भारत अकेला देश है जहां गायों की सबसे दयनीय दशा है, भारत अकेला देश है जो गौ भक्त है, सारी दुनिया में गायों की हालत बेहतर है भारत को छोड़कर “ओशो”

 भारत अकेला देश है जहां गायों की सबसे दयनीय दशा है, भारत अकेला देश है जो गौ भक्त है, सारी दुनिया में गायों की हालत बेहतर है भारत को छोड़कर “ओशो”

ओशो- भारत अकेला देश है जो गौ भक्त है | भारत भी पूरा नहीं सिर्फ हिंदू, ना सिख, ना इसाई, ना जैन, ना मुसलमान, ना पारसी इन सबको छोड़ दो | सिर्फ हिंदू और हिंदू ही सिर्फ भारत नहीं है | हिंदुओं की संख्या तो 20 करोड़ है बाकी 50 करोड़ लोग और भी इस देश में हैं |
यह हिंदुओं की धारणा को बाकी 50 करोड़ लोगों के ऊपर थोपने का किसको अधिकार है? और “विनोवा भावे” ने जो अनशन किया था उसको मैं हिंसा मानता हूं, वह जबरदस्ती है, हिंदुओं की जबरदस्ती | फिर जिन्ना ठीक ही कहता था कि अगर भारत एक रहा तो हिंदू जबरदस्ती करेंगे | वह जबरदस्ती दिखाई पड़ती है, फिर तो जिन्ना ठीक था और गांधी गलत थे | अच्छा किया कि उसने पाकिस्तान तोड़ लिया फिर तो सीख भी ठीक हैं उनको भी सीखस्थान तोड़ लेना चाहिए, फिर तो ईसाई भी सही हैं उनको भी कहना चाहिए कि हमें इसाईस्थान अलग कर दो और जैनियों को अपना जैनस्थान अलग कर लेना चाहिए और पारसियों को कहना चाहिए बंबई हमारी |
फिर हिंदू अपनी गौ रक्षा करें, जो उनको करना है करें, सब गौ को ले जाए और रक्षा करें, जो उनको करना है करें | यह देश सबका है | इसमें हिंदू धारणाओं को जबरदस्ती नहीं थोपा जा सकता | हिंदू धारणा थोपना है, मगर बातें ऊंची कर रहे हैं, बातें अहिंसा की कर रहे हैं और हिंसा करने का आग्रह है | यह क्या है? “बिनोवा” का अनशन करना कि मैं मर जाऊंगा अगर गौ हत्या पर निषेध नहीं लगाया गया | यह हिंसा की धमकी है, किसी को मारने की धमकी दो या मरने की धमकी दो बात तो एक ही है | किसी की छाती पर छुरा रख दो या अपनी छाती पर छुरा रख लो और कहो कि मैं मर जाऊंगा यह बात तो एक ही है | इसमें कुछ भेद नहीं है, इसमें कुछ अहिंसा नहीं है, यह शुद्ध हिंसा है और जबरदस्ती है | और एक आदमी जबरदस्ती करे और सारे देश पर अपने इरादे थोप देना चाहे यह कैसा लोकतंत्र है?
हिंदुओं को गौ बचानी है बचाएं, कौन मना करता है | कल मुसलमान कहने लगे कि सबका खतना होना चाहिए वह भी खतने के लिए आधार खोज सकते हैं | यहूदियों ने खोज लिए हैं, यहूदियों ने किताबें लिखी हैं कि खतने के बड़े फायदे हैं उन फायदे में एक फायदा यह गिनाया है कि जब व्यक्ति का खतना किया जाता है तो उसकी बुद्धि विकसित होती है और उनके दावे की दुनिया में सबसे ज्यादा नोबेल प्राइज यहूदियों को मिलती है | क्यों? क्योंकि उनके ख़तनें होते हैं और ख़तना जल्दी करनी चाहिए, जितनी जल्दी हो उतना फायदा इसलिए मुसलमान का ख़तना तो जरा देर से होता है उसको यहूदी नहीं मानते | यहूदी तो मानते हैं कि बच्चा पैदा हो और जितनी जल्दी खतना हो उतना अच्छा है क्योंकि उसकी उर्जा जन्म इंद्री से हटकर मस्तिष्क में प्रवेश कर जाती है | क्योंकि जब उसकी जन्म इंद्री की चमड़ी काटी जाती है तो ऊर्जा एकदम सरक जाती है | जन्म इंद्री से मस्तिष्क में और प्रतिभा पैदा हो जाती है |
अगर, इस_तरह_की_बेवकूफ़ियों_को_एक_दूसरे_के_ऊपर_थोपने_का_आग्रह शुरू हो जाए तब तो बड़ी मुश्किल हो जाएगी |
गौ हत्या नहीं होनी चाहिए | क्यों? क्योंकि जीव दया है, तो मच्छर क्यों मारते हो? और यह कैसी जीव दया है? दया करनी हो तो मच्छर पर करो कुछ पता चले क्योंकि गौ को तो तुम शोषण करते हो उसके बछड़ों के लिए जो दूध है उसको खुद पीते हो और कहते हो कि गौ भक्त हूं मैं | गौ को माता कहते हो और उसके असली बच्चों से वंचित करते हो, उसके असली बेटों को भूखा मारते हो | शंभू महाराज दूध पी रहे हैं और नंदी महाराज भूखे बैठे हैं और असली बेटा नंदी महाराज, शंभू महाराज नहीं | नंदी महाराज बैठे देख रहे हैं कि यह क्या हो रहा है, जरा नदियों से तो पूछो तो वह कहेंगे कि बाबा यह दूध हमारे लिए है, अगर तुम्हारी गौ भक्ति इतनी बड़ी है तो अपने स्त्रियों का दूध बछड़े को पिलाओ तो समझ में आएगा गौ भक्ति | यह कैसी गौ भक्ति की दूध पी रहे हो उनका, चूस रहे हो गायों को और बातें कर रहे हो गौ भक्ति की, फिर तो मच्छरों की भक्ति करो, मच्छर भक्त हो जाओ, क्योंकि मच्छर तुम्हारा खून चूसते हैं | तब पता चलेगा भक्ति का | लेट जाओ खाटों पर नंग-धड़ंग, चूसने दो मच्छरों को, खटमलों को, पिलाओ खून और कहो कि यह जीव दया है | तब मैं कहूंगा की यह भक्ति है क्योंकि भक्ति में कुछ तुम दो तब भक्ति है | यह कैसी भक्ति है कि उल्टा ले रहे हो? गायों से तो पूछो कि तुमने उनकी क्या गती कर दी? सारी दुनिया में गायों की हालत बेहतर है भारत को छोड़कर |
भारत अकेला देश है जहां गायों की सबसे दयनीय दसा है, हड्डी-हड्डी हो रही है, मांस सूख गया है और लोग दूध खींचे जा रहे हैं निचोड़े जा रहे हैं निकलता भी नहीं है | कुछ दो पाव निकल आए तो बहुत, शेर-भर निकल आए तो गजब | स्विडन में एक गाय इतना दूध देती है जितना भारत में 40 गाय देती हैं, और स्विडन में कोई लोग गौ भक्त नहीं हैं | स्विट्जरलैंड में कोई गौ भक्त नहीं हैं | अभी यहां मेरे पास सन्यासी हैं, सारी दुनिया से आए हुए हैं, विवेक मुझसे बार-बार कहती है कि अगर आप एक दफा पश्चिम की गाय का दूध पी लें तो फिर गाय का दूध | भारत का दूध तो पीने जैसा ही नहीं है, ना इसमें स्वाद है, क्योंकि वह मुझे कह रही थी कि हमने तो कभी सुना ही नहीं था पश्चिम में की दूध में शक्कर मिलाई जाती है | दूध खुद ही इतना मीठा होता है उसमें शक्कर मिलाने की बात ही बेहूदी है | और दूध इतना गाढ़ा होता है, इतना पौष्टिक होता है और यह कोई गौ भक्त देश नहीं है | लेकिन कारण है उसका, उतनी ही गाय बचाते हैं वह जितनी गायों को ठीक पोषण दिया जा सके, ठीक जीवन दिया जा सके, सुविधा दी जा सके | तुम गायों को क्या दे रहे हो ? और तुम बातें दया की कर रहे हो | यह ज्यादा दया-पूर्ण होगा कि यह मरती हुई गायों को सड़कों पर सड़ने के बजाए, पिंजड़ा पोलो में सड़ने के बजाय मुक्त कर दो, इनकी सड़ी-गली देह से इनको मुक्त कर दो |
यही मैंने कहा था | सुन के अड़चन हो गई बेचैनी हो गई मैंने इतना ही कहा था की भारत उतनी ही गाय बचा ले जितनी गाय बचा सकते हैं हम | जब ज्यादा बचा सकेंगे तो ज्यादा बचा लेंगे | यह दया का काम होगा | लेकिन उन्होंने क्या तरकीब निकाली, उन्होंने यह तरकीब निकाली की इसका तो मतलब यह हुआ कि भारत में सिर्फ 40% लोगों को छोड़कर 60% तो दीन-हीन हैं तो इनकी भी हत्या कर दी जाए? मैं नहीं कहूंगा कि इनकी हत्या कर दी जाए लेकिन अगर तुमको गाय बचानी है तो इनकी हत्या हो जाएगी | तुम इसके लिए जिम्मेवार होगे | अगर भारत में थोड़ी वैज्ञानिक बुद्धि का प्रयोग किया जाए तो भारत की 60% जनता भी सुखी हो सकती है, आनंदित हो सकती है | और अगर मेरी बातें ना सुनी गई और शंभू महाराज जैसे लोगों की बातें सुनी गई तो वह 60% जनता, मैं तो नहीं कहता कि मारी जाए लेकिन प्रकृति मार डालेगी | आकाल में मरेगी, भूख में मरेगी, बाढ़ में मरेगी, बीमारियों में मरेगी | इस सदी के अंत में तुम देख लेना | इस सदी के पूरे होते होते भारत में दुनिया का सबसे बड़ा अकाल पड़ने वाला है | सारे दुनिया के वैज्ञानिक घोषणा कर रहे हैं क्योंकि इस सदी के पूरे होते होते भारत की संख्या चीन से आगे निकल जाएगी | एक अरब की आंकड़ा पार कर जाएगी और एक अरब का आंकड़ा पार करते ही तुम्हारी क्या हालत होगी? अभी ही तुम अधमरे हालत में हो | एक अरब का आंकड़ा पूरा हुआ कि भारत में महा भयंकर बीमारियां, अकाल फैलने वाला है | प्रकृति मारेगी, मुझे मारने की कोई जरूरत नहीं है | मुझे कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है | परमात्मा मारेगा |
अगर उस घटना के पहले कुछ कर सकते हो तो समझने की कोशिश करो | भारत के मन को व्यर्थ के उलझनों में ना उलझाओ, कि गौहत्या बचानी है और शराबबंदी करवानी है और चरखा चलवाना है | इन पागलपन की बातों में ना उलझो, बड़े उद्योग बनाओ विज्ञान ने पूरे साधन खोज दिए हैं, उन साधनों को लाओ | चरखे में मत अटके रहो |
उतनी ही गाय बचा लो जितनी तुम अभी बचा सकते हो | हां, कल जब हम ज्यादा बचा सकेंगे तो ज्यादा बचाएंगे | पहले आदमी को बचाओ फिर दूसरी बात है, सबसे ऊपर मनुष्य का सत्य है उसके ऊपर कुछ भी नहीं | अगर मनुष्य को बचाने के लिए और सब भी नष्ट करना पड़े तो मैं करने को तैयार हूं | लेकिन मनुष्य को बचाना जरूरी है क्योंकि मनुष्य बच जाए तो शेष सबको पुनर्जीवित किया जा सकता है | लेकिन अगर मनुष्य मर जाए तो कौन तुम्हारी गाय बचाएगा? और कौन तुम्हारी भैंस बचाएगा? और कौन तुम्हारी धर्म और संस्कृति और महानतम बातों को बचाएगा? कौन तुम्हारे वेद, उपनिषद, गुरु-ग्रंथ को बचाएगा? यह पागलपन की बातों को छोड़ो | यह पागलपन की बातों को मैं सीधा पागलपन कह देता हूं इससे उनको एकदम आग लग जाती है |

ओशो

दिनांक 10 अक्टूबर 1980 ओशो आश्रम पुणे