मनुष्य कुछ भी खोजता हो, परमात्मा को ही खोजता है “ओशो”
ओशो– मनुष्य के मन का ठीक-ठीक विश्लेषण करो तो तुम्हें पता चलेगा: मनुष्य कुछ भी खोजता हो, परमात्मा को ही खोजता है। और चूंकि कहीं भी नहीं पाता, इसलिए सब जगह से विषादग्रस्त होकर, संतापग्रस्त होकर लौट आता है।
पत्नी में तुमने खोजना चाहा था एक ऐसा सौंदर्य जो कभी कलुषित न हो। तुम्हारी आकांक्षा परमात्मा की है; वही एक सौंदर्य है जो कभी कलुषित नहीं होता। तुमने पत्नी में एक ऐसा यौवन खोजना चाहा था जो कभी मुरझाएगा नहीं। लेकिन वह तो सिर्फ परमात्मा का ही है जो कभी नहीं मुरझाता। इस जगत में तो सब मुरझा जाएगा। जो जवान है, बूढ़ा होगा। जो सुंदर है, कुरूप हो जाएगा। जो आज ताजा है, कल बासा हो जाएगा। यहां तो सब सुगंधें दुर्गंधें बन जाती हैं। और यहां सब सौंदर्य ढल जाता है। यहां फूल खिलते हैं–कुम्हलाने को। तुमने एक ऐसा फूल चाहा था जो कभी न कुम्हलाए। फिर तुमने जिस फूल को चाहा, वह कुम्हलाया। फिर पीड़ा लगी, फिर चोट लगी। ऐसी ही चोटों का नाम संसार है। ऐसे ही घाव बढ़ते चले जाते हैं।
मूढ़ आदमी वही है जो फिर-फिर उन्हीं घुनघुनों को पकड़ लेता है; फिर-फिर उन्हीं खिलौनों को चूसने लगता है। समझदार वह है जो देख लेता है कि घुनघुनों से दूध नहीं बहता है।
धन से कोई भी कभी आकांक्षा से मुक्त नहीं होगा और पद से कोई कभी परमपद पर नहीं पहुंचता है। जिसको यह बात दिखाई पड़ गई, उसकी भूख खालिस रह गई; इस संसार में कोई उसकी भूख नहीं भरता। उस खालिस भूख से प्रार्थना उठती है; परमात्मा को जानने से नहीं उठती। खालिस भूख, भूख और भूख और भूख! और इस जगत में कोई चीज तृप्त करने वाली नहीं। सब देख लिया, सब परख लिया, कोई चीज तृप्त करती नहीं।
फिर क्या करोगे? भूख तो है, प्यास तो है। प्रेम तो अग्नि की लपटों की तरह उठ रहा है। और अब इन लपटों को उलझाने वाले पात्र भी न रहे–न पत्नी उलझाती न पति उलझाता, न धन न पद, कोई नहीं उलझाता। सब हैं अपनी जगह, लेकिन अब तुम्हारी इस अतृप्ति के लिए तृप्त करने वाली कोई चीज नहीं है यहां। उन्हीं क्षणों में आंखें आकाश की तरफ उठती हैं, अज्ञात की तरफ उठती हैं। ज्ञात को तो छान लिया, अब अज्ञात को खोजें। जो दिखाई पड़ता है, उसको तो खूब परख लिया; अब जो नहीं दिखाई पड़ता, उसकी यात्रा में चलें। बाहर जो था उसको तो खूब तलाशा और हर बार और भी ज्यादा विषादग्रस्त होकर अपने में गिर गए; अब भीतर खोजें; अब अंतर्यात्रा पर निकलें।
ओशो आश्रम उम्दा रोड भिलाई-३