प्रश्न- मैं कौन हूं, मैं कहां से आया हूं और क्या मेरी नियति है? ओशो– यह प्रश्न ऐसा नहीं कि कोई और तुम्हें इसका उत्तर दे सके। नहीं कि उत्तर नहीं दिए गए हैं। उत्तर दिए गए हैं। उत्तर दिए जा सकते हैं। पर वे व्यर्थ होंगे, अप्रासंगिक होंगे। यह तो प्रश्न अकेला प्रश्न है, […]Read More
ओशो- मैंने सुना है कि सिकंदर उस जल की तलाश में था, जिसे पीने से लोग अमर हो जाते हैं। बड़ी प्रसिद्ध कहानी है उसके संबंध में। अमृत की तलाश में था। कहते हैं कि दुनिया भर को जीतने के उसने जो आयोजन किए, वह भी अमृत की तलाश के लिए। और कहानी है कि […]Read More
बिलासपुर/ रेल मदद, ट्वीटर एवं अन्य माध्यमों से ट्रेनों में अवैध रूप से फेरी करने वालों की लगातार शिकायत मिल रही थी, जिसको लेकर रेल सुरक्षा बल, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के द्वारा दिनांक 28 जुलाई, 2024 से 03 अगस्त, 2024 तक अवैध वेंडरों के विरूद्ध तीनों मंडलों(बिलासपुर नागपुर रायपुर) में स्पेशल ड्राइव चलाया जा […]Read More
रायपुर/ दक्षिण पूर्व रेलवे के चक्रधरपुर रेल मंडल के अंतर्गत बड़ाबाम्बो स्टेशन में आज 12810 हावड़ा-सीएसएमटी मुंबई मेल के पटरी से उतरने के कारण अनेक ट्रेनों का परिचालन प्रभावित हुई है, जिसकी जानकारी निम्नानुसार है :- दिनांक 30 जुलाई, 2024 को शुरू होने वाली गाडियाँ रद्द रहेगी 01. 12101 एलटीटी- शालीमार एक्सप्रेस 02. 18114 बिलासपुर […]Read More
विपस्सना मनुष्य-जाति के इतिहास का सर्वाधिक महत्वपूर्ण ध्यान-प्रयोग, विपस्सना कैसे
ओशो– विपस्सना मनुष्य-जाति के इतिहास का सर्वाधिक महत्वपूर्ण ध्यान-प्रयोग है। जितने व्यक्ति विपस्सना से बुद्धत्व को उपलब्ध हुए उतने किसी और विधि से कभी नहीं। विपस्सना अपूर्व है! विपस्सना शब्द का अर्थ होता है: देखना, लौटकर देखना। बुद्ध कहते थे: इहि पस्सिको, आओ और देखो! बुद्ध किसी धारणा का आग्रह नहीं रखते। बुद्ध के मार्ग […]Read More
ओशो– जो हम कहें, वह जो हम सोचें, वही हमारे व्यक्तित्व में भी प्रतिफलित हो। हमारा व्यक्तित्व हमारे विपरीत न हो, एक लय हो, एक संगीत हो। कोई फिक्र नहीं कि क्या आप सोचते हैं। बड़ा सवाल यह नहीं कि क्या आप सोचें, बड़ा सवाल यह है कि जो आप सोचें और कहें, उसकी छाया […]Read More
ओशो– मैं पंजाब जाता था, तो घर में ठहरा हुआ था। सुबह उठकर जब मैं अपने कमरे से बाथरूम की तरफ पीछे उनके आंगन में जा रहा था, तो बीच के कमरे से गुजरा, तो मैंने देखा कि वहां गुरु-ग्रंथ साहब को एक प्रतिमा की तरह सजा कर रखा हुआ है। चलो, कोई हरजा नहीं। […]Read More
ओशो- देवी पूछती हैं: हे शिव, आपकी वास्तविकता क्या है? यह आश्चर्य से भरा ब्रह्मांड क्या है? बीज क्या है? सार्वभौमिक चक्र का केंद्र कौन है? रूपों में व्याप्त यह जीवन क्या है? हम इसमें पूर्ण रूप से कैसे प्रवेश कर सकते हैं, स्थान और समय, नाम और विवरण से ऊपर? मेरी शंकाएँ दूर हो […]Read More
प्रश्न- श्रेष्ठ आत्माएं कब जन्म लेती है? ओशो- अक्सर ऐसा होता है कि एक श्रृंखला होती है अच्छे की भी और बुरे की भी। उसी समय यूनान में सुकरात पैदा हुआ थोड़े समय के बाद, अरस्तू पैदा हुआ, प्लेटो पैदा हुआ, च्वांगत्से पैदा हुआ। उसी समय सारी दुनिया के कोने-कोने में कुछ अद्भुत लोग एकदम […]Read More
ओशो– सूर्योदय के साथ ही जीवन फैलता है। सुबह होती है, सोये हुए पक्षी जग जाते है, सोये हुए पौधे जग जाते है, फूल खिलने लगते है, पक्षी गीत गाने लगते हैं, आकाश में उड़ान शुरू हो जाती है। सारा जीवन फैलने लगता है। सूर्योदय का अर्थ है, सिर्फ सूरज का निकलना नहीं, जीवन का […]Read More