ओशो- मैंने सुना है, एक अंधा और एक लंगड़ा दो मित्र थे—दोनों भिखारी। और दोनों की मित्रता एकदम जरूरी भी थी, क्योंकि एक अंधा था और एक लंगड़ा था। लंगड़ा चल नहीं सकता था, अंधा देख नहीं सकता था। तो अंधा चलता था और लंगड़ा देखता था। लंगड़ा अंधे के कंधों पर बैठ जाता, दोनों […]Read More
ओशो- अर्जुन का मन हो कितना ही जटिल, कितनी ही हों द्वंद्व की पर्तें भीतर, पर अर्जुन सरल व्यक्तित्व है। जटिलता है बहुत, लेकिन अपनी जटिलता के प्रति किसी धोखे में अर्जुन नहीं है। और अपनी जटिलता को भी प्रकट करने में स्पष्ट और ईमानदार है। शायद यही उसकी योग्यता है कि कृष्ण का संदेश […]Read More
ओशो- सुना है मैंने कि चीन में एक बहुत बड़ा धनुर्धर हुआ। उसने जाकर सम्राट को कहा कि अब मुझे जीतने वाला कोई भी नहीं है। तो मैं घोषणा करना चाहता हूं राज्य में कि कोई प्रतियोगिता करता हो, तो मैं तैयार हूं। और अगर कोई प्रतियोगी न निकले–या कोई प्रतियोगी निकले, तो मैं स्पर्धा […]Read More
दुर्ग / उप सचिव भारत शासन, मंत्रालय महिला एवं बाल विकास विभाग दयाशंकर ने विगत 28 अगस्त को दुर्ग जिले के विभिन्न आंगनबाड़ी केन्द्रों एवं संस्थाओं का निरीक्षण किया । निरीक्षण के दौरान सर्वप्रथम एकीकृत बाल विकास परियोजना पाटन केआंगनबाड़ी केन्द्र पाटन क्रमांक 12 का निरीक्षण किया। यहां पर आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों की उपस्थिति, […]Read More
ओशो- अखबार उठा कर देखें, तो दो कौड़ी का आदमी किसी पद पर हो जाए, तो अखबार के लिए भगवान हो जाता है। वही आदमी कल अखबार से, दुनिया..पद से नीचे उतर जाए, फिर उसका पता लगाना मुश्किल है कि वह कहां है। कोई पता नहीं चलेगा। बस सत्ता का हमारे मन में इतना आदर […]Read More
प्रश्न. मैंने सैंकड़ों सबंध बनाये, शारीरिक और मानसिक दोनों, लेकिन आखिर में बढ़ती हुई अतृप्ति के सिवाय कुछ भी हाथ नहीं आया। मैं कुछ पकड़ नहीं पाती, सब हाथ से फिसल-फिसल जाता है और मैं बेबस और भयभीत खड़ी देखती रहती हूं; ऐसा क्यों है ?- ओशो- तुम्हारा कुछ कसूर नहीं। इस जगत के सारे […]Read More
ओशो- कुतूहल व्यर्थ है, बचकाना है। यह बहुत सोचने जैसी बात है। जितनी छोटी उम्र, उतना कुतूहल होता है–यह कैसा है, वह कैसा है? यह क्यों हुआ, यह क्यों नहीं हुआ? जितना छोटा मन, जितनी कम बुद्धि, उतना कुतूहल होता है।इसलिए एक और बड़े मजे की बात है कि जिस तरह बच्चे कुतूहल से भरे […]Read More
ओशो- कुछ आहार उत्तेजक आहार हैं, उत्तेजना देते हैं। वे सब बाधा हैं आध्यात्मिक जीवन में। कुछ आहार अनुत्तेजक हैं। वे कोई उत्तेजना नहीं देते। वे आध्यात्मिक जीवन में सहयोगी होते हैं। कुछ आहार हैं जो मादक हैं, जो नशा देते हैं। कुछ आहार गैर-मादक हैं, नशा नहीं देते हैं। मादक आहार, उत्तेजक आहार, बाधा […]Read More
बीएससी नर्सिंग, एमएससी नर्सिंग, पोस्ट बेसिक नर्सिंग और साइकियाट्रिक नर्सिंग
नर्सिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए फार्म भरने की तारीख 27 अगस्त तक बढ़ी दुर्ग/ छत्तीसगढ़ में चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा शासकीय और निजी कॉलेजों में वर्ष 2023 शैक्षणिक सत्र में विभिन्न नर्सिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि को 27 अगस्त तक बढ़ा दिया गया है। अब इन पाठ्यक्रमों में […]Read More
ओशो- एक फकीर था। एक युवा फकीर था जपान के एक गांवमें। उसकी बड़ी कीर्ति थी, उसकी बड़ी महिमा थी।सारा गांव उसे पूजता और आदर करता। उसके सम्मान में सारे गांव में गीत गाए जाते। लेकिन एक दिन सब बात बदल गई। गांव की एक युवती को गर्भ रह गया और उसे बच्चा हो गया। […]Read More