ओशो- हजारों-लाखों पक्षी हर साल यात्रा करते हैं हजारों मील की। सर्दियां आने वाली हैं, बर्फ पड़ेगी, तो बर्फ के इलाके से पक्षी उड़ना शुरू हो जाएंगे। हजारों मील दूर किसी दूसरी जगह वे पड़ाव डालेंगे। वहां तक पहुंचने में अभी उन्हें दो महीने लगेंगे, महीना भर लगेगा। अभी बर्फ गिरनी शुरू नहीं हुई, महीने भर बाद गिरेगी। ये पक्षी कैसे हिसाब लगाते हैं कि अब महीने भर बाद बर्फ गिरेगी? क्योंकि अभी हमारी मौसम को बताने वाली जो वेधशालाएं हैं वे भी पक्की खबर नहीं दे पाती हैं। मैंने तो सुना है कि कुछ मौसम की खबर देने वाले लोग पहले ज्योतिषियों से पूछ जाते हैं सड़कों पर बैठे हुए कि आज क्या ख्याल है–पानी गिरेगा कि नहीं?आदमी ने अभी जो-जो व्यवस्था की है वह बचकानी मालूम पड़ती है। ये पक्षी एक-डेढ़ महीने, दो महीने पहले पता करते हैं कि अब बर्फ कब गिरेगी। और हजारों प्रयोग करके देख लिया गया है कि जिस दिन पक्षी उड़ते हैं, हर पक्षी की जाति का निश्चित दिन है। हर वर्ष बदल जाता है वह निश्चित दिन, क्योंकि बर्फ का कोई ठिकाना नहीं है। लेकिन हर पक्षी का तय है कि वह बर्फ गिरने के एक महीने पहले उड़ेगा, तो हर वर्ष वह एक महीने पहले उड़ता है। बर्फ दस दिन बाद गिरे तो वह दस दिन बाद उड़ता है; बर्फ दस दिन पहले गिरे तो वह दस दिन पहले उड़ता है। यह बर्फ के गिरने का कुछ निश्चय तो नहीं है, ये पक्षी कैसे उड़ जाते हैं महीने भर पहले पता लगा कर?जापान में एक चिड़िया होती है जो भूकंप आने के चौबीस घंटे पहले गांव खाली कर देती है। साधारण गांव की चिड़िया है। हर गांव में बहुत होती हैं। भूकंप आने के चौबीस घंटे पहले चिड़िया गांव खाली कर देती है। अभी भी वैज्ञानिक दो घंटे के पहले भूकंप का पता नहीं लगा पाते। और दो घंटे पहले भी अनसर्टेंटी होती है, पक्का नहीं होता है। सिर्फ प्रोबेबिलिटी होती है, संभावना होती है कि भूकंप हो सकता है। लेकिन चौबीस घंटे पहले! तो जापान में तो भूकंप का फौरन पता चल जाता है। जिस गांव से चिड़िया उड़ जाती है उस गांव के लोग समझ जाते हैं कि भाग जाओ। चौबीस घंटे का वक्त है, वह चिड़िया हट गई है, गांव में दिखाई नहीं पड़ती। इस चिड़िया को कैसे पता चलता होगा?
वैज्ञानिक अभी दस वर्षों में एक नयी बात कह रहे हैं और वह यह कि प्रत्येक प्राणी के पास कोई ऐसी अंतर-इंद्रिय है जो जागतिक प्रभावों को अनुभव करती है। शायद मनुष्य के पास भी है, लेकिन मनुष्य ने अपनी बुद्धिमानी में उसे खोया है। मनुष्य अकेला प्राणी है जगत में जिसके पास बहुत सी चीजें हैं जो उसने बुद्धिमानी में खो दी हैं; और बहुत सी चीजें जो उसके पास नहीं थीं उसने बुद्धिमानी में उनको पैदा करके खतरा मोल ले लिया है। जो है उसे खो दिया है, जो नहीं है उसे बना लिया है।
लेकिन छोटे से छोटे प्राणी के पास भी कुछ संवेदना के अंतर-स्रोत हैं। और अब इसके लिए वैज्ञानिक आधार मिलने शुरू हो गए हैं कि अंतर-स्रोत हैं। ये अंतर-स्रोत इस बात की खबर लाते हैं कि इस पृथ्वी पर जो जीवन है वह आइसोलेटेड नहीं है, वह सारे ब्रह्मांड से संयुक्त है। और कहीं भी कुछ घटना घटती है तो उसके परिणाम यहां होने शुरू हो जाते हैं।
जैसा मैं आपसे कह रहा था पैरासेलीसस के संबंध में, आधुनिक चिकित्सक भी इस नतीजे पर पहुंच रहे हैं कि जब भी सूर्य पर… सूर्य पर अनेक बार धब्बे प्रकट होते हैं। ऐसे भी सूर्य पर कुछ धब्बे, डाट्स, स्पाट्स होते हैं। कभी वे बढ़ जाते हैं, कभी वे कम हो जाते हैं। जब सूर्य पर स्पाट्स बढ़ जाते हैं तो जमीन पर बीमारियां बढ़ जाती हैं। और जब सूर्य पर स्पाट्स कम हो जाते हैं तो जमीन पर बीमारियां कम हो जाती हैं। और जमीन से हम बीमारियां कभी न मिटा सकेंगे, जब तक सूर्य के स्पाट्स कायम हैं।
हर ग्यारह वर्ष में सूरज पर भारी उत्पात होता है, बड़े विस्फोट होते हैं। और जब ग्यारह वर्ष में सूरज पर विस्फोट होते हैं और उत्पात होते हैं तो पृथ्वी पर युद्ध और उत्पात होते हैं। पृथ्वी पर युद्धों का जो क्रम है वह हर दस वर्ष का है। महामारियों का जो क्रम है वह दस और ग्यारह वर्ष के बीच का है। क्रांतियों का जो क्रम है वह दस और ग्यारह वर्ष के बीच का है।
एक बार ख्याल में आना शुरू हो जाए कि हम अलग और पृथक नहीं हैं, संयुक्त हैं, आर्गेनिक हैं, तो फिर ज्योतिष को समझना आसान हो जाएगा। इसलिए मैं ये सारी बातें आपसे कह रहा हूं। कुछ आदमी को ऐसा ख्याल पैदा हो गया था–अब भी है–कि ज्योतिष एक सुपरस्टीस्यन , एक अंधविश्वास है। बहुत दूर तक यह बात सच भी मालूम पड़ती है। असल में वही चीज अंधविश्वास मालूम पड़ने लगती है जिसके पीछे हम वैज्ञानिक कारण बताने में असमर्थ हो जाएं। वैसे ज्योतिष बहुत वैज्ञानिक है। और विज्ञान का अर्थ ही होता है कि कॉज और एफेक्ट के बीच, कार्य और कारण के बीच संबंध की तलाश!
ज्योतिष कहता यही है कि इस जगत में जो भी घटित होता है उसके कारण हैं। हमें ज्ञात न हों, यह हो सकता है। ज्योतिष यह कहता है कि भविष्य जो भी होगा वह अतीत से विच्छिन्न नहीं हो सकता, उससे जुड़ा हुआ होगा। आप कल जो भी होंगे वह आज का ही जोड़ होगा। आज तक आप जो हैं वह बीते हुए कल का जोड़ है। ज्योतिष बहुत वैज्ञानिक चिंतन है। वह यह कहता है कि भविष्य अतीत से ही निकलेगा। आपका आज कल से निकला है, आपका आने वाला कल आज से निकलेगा। और ज्योतिष यह भी कहता है कि जो कल होने वाला है वह किसी सूक्ष्म अर्थों में आज भी हो जाना चाहिए।
अब इसे थोड़ा समझें। अब्राहम लिंकन ने मरने के तीन दिन पहले एक सपना देखा, जिसमें उसने देखा कि उसकी हत्या कर दी गई है और व्हाइट हाउस के एक खास कमरे में उसकी लाश पड़ी हुई है। उसने नंबर भी कमरे का देखा। उसकी नींद खुल गई। वह हंसा, उसने अपनी पत्नी को कहा कि मैंने एक सपना देखा है कि मेरी हत्या कर दी गई है और फलां-फलां नंबर–उसी मकान में तो वह सोया हुआ है व्हाइट हाउस के–इस मकान के फलां नंबर के कमरे में मेरी लाश पड़ी है। मेरे सिरहाने तू खड़ी हुई है और आस-पास फलां-फलां लोग खड़े हुए हैं। हंसी हुई, बात हुई; लिंकन सो गया, पत्नी सो गई। तीन दिन बाद लिंकन की हत्या हुई और उसी नंबर के कमरे में और उसी जगह उसकी लाश तीन दिन बाद पड़ी थी और उसी क्रम में आदमी खड़े थे।
अगर तीन दिन बाद जो होने वाला है वह किसी अर्थों में आज ही न हो गया हो तो उसका सपना कैसे निर्मित हो सकता है? उसकी सपने में झलक भी कैसे मिल सकती है? सपने में झलक तो उसी बात की मिल सकती है जो किसी अर्थ में अभी भी कहीं मौजूद हो। तो हम उसकी एक ग्लिम्प्स, खिड़की खोलें और हमें दिखाई पड़ जाए। लेकिन खिड़की के बाहर मौजूद हो! लेकिन कहीं मौजूद हो।
ज्योतिष का मानना है कि भविष्य हमारा अज्ञान है इसलिए भविष्य है। अगर हमें ज्ञान हो तो भविष्य जैसी कोई घटना नहीं है। वह अभी भी कहीं मौजूद है।