ओशो- मंसूर निकल रहा है एक गली से, एक सूफी फकीर। फूल खिला है। खड़ा हो गया मंसूर। हाथ जोड़े, आकाश की तरफ देखा। उसके साधकों ने पूछा, यहां किसको हाथ जोड़ रहे हैं? कोई मस्जिद नजर नहीं आती! मैसूर ने कहा, फूल खिला हैं, प्रभु की कृपा! अन्यथा फूल कैसे खिल सकते हैं! यह […]Read More
ओशो- अभी रूस और अमरीका दोनों के वैज्ञानिक इस बात में उत्सुक हैं कि किसी भी तरह बिना किसी माध्यम के विचार संक्रमण के, टेलीपैथी के सूत्र खोज लिए जाएं। क्योंकि जब से लूना खो गया है उसके रेडियो के बंद हो जाने से यह खतरा खड़ा हो गया है कि मशीन पर अंतरिक्ष में […]Read More
ओशो- पहली बात, जिन्दगी पर ध्यान चाहिए। मेडीटेशन आन लाइफ, मौत पर नहीं। तो आदमी जवान से जवान होता चला जाता है। बुढ़ापे के अंतिम क्षण तक मौत द्वार पर भी खड़ी हो तो वैसा आदमी जवान होता है।दूसरी बात, जो आदमी जीवन में सुंदर को देखता है, जो आदमी जवान है; वह आदमी असुंदर […]Read More
Uniform Civil Code: The answer to gender disparity “Insha Warsi,
The debate around Uniform Civil Code (UCC) has suddenly gained momentum after the 22nd Law Commission of India recently sought the views Read More
ओशो- जब हम कहते है विकास तो उससे सा भ्रम पैदा होता है किस भी दिशाओं में विकास हो गया होगा, इवोल्यूशन हो गया होगा। आदमी की जिंदगी इतनी बड़ी चीज है, अगर आप एकाध चीज में विकास कर लेते हैं तो आपको पता ही नहीं चलता कि आप किसी दूसरी चीज में पीछे छूट […]Read More
ओशो- मैं जब छोटा था तो मेरे गांव में बहुत मदारी आते थे। फिर पता नहीं मदारी कहां चले गए! फिर मैं पूछने लगा कि मदारियों का क्या हुआ? मेरे गांव के बीच में ही बाजार है। उस बाजार में एक ही काम होता था: सुबह-शाम डमरू बज जाता। मदारी आते ही रहते, भीड़ इकट्ठी […]Read More
ओशो- देह शूद्र है। क्यों? क्योंकि देह में कुछ और है भी नहीं। देह की दौड़ कितनी है? खा लो, पी लो, भोग कर लो, सो जाओ। जीओ और मर जाओ। देह की दौड़ कितनी है! शूद्र की सीमा है यही। जो देह में जीता है, वह शूद्र है। शूद्र का अर्थ हुआ. देह के […]Read More
भिलाई/ सेनेटरी पैड के बारे में सुनकर तरह तरह की अफवाए है। इन अफवाहों को विराम लगाकर छात्राओं को इसके लिए जागरुकता लाने का प्रयास सिम्प्लेक्स कास्टिंग एमडी और समाज सेवी संगीता शाह जागरुकता अभियान चला रही है। महिलाओं ओर युवतियों को स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने का बेडा संगीता शाह ने उठाया […]Read More
ओशो- हमने जीवन को दो हिस्सों में तोड़ लिया है, शरीर और आत्मा के। इसलिए समाज दो हिस्सों में टूट गयाः गृहस्थ और संन्यासी। संन्यासी वह है, जो आत्मा-आत्मा की बातें कर रहा है; गृहस्थ वह है, जो शरीर-शरीर की बातें कर रहा है। मनुष्य को तोड़ लिया है शरीर और आत्मा में। और समाज […]Read More
छत्तीसगढ़ के शासकीय स्कूलों में कार्यरत व्यवसायिक प्रशिक्षकों के द्वारा
रायपुर- छत्तीसगढ़ नवीन व्यवसायिक प्रशिक्षक कल्याण संघ के प्रशिक्षकों के द्वारा अपने 2 सूत्री मांगों को लेकर आज शनिवार 5 अगस्त को ध्यानाकर्षण सभा एवं आग्रह रैली मे एकजुट होने कें लिए शनिवार को सुबह से ही धरना स्थल तूता पहुचे थे । तूता मे प्रदेश भर से आये 11 सौ से अधिक व्यवसायिक प्रशिक्षकों […]Read More