ओशो- शुभ कर्म जिसका सफल हो जाए, उसकी तो दुर्गति का सवाल ही नहीं है। लेकिन शुभ कर्म जिसका सफल भी न हो पाए, उसकी भी दुर्गति नहीं होती। इससे दूसरी बात भी आपको कह दूं, तो जल्दी खयाल में आ जाएगा। अशुभ कर्म जिसने किया, सफल न भी हो पाए, तो भी दुर्गति हो […]Read More
ओशो- आदमी के भीतर एक जाल है। उसी जाल से वह सारे जगत को बाहर से नापता-जोखता है। इसलिए जब आपको कोई आदमी चोर मालूम पड़े, तो एक बार सोचना फिर से कि उसके चोर मालूम पड़ने में आपके भीतर का चोर तो सहयोगी नहीं हो रहा! और जब कोई आदमी बेईमान मालूम पड़े, तो […]Read More
ओशो- एक यहूदी फकीर हुआ बालसेन। एक दिन एक धनपति उससे मिलने आया। वह उस गांव का सबसे बड़ा धनपति था, यहूदी था। और बालसेन से उसने कहा कि कुछ शिक्षा मुझे भी दो। मैं क्या करूं? बालसेन ने उसे नीचे से ऊपर तक देखा, वह आदमी तो धनी था लेकिन कपड़े चीथड़े पहने हुए […]Read More
प्रश्न: भारत के लोग सदियों से गुलाम और गरीब रहने के कारण भयानक हीनता के भाव से पीड़ित हैं, और इसलिए पश्चिम का अंधानुकरण कर रहे हैं। क्या यह अंधानुकरण अस्वस्थ नहीं है? और क्या उन्हें अपना मार्ग और गंतव्य स्वयं ही नहीं ढूंढना चाहिए? इस संदर्भ में आप हमें क्या मार्गदर्शन देंगे? ओशो- मृत्युंजय […]Read More
ओशो- शिव जैसा ध्यानी नहीं है। ध्यानी हो तो शिव जैसा हो। क्या अर्थ है? ध्यान का अर्थ होता है : न विचार, वासना, न स्मृति, न कल्पना। ध्यान का अर्थ होता हैः भीतर सिर्फ होना मात्र। इसीलिए शिव को मृत्यु का, विध्वंस का, विनाश का देवता कहा है। क्योंकि ध्यान विध्वंस है–विध्वंस है मन […]Read More
जब मन दुखी होता है, तो शरीर की रेसिस्टेंस, प्रतिरोधक
ओशो- असल में भय और भागना दो चीजें नहीं हैं। भय मन है और भागना शरीर है। प्रसन्नता और हंसी दो चीजें नहीं हैं। प्रसन्नता मन है और हंसी शरीर है। और शरीर और मन एक—दूसरे को तत्क्षण प्रभावित करते हैं, नहीं तो शराब पीकर आपका मन बेहोश नहीं होगा। शराब तो जाती है शरीर […]Read More
ओशो- नानक ने एक अनूठे धर्म को जन्म दिया है, जिसमें गृहस्थ और संन्यासी एक हैं। और वही आदमी अपने को सिख कहने का हकदार है, जो गृहस्थ होते हुए संन्यासी हो, संन्यासी होते हुए गृहस्थ हो।सिख होना बड़ा कठिन है। गृहस्थ होना आसान है। संन्यासी होना आसान है, छोड़कर चले जाओ जंगल में। सिख […]Read More
ओशो- तुमने कभी गौर किया, बाएं हाथ का उपयोग करने वाले लोगों को दबा दिया जाता है! अगर कोई बच्चा बाएं हाथ से लिखता है, तो तुरंत पूरा समाज उसके खिलाफ हो जाता है माता पिता, सगे संबंधी, परिचित, अध्यापक सभी लोग एकदम उस बच्चे के खिलाफ हो जाते हैं। पूरा समाज उसे दाएं हाथ […]Read More
ओशो- लाओत्से कहता है….’सोने और हीरे से जब भवन भर जाए, तब मालिक उसकी रक्षा नहीं कर सकता है’ मालिक अपनी संपत्ति की तभी तक रक्षा कर सकता है, जब तक गरीब हो; जब तक इतनी संपत्ति हो कि जिसकी रक्षा वह स्वयं ही कर सके। जिस दिन संपत्ति की रक्षा के लिए दूसरों की […]Read More
ओशो- भविष्य का संघर्ष मनुष्य और मशीन के बीच होने वाला है… याद रखें कि अब ऐसे कंप्यूटर उपलब्ध हैं जो मानव मस्तिष्क द्वारा किए जा सकने वाले सभी कार्य कर सकते हैं। भविष्य में लगभग निश्चित रूप से यह कहा जा सकता है कि ऐसे कंप्यूटर उपलब्ध होंगे जो मानव मस्तिष्क से भी बेहतर […]Read More