैध धार्मिक स्थलों का निर्माण होता है। अवैध धार्मिक स्थल का मतलब होता है कि किसी भी धर्म के पूजा स्थल का निर्माण सरकारी या निजी भूमि पर बिना कानूनी अनुमति के किया जाना। ये स्थल अक्सर […]Read More
ओशो– मैं जब किसी को पतन में जाते देखता हूं तो जानता हूं कि उसने पर्वत शिखरों की ओर उठना बंद कर दिया होगा। पतन की प्रक्रिया विधेयात्मक नहीं है। घाटियों में जाना, पर्वतों पर न जाने का ही दूसरा पहलू है। वह उसकी ही निषेध छाया है। और जब तुम्हारी आंखों में मैं निराशा […]Read More
ओशो– आत्माओं का लोक कुछ हमसे भिन्न नहीं है। ठीक हमारे निकट और पड़ोस में है। ठीक हम एक ही जगत में अस्तित्ववान हैं। यहां इंच-इंच जगह भी आत्माओं से भरी हुई है। यहां जो हमें खाली जगह दिखाई पड़ती है वह भी भरी हुई है। अगर कोई भी शरीर किसी गहरी रिसेप्टिव हालत में […]Read More
ओशो– मोहम्मद एक दिन एक युवक को कहे कि कभी मेरे साथ प्रार्थना को चल। मोहम्मद ने कहा था तो वह टाल न सका। जैसे कि मैं आपसे कभी कहता हूं कुछ, तो आप नहीं टाल पाते हैं। नहीं टाल सका। मोहम्मद ने कहा, सोचा कि चलो, नहीं मानते, चले चलें। पहुंच गया सुबह। मोहम्मद […]Read More
ओशो- मृत्यु का जो दंश है, जो पीड़ा है, वह जीवन की व्यर्थता के कारण है जीवनभर हम कोशिश करते हैं जो भी पाने की, उसे कभी पा नहीं पाते हैं। लगता है कि मिलेगा। लगता है कि अब मिला। लगता है कि बस, अब मिलने में कोई देर नहीं। और हर बार निशाना चूक […]Read More