1 जुलाई से लागू होंगे 3 नए क्रिमिनल लॉ, निगम परिसर में दिया गया प्रशिक्षण ,नवीन आपराधिक कानूनों के माध्यम से अपराधियों पर काबू पाने की पहल
एनसीआरबी संकलन ऑफ क्रिमिनल लॉ ऐप एक व्यापक मार्गदर्शक
दुर्ग/ नगर पालिक निगम दुर्ग परिसर मोतीलाल वोरा सभागार में नवीन आपराधिक कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु इनके लागू किए जाने के पूर्व पुलिस विभाग के द्वारा जनप्रतिनिधिगण व अधिकारी/कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया। भारत सरकार द्वारा विगत दिनों तीन नवीन आपराधिक कानूनों का प्रकाशन राजपत्र में किया गया है। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) को भारतीय न्याय संहिता से बदल दिया गया है। तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत देश के अपराधियों पर काबू पाने की पहल की गयी है। ब्रिटिश काल में बनाए गए भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह इन तीनों नएप्रावधानों को लाया गया है। उक्त तीनों नवीन कानूनों को आगामी 01 जुलाई 2024 से लागू किया जाना है। पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा द्वारा नवीन आपराधिक कानून के प्रभावी क्रियान्वयन के संबंध में सभी रेंज के पुलिस महानिरीक्षक और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक को आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक झा ने प्रशिक्षण प्रदान किया। इसके अतिरिक्त भी पुलिसकर्मियों को रेंज एवं जिला स्तर पर नवीन कानूनों के संबंध में व्यापक रूप से जागरूक/प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक है। पुलिस अधीक्षक/पुलिस अनुविभागीय अधिकारी/उप पुलिस अधीक्षक को अपने-अपने अनुविभाग के थाना क्षेत्र में उस क्षेत्र के अनुविभागीय दंडाधिकारी, तहसीलदार एवं लोक अभियोजक से समन्वय स्थापित कर उपरोक्त नवीन कानून के संबंध में तिथिवार चिन्हित स्थान के साथ-साथ, शिक्षण संस्थानों, हाट-बाजारों या अन्य महत्वपूर्ण स्थान जहाँ पर लोगों को अधिक से अधिक नवीन कानून की जानकारी दिया जा सकता है, ऐसे स्थानों में कार्यक्रमों के माध्यम से जागरूकता/प्रशिक्षण देना सुनिश्चित करने कहा गया है।अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक झा दण्ड प्रक्रिया संहिता और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की जानकारी देते हुए बताया कि दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 को लागू किया गया है। जिसे 20 दिसंबर 2023 को लोकसभा द्वारा एवं 21 दिसंबर 2023 को राज्यसभा द्वारा पारित किया गया एवं 25 दिसंबर 2023 को राष्ट्रपति की अनुमति प्राप्त हुई जिसके पश्चात् भारत के राजपत्र में प्रकाशित किया गया। सीआरपीसी में पहले 484 धारायें थी इसकी जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) में 531 धारायें होंगी, इसमें 177 धाराओं में बदलाव किया गया है, 09 नयी धारायें जोड़ी गई है 39 नये सबसेक्शन जोड़े गये है, 44 नये प्रोवीजन और स्पष्टीकरण जोड़े गये है, 35 सेक्शन में टाइमलाइन जोड़ी गई है और 14 धाराओं को निरस्त कर हटाया गया है। इसके अलावा यह भी बताया गया कि नयी भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता के अनुसार विशेषकर महिलाओं एवं बच्चों के विरोध में होने वाले अपराधों को कम करने के लिए कई नियम बनाए गए है। महिला अपराधी की विवेचना महिला पुलिसकर्मी द्वारा की जाएगी।भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता पुरानी सीआरपीसी के स्थान पर नई सीआरपीसी के प्रर्वतन का उपबंध करती है इस धारा के अनुसार अन्वेषण के संबंध में नयी संहिता के लागू होने की पूर्व लंबित सभी अन्वेषण पूर्व सीआरपीसी के अनुसार पूर्ण किये जायेंगे भले ही अभियोग पत्र बीएनएसएस के लागू होने के पूर्व प्रस्तुत किया जाये अथवा बीएमएसएस के लागू होने के पश्चात प्रस्तुत किये हो ऐसे मामलों में जिनमें कि अन्वेषण बीएनएसएस के लागू होने के पश्चात किया जायेगा उनमें अन्वेषण नवीन संहिता के अनुसार किया जायेगा भले ही अपराध बीएनएसएस के लागू होने के पूर्व का हो या पश्चात का हो। इसी प्रकार जांच के संबंध में नयी संहिता के प्रर्वतन के पूर्व लंबित सभी जांचे पुरानी सीआरपीसी के अनुसार गलती रहेगी परंतु नयी संहिता के लागू होने के पश्चात सस्थित की जाने वाली सभी जांचे नवीन संहिता के अनुसार ही निराकृत किए जायेंगे, भले ही प्रकरण 1 जुलाई 2024 के पूर्व का हो। नयी संहिता के प्रर्वतन के पूर्व लंबित सभी आवेदन पुरानी सीआरपीसी के अनुसार चलते रहेने परंतु नयी संहिता के लागू होने के पश्चात संस्थित किये जाने वाले सभी आवेदन नवीन संहिता के अनुसार निराकृत किये जायेंगे, भले ही प्रकरण एक जुलाई 2024 के पूर्व का हो। नयी संहिता के लागू होने के पूर्व लंबित सभी विचारण पूर्ववत पुराने सीआरपीसी के अनुसार चलते रहेगें परन्तु नयी संहिता के लागू होने के पश्चात प्रस्तुत किये गये अभियोग पत्र में विचारण नयी संहिता के अनुसार ही किया जायेगा भले ही घटना नयी संहिता लागू होने की पूर्व की हो अथवा पश्चात की हो। नयी संहिता के लागू होने के पूर्व लंबित सभी अपीले पूर्ववत पुराने सीआरपीसी से सुनी व निराकृत की जायेगी परन्तु नवीन संहिता के लागू होने के पश्चात की जाने वाली अपीले नवीन संहिता के अनुसार ही ग्राह्य एवं निराकृत की जायेंगी भले ही विचारण पुरानी संहिता के अनुसार किया गया हो एवं निर्णय नयी संहिता के लागू होने के पूर्व घोषित किया गया हो। यहाँ पर संहिता का प्रवर्तन अपील प्रस्तुति पर निर्भर करेगा। पूर्व लंबित पुनरीक्षण पुरानी सीआरपीसी के अनुसार चलते रहेंगे, नवीन संहिता के लागू होने के पश्चात किये पुनरीक्षण नवीन संहिता के अनुसार ही निपटाये जायेंगे क्योकि पुनरीक्षण को पुरानी कार्यवाही का चालू रहना नहीं कहा जा सकता है।प्रशिक्षण के दौरान एनसीआरबी संकलन ऑफ क्रिमिनल लॉ ऐप के बारे में बताया गया। संकलन ऐप को पुराने और नए क्रिमिनल लॉ के बीच एक मीडियम के रूप में नए आपराधिक कानूनों के माध्यम से नेविगेट करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह ऐप सभी हितधारकों के लिए एक व्यापक मार्गदर्शक के रूप में काम करेगा। ऐप ऑफलाइन मोड में भी काम करेगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम में शिक्षा विभाग, श्रम विभाग, वन विभाग, स्वास्थ्य विभाग, अन्य संबंधित विभागों के विभागीय अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि मौजूद थे।