ओशो– तुमने एक बात खयाल की! अगर तुम सुखी हो, तो लोग तुमसे नाराज हो जाते हैं! तुम जब दुखी होते हो, तब तुमसे राजी होते हैं। तुम जब सुखी हो, सब तुम्हारे दुश्मन हो जाते हैं। सुखी आदमी के सब दुश्मन। दुखी आदमी के सब संगी—साथी। सहानुभूति प्रगट करने लगते हैं।तुम एक बड़ा मकान बना लो; सारा गांव तुम्हारा दुश्मन। तुम्हारे मकान में आग लग जाए, सारा गांव तुम्हारे लिए आंसू बहाता है। तुमने यह मजा देखा! जो तुम्हारे दुख में आंसू बहा रहे हैं, इन्होंने कभी तुम्हारे सुख में खुशी नहीं मनायी थी। इनके आंसू झूठे हैं। ये मजा ले रहे हैं। ये कह रहे हैं चलो, अच्छा हुआ। तो जल गया न! हम तो पहले से ही जानते थे कि यह होगा। पाप का यह फल होता ही है।जब तुमने बड़ा मकान बनाया था, इनमें से कोई नहीं आया था कहने कि हम खुश हैं; कि हम बड़े आनंदित हैं कि तुमने बड़ा मकान बना लिया।
जो तुम्हारे सुख में सुखी नहीं हुआ, वह तुम्हारे दुख में दुखी कैसे हो सकता है? लेकिन सहानुभूति बताने का मजा है। और सहानुभुति लेने का भी मजा है। सहानुभूति बताने वाले को क्या मजा मिलता है? उसको मजा मिलता है कि आज मैं उस हालत में हूं जहां सहानुभूति बताता हूं। तुम उस हालत में हो, जहां सहानुभूति बतायी जाती है। आज तुम गिरे हो चारों खाने चित्त, जमीन पर पड़े हो। आज मुझे मौका है कि तुम्हारे घाव सहलाऊं, मलहम—पट्टी करूं। आज मुझे मौका है कि तुम्हें बताऊं कि मेरी हालत तुमसे बेहतर है।जब कोई तुम्हारे आंसू पोंछता है, तो जरा उसकी आंखों में गौर से देखना। वह खुश हो रहा है। वह यह खुश हो रहा है कि चलो, एक तो मौका मिला। नहीं तो अपनी ही आंखों के आंसू दूसरे पोंछते रहे जिंदगी भर। आज हम किसी और के आंसू पोंछ रहे हैं! और कम से कम इतना अच्छा है कि हमारी आंख में आंसू नहीं हैं। किसी और की आंखों में आंसू हैं। हम पोंछ रहे हैं!लोग जब दुख में सहानुभूति दिखाते हैं, तो मजा ले रहे हैं। वह मजा ले रहे है। वह स्वस्थ—चित्त का लक्षण नहीं है। और तुम भी दुखी होकर जो सहानुभूति पाने का उपाय कर रहे हो, वह भी रुग्ण दशा है।
यह पृथ्वी रोगियों से भरी है; मानसिक रोगियों से भरी है। यहां स्वस्थ आदमी खोजना मुश्किल है।