ओशो- लुकमान की एक छोटी कहानी है। और लुकमान ने कहानियों में ही अपना संदेश दिया है। ईसप की प्रसिद्ध कहानियां आधे से ज्यादा लुकमान की ही कहानियां हैं, जिन्हें ईसप ने फिर से प्रस्तुत किया है।लुकमान कहता है, एक मक्खी एक हाथी के ऊपर बैठ गयी। हाथी को पता न चला मक्खी कब बैठी। […]Read More
ओशो- ममता शब्द बना है मम से। मम यानी मेरा, ममता यानी मेरेपन का भाव। और ध्यान रहे, अधिकतर लोग ममता का अर्थ प्रेम कर लेते हैं। प्रेम और ममता बड़े विपरीत हैं। प्रेम में मेरेपन का भाव होता ही नहीं। क्योंकि मेरेपन का भाव वस्तुओं से हो सकता है; व्यक्तियों से कैसे हो सकता […]Read More
ओशो- रुक्मणी कृष्ण की पत्नी है, लेकिन रुक्मणी का नाम कृष्ण के साथ अकसर लिया नहीं जाता–लिया ही नहीं जाता। सीता का नाम राम के साथ लिया जाता है। पार्वती का नाम शिव के साथ लिया जाता है। कृष्ण का नाम रुक्मणी के साथ और रुक्मणी का नाम कृष्ण के साथ नहीं लिया जाता। और […]Read More
भिलाई-3/ पुरानी भिलाई थाना प्रभारी मनीष शर्मा से मिली जानकारी के मुताबिक आज 31.07.2023 को प्रार्थिया उपासना चन्द्राकर पिता कन्हैया चन्द्राकर 27 वर्ष निवासी ग्राम सिरसाकला के द्वारा थाना आकर लिखित आवेदन पेश कर रिपोर्ट दर्ज करायी कि दिनांक 30.07.2023 को सिरसाकला मिलाई 03 में FMGE (foreign medical graduate examination) का परीक्षा आयोजित था। परीक्षा […]Read More
तीर्थ : परम की गुह्म यात्रा ओशो- अल्कुफा (अरब का एक तीर्थ) के बाबत कुछ बातें खयाल में ले लें तो और तीर्थों का खयाल में आ जाएगा। जैसे अल्कुफा में नींद असंभव है, कोई आदमी सो नहीं सकता। तो आप पागल हो ही जाएंगे जब तक कि आपने जागरण का गहन प्रयोग न किया […]Read More
ओशो- तुम यहां किसी की भी अपेक्षाएं पूरी करने के लिए नहीं हो और कोई भी यहां तुम्हारी अपेक्षाएं पूरी करने के लिए नहीं हैं। दूसरों की अपेक्षाओं के कभी भी शिकार मत बनो और किसी दूसरे को अपनी अपेक्षाओं का शिकार मत बनाओ। यही है जिसे मैं निजता कहता हूं। अपनी निजता का सम्मान […]Read More
ओशो…एक रात एक चर्च में एक नीग्रो ने आकर दरवाजा खटखटाया। पादरी ने दरवाजा खोला और देखा कि कोई काला आदमी है। काले आदमी के लिए तो उस चर्च में प्रवेश का कोई इंतजाम न था। वह सफेद चमड़ी के लोगों का चर्च था। उसमें काली चमड़ी के लोगों के लिए कोई जगह न थी। […]Read More
ओशो- आशीर्वाद गुरु तो अकारण देता है, बेशर्त देता है; लेकिन तुम ले पाओगे या न ले पाओगे, यह तुम पर निर्भर है। इतना ही काफी नहीं है कि कोई दे और तुम ले लो; तुम्हें उसमें कुछ दिखाई भी पड़ना चाहिए, तभी तुम लोगे। वर्षा हो और तुम छाते की ओट में छिपकर खड़े […]Read More
ओशो- प्रेम और प्रेम में बहुत भेद है, क्योंकि प्रेम बहुत तलों पर अभिव्यक्त हो सकता है। जब प्रेम अपने शुद्धतम रूप में प्रकट होता है–अकारण, बेशर्त–तब मंदिर बन जाता है। और जब प्रेम अपने अशुद्धतम रूप में प्रकट होता है, वासना की भांति, शोषण और हिंसा की भांति, ईष्या-द्वेष की भांति, आधिपत्य, पजेशन की […]Read More
यामिनी बंजारे खुद मेहनत कर अपने पढ़ाई को रखा है जारी और आगे भी पढ़ने की है पूरी तैयारी। पाटन / पाटन विधानसभा अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत सिपकोन्हा (पाटन)में आज 26 जुलाई को दानवीर भामाशाह सेना पाटन के द्वारा कु यामिनी बंजारे पिता धनसाय बंजारे को आर्थिक रूप से मदद किया गया सुश्री बंजारे […]Read More