बाढ़ एवं आपदा प्रबंधन हेतु जिला कार्यालय दुर्ग में बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित , बाढ़ संबंधी समस्या होने पर दूरभाष नंबर पर कर सकेंगे संपर्क

 बाढ़ एवं आपदा प्रबंधन हेतु जिला कार्यालय दुर्ग में बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित , बाढ़ संबंधी समस्या होने पर दूरभाष नंबर पर कर सकेंगे संपर्क

दुर्ग/ कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी ने मानसून सत्र को दृष्टिगत रखते हुए बाढ़ एवं आपदा की स्थिति में प्रबंधन हेतु जिला कार्यालय, अनुविभाग कार्यालय, तहसील कार्यालय, नगर निगम, दुर्ग, भिलाई, रिसाली, भिलाई-चरोदा, भिलाई-3 व जिला सेनानी एवं नगर सेना दुर्ग में बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित किये जाने के निर्देश दिए है। बाढ़ नियंत्रण कक्ष 1 जून 2024 से 31 अक्टूबर 2024 तक 24 घंटे स्थापित रहेंगे। इसके लिए जिला स्तर पर लता युगल उर्वशा डिप्टी कलेक्टर दुर्ग (मो.) एवं तहसील स्तर पर आदित्य कुंजाम अधीक्षक भू-अभिलेख दुर्ग (मो. ), प्रफुल्ल कुमार गुप्ता तहसीलदार दुर्ग (मो. ), पंचराम सालमे तहसीलदार धमधा (मो. ) एवं मीना साहू तहसीलदार पाटन (मो. ) बाढ़ नियंत्रण कक्ष हेतु प्रभारी बनाए गए हैं। समस्त अधिकारी कर्मचारियों की बाढ़ नियंत्रण कक्ष में शिफ्टवार ड्यूटी लगाकर कंट्रोल रूम के फोन नंबर की सूचना फलक बनाई जाएगी। जिला कार्यालय के बाढ़ नियंत्रण कक्ष के दूरभाष नंबर एवं तहसील स्तरीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष के दूरभाष नंबर संभावित बाढ़ प्रभावित ग्रामों की ग्राम पंचायत/शाला भवनों में लिखवाए जाएंगे एवं संभावित बाढ़ प्रभावित ग्राम में पदस्थ शासकीय कर्मचारी व ग्राम के प्रमुख व्यक्तियों के मोबाइल नंबर नियंत्रण कक्ष में रखे जाएंगे।ज्ञात हो कि इस सिलसिले में कलेक्टर चौधरी की अध्यक्षता में विगत 21 मई 2024 को कार्यालय कलेक्टर के सभा कक्ष में समीक्षा बैठक आयोजित की गई थी। जिसमें उन्होंने इस वर्ष भारी मात्रा में वर्षा होने की जानकारी देते हुए संबंधित विभाग प्रमुखों को जिले के सभी तहसीलों, नगरीय निकायों में कंट्रोल रूम स्थापित करने, नोडल अधिकारियों की नियुक्ति एवं बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में बाढ़ आने की स्थिति में प्रभावितों को शिफ्टिंग हेतु स्थाई राहत कैंप चिन्हांकित कर भोजन इत्यादि की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए। इसके अलावा कलेक्टर चौधरी ने बाढ़ बचाव एवं राहत व्यवस्था हेतु वर्षा मापी यंत्र की जांच, संभावित प्रभावित क्षेत्र की जानकारी, अस्थाई राहत कैंप, खाद्यान्न व्यवस्था, विद्युत व्यवस्था, चिकित्सा व्यवस्था, वाहन व्यवस्था, नाव व बचाव सामग्री की व्यवस्था, खाद बीज की व्यवस्था, गाज गिरने से बचाव, पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था, नदियों एवं नालों के पुल में आवागमन व्यवस्था, राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 अंतर्गत सहायता, शाला भवन मरम्मत एवं बांधों के जल स्तर इत्यादि बिंदुओं की समीक्षा करते हुए आवश्यक निर्देश दिए।कलेक्टर चौधरी ने जलसंसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता को जिले के प्रत्येक विकासखण्डों में स्थापित वर्षामापी केंद्रों में यंत्रों की वर्तमान स्थिति की जांच के निर्देश दिए एवं वर्षा रिपोर्ट प्रतिदिन सुबह 09 बजे से पूर्व प्राप्त हो जाये ऐसीव्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा। जिले के समस्त अनुविभागीय अधिकारी एवं कार्यपालन अभियंता, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी दुर्ग को प्रभावित क्षेत्रों के पीने योग्य स्वच्छ पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करने तथा बिगड़े हुए हैंडपंप को तत्काल सुधार कराने के निर्देश दिए गए हैं। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, नगरीय निकाय एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों एवं राहत शिविरों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने निर्देशित किया गया है। जिले में प्रभावित क्षेत्रों के उचित मूल्य दुकानों में पर्याप्त खाद्यानन एवं मिट्टी तेल भण्डारण की व्यवस्था तथा राहत केम्पों में भोजन पकाने हेतु पर्याप्त खाद्यान्न एवं बर्तनों की व्यवस्था किये जाने हेतु खाद्य नियंत्रक दुर्ग को निर्देश दिए गए हैं। उपसंचालक पशु चिकित्सा सेवाएं दुर्ग को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पशुओं कोसुरक्षित स्थान पर रखने हेतु स्थल चयन करने एवं चारा पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करने तथा पशुओं की बीमारी की रोकथाम एवं उपचार हेतु दवाईयों एवं चिकित्सकों की व्यवस्था किए जाने के निर्देश दिए गए है। जिले के प्रमुख सड़कों में आने वाले नदी एवं नालों के पुल-पुलियों का निरीक्षण कर जल्द से जल्द आवश्यकतानुसार मरम्मत करवाने कहा गया है।