शिक्षा विभाग के अधिकारियों को जिले में शिक्षा के स्तर और बेहतर बनाने की दिशा में प्रयास करने तथा नवाचार को अपनाने दिए निर्देश
शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने से पहले कार्य योजना बनाकर सभी आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित करें-कलेक्टर चौधरी
दुर्ग/कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी की अध्यक्षता में आज कृष्णा पब्लिक स्कूल के सभागार में शासकीय एवं अशासकीय विद्यालयों के प्राचार्यो की संयुक्त बैठक आयोजित की गई। प्राचार्यो की बैठक लेकर शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने से पहले कार्य योजना बनाकर सभी आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। आगामी 16 जून से शत-प्रतिशत स्कूलों में शाला प्रवेश उत्सव मनाने तथा पाठ्य-पुस्तक, गणवेश एवं साइकिल वितरण कराने को कहा। शिक्षा विभाग के अधिकारियों को जिले में शिक्षा के स्तर और बेहतर बनाने की दिशा में प्रयास करने तथा नवाचार को अपनाने के निर्देश दिए।बच्चों के विकास और भविष्य के लिए पढ़ाई का होना बहुत जरूरी माना गया है और उन्हें शिक्षा स्कूलों से प्राप्त होती है।स्कूल कई प्रमुख तरीकों से बच्चों के संज्ञानात्मक और शैक्षणिक विकास में योगदान देते हैं। बच्चों का विकास करना और उनकी क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रत्येक शिक्षक और प्राचार्य की जिम्मेदारी है। बच्चे के उज्जवल भविष्य के लिए यह बेहद जरूरी है कि पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ वह अन्य गतिविधियों में भी सक्रिय रहेकलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी ने कहा कि परीक्षा में बेहतर परिणाम के लिए बालक-बालिकाओं के साथ-साथ शिक्षकों को मेहनत करने की आवश्यकता है। शिक्षा के स्तर में सुधार औरों परीक्षा परिणाम बेहतर हो इसके लिए बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों को भी मेहनत करनी होगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार (आरटीई) पोर्टल का सत्यापन आप लोगों के द्वारा किया जाता है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को आरटीई का लाभ मिल सके, यह सुनिश्चित करें।कलेक्टर ने शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए स्कूल के अध्यापकों को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि बच्चों को उनके पाठ्यपुस्तकों से पढ़ाई कराएं, बच्चों को कुंजी से पढ़ाते हुए कोई अध्यापक पाए जाने पर उस पर कार्यवाही की जाएगी। साथ ही शिक्षकों को बच्चों को विषयवार नोटस बनाने प्रेरित करने को कहा। जो सफलता व ज्ञान पाठ्यपुस्तक से मिल सकती है वह ज्ञान कंुजी से नही मिल सकती। स्कूलों के प्राचार्य से परिणामों में कमियों का संज्ञान लिया और परीक्षा परिणाम पूर्व वर्ष के परिणामों से बेहतर करने के निर्देश दिए। उन्होंने कमजोर बच्चों पर विशेष ध्यान देने को कहा। इसके लिए बच्चों का वर्गीकरण किया जाए, ताकि पता चल सके कौन सा बच्चा पढ़ाई में उत्तम है, मध्यम है और कौन सा बच्चा कमजोर है, उस आधार पर उसकों गाईड लाईन देना है। उन्होंने कहा संवाद सबसे अच्छा माध्यम है एक शिक्षक का संवाद जितना अच्छा रहेगा बच्चे और शिक्षक की दूरिया उतनी ही कम होगी। बच्चे खुलकर विषयवार अपनी समस्या बता सकेंगे। उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी को सभी शासकीय एवं निजी स्कूलों में आधार कार्ड बनाने के लिए शिविर लगाने को कहा, ताकि स्कूल में भर्ती के समय आधार कार्ड से संबंधित समस्या न आए। कलेक्टर ने आरटीई के तहत दिए गए प्रवेश में से लगभग 10 प्रतिशत बच्चों के ड्रॉप आउट होने पर चिंता प्रकट की तथा विद्यालयवार इसकी समीक्षा करने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने जिले में स्कूलों से ड्रॉप आउट बच्चों से शाला त्यागने की वजह को जानकर उनकी समस्याओं का समाधान करवाने पहल करने को कहा। उन्होंने स्कूल के प्राचार्य को इसके लिए विशेष प्रयास करने हेतु निर्देशित किया गया। कलेक्टर ने कहा कि बच्चे स्कूल क्यों नहीं आ रहे इसकी जानकारी स्कूल के प्राचार्य को होनी चाहिए। जिले में सभी स्कूलों का संचालन समय सारिणी के अनुरूप हो यह सुनिश्चित करें। साथ ही सभी शासकीय एवं निजी स्कूल के शिक्षक और प्राचार्य विद्यालय समय पर पहुंचे इसका विशेष ध्यान रखे।कलेक्टर ने कहा कि निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत प्रत्येक बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। सभी बच्चों को शिक्षा का अवसर मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि निजी विद्यालयों में आरटीई के तहत कोई भी बच्चा प्रवेश करता है, तो उसके साथ वैसा ही व्यवहार करें जिस प्रकार सामान्य तौर पर प्रवेशित बच्चों के साथ व्यवहार करते हैं। उन्होंने कहा कि अधिनियम के तहत प्रवेशित कुछ बच्चे पढ़ाई के मध्य में ही विद्यालय का त्याग कर देते हैं, परंतु उनक विद्यार्थियों का नाम पोर्टल में प्रदर्शित होता रहता है। ऐसी स्थिति में संबंधित विद्यालय के द्वारा उनविद्यार्थियों को ड्राप आउट मार्क किया जाना अनिवार्य है, परंतु अधिकांश विद्यालयों द्वारा आरटीई पोर्टल में कार्यवाही नही की जाती है। जिले में समर कैम्प चल रहा है, जिससे बच्चों की प्रतिभाएं बाहर निकलकर आ रही है। उन्होंने कहा कि समर कैम्प के माध्यम से बच्चों की प्रतिभाओं का चिन्हांकन करना है और उसे उस दिशा में विकसित करना है। बच्चों में व्यक्तित्व विकास और आत्मविश्वास होना चाहिए। बच्चों के विकास के लिए क्या बेहतर कार्य कर सकते हैं इसके लिए कार्ययोजना बनानी चाहिए। निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अंतर्गत विद्यालयों द्वारा विद्यार्थियों को स्कूल पाठ्यपुस्तकें, गणवेश एवं लेखन सामग्री विद्यार्थियों को निःशुल्क उपलब्ध कराया जाता है।कलेक्टर ने कहा कि 9वीं, 10वीं, 11वीं एवं 12वीं कक्षा के बच्चों पर विशेष ध्यान देते हुए उनको थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिकल भी कराएं, ताकि आगे चलकर उनको परेशानी न हो। उन्होंने कहा कि स्कूलों की फीस की राशि न देने के फलस्वरूप छात्र-छात्राओं के परिजनों पर अनावश्यक रूप से दबाव बनाना, परीक्षा में न बैठने देने, टीसी नही देने संबंधी शिकायते पाए जाने पर संबंधित स्कूलों के प्राचार्यो के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। राज्य सरकार के निर्देशानुसार 10 अगस्त को मेगा पीटीएम किया जाएगा।बैठक में उपस्थित क्लस्टर अकेडमिक कोऑडिनेशन (सीएसई) को स्कूलों का महीने में दो बार निरीक्षण करने को कहा। उनकों शिक्षकों की गतिविधियों व उनके पढ़ाने का तरिका व बच्चों को समझ आ रहा है कि नही, बच्चों के प्रति उनका व्यवहार, विषय समय पर कव्हर हो पा रहा है कि नही इत्यादि पर मॉनिटरिंग करते हुए अपनी मॉनिटरिंग रिपोर्ट रजिस्टर में एंट्री करने को कहा। स्कूलों के पढ़ाई व्यवस्था सुधार के लिए बीईओ को लगातार भ्रमण करने कहा गया। कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी ने शासकीय एवं निजी स्कूल के प्राचार्यो से आरटीई के संबंध में प्राप्त निर्देशों के क्रियान्वयन, बालक बालिका शौचालय, अहाता एवं पहुंच मार्ग, विद्यालय प्रांगण में अतिक्रमण, स्कूल मैपिंग, यू डाईस में डाटा एंट्री इत्यादि के संबंध में चर्चा की।दुर्ग जिले के लिए विद्यालयों के बोर्ड परीक्षाओं में शतप्रतिशत परिणाम दिलाने वाले प्राचार्याे तथा उल्लास नव भारत साक्षरता कार्यक्रम में बेहतर कार्य करने हेतु बीईओ कैलाश साहू, पाटन शिक्षक कमलकांत देवांगन, सीएसी चंद्रहास देवांगन एव श्रीमती सुमन प्रधान को प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। बैठक में जिला शिक्षाअधिकारी अरविंद मिश्रा, समग्र शिक्षा अधिकारी सुरेन्द्र पाण्डेय, सहायक संचालक पुष्पा पुरूषोत्तमन सहित शासकीय एवं निजी विद्यालय के प्राचार्या उपस्थित थे।