ओशो- मैं सुख का विरोधी नहीं हूं। मैं तुमसे यह नहीं कह रहा हूं कि तुम सब बांटकर और दुखी हो जाओ। मैं तुमसे यह भी नहीं कह रहा हूं कि तुम जाकर फकीर हो जाओ। मैं तुमसे यह भी नहीं कह रहा हूं कि तुम दीन-हीन होकर भटकने लगो। मैं तुमसे यही कह रहा […]Read More
भिलाई/ सोमवार की शाम को नगर पालिक निगम भिलाई चरोदा के वार्ड 25 पंचशील नगर (पूर्व) के पार्षद एवं एमआईसी सदस्य एस वेंकट रमना के कार्यालय में जमकर तोड़फोड़ किया गया वही पार्षद को अश्लील गलियां देकर जान से मारने की धमकी दी गई है। यह भी कहा गया कि हथखोज के पार्षद सुरज बन्छोर […]Read More
अगर हिंदुस्तान में युवकों के भीतर पैदा होते अनुशासनहीनता और
ओशो- एक और प्रश्न इसी संदर्भ में पूछा है कि युवकों में, सारे मुल्क में विद्यार्थियों में विरोध है, आंदोलन है, अनुशासन टूट रहा है। क्या उसके लिए कहूं? तो इसी संदर्भ में यह कहना चाहता हूं कि यह विद्रोह शुभ है। यह आंदोलन बुरा नहीं है, यह अच्छे लक्षण हैं। हालांकि अभी जो उसने […]Read More
“जैसे जल से लहरें उठती है और अग्नि से लपटें, वैसे ही सर्वव्यापक हम से लहराता है।‘’ ओशो- पहले तो यह समझने की कोशिश करो लहर क्या है, और तब तुम समझ सकते हो कि कैसे यह चेतना की लहर तुम्हें ध्यान में ले जाने में सहयोगी हो सकती है। तुम सागर में उठती लहरों […]Read More
प्रश्नः ओशो, मैं चारों ओर ऐसे लोग देख रही हूं जो आनंदित हैं। यह सुंदर बात है। लेकिन मैं अपने आप से पूछती हूं कि इनमें से कितने युवक-युवतियां अपने माता-पिताओं को घर पर संताप में छोड़ आए हैं? क्या यह उचित है कि वे केवल अपनी ही फिक्र करें और दूसरे दायित्वों को भूल […]Read More
ओशो- अगर हम एक ऐसे आदमी की कल्पना करें, जिसके पास बड़ा महल है, लेकिन सामान इतना है कि भीतर जाने का उपाय नहीं है। तो वो बाहर बरामदे में ही निवास करता है। हम सब भी वैसे ही आदमी हैं। मन तो इतना भरा है कि वहां आत्मा के रहने की जगह नहीं हो […]Read More
संसार से मुक्त होने का अर्थ ओशो- बर्ट्रेंड रसेल ने ज्ञान के दो विभाजन किए हैं। एक को कहा है नालेज, ज्ञान, और एक को कहा है एक्येनटेंस, परिचय। तो जो हम सिद्धात से जानते हैं, वह परिचय मात्र है, मियर एक्येनटेंस। वह ज्ञान नहीं है। जिसको रसेल ने ज्ञान कहा है, उसी को कृष्ण […]Read More
दुर्ग/ भारती विश्वविद्यालय, दुर्ग के विधि संकाय, वाणिज्य एवं प्रबंधन संकाय, समाज कार्य विभाग तथा खाद्य एवं पोषण विभाग द्वारा संयुक्त रूप से शिक्षणेत्तर भ्रमण का आयोजन किया गया। जिसमें संबंधित विभागों के विद्यार्थियों द्वारा अपने प्राध्यापकों के मार्गदर्शन में वृद्धाश्रम, अनाथालय, बाल आश्रय गृह, राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण बोर्ड की संस्था ग्रामीण विकास संस्थान व […]Read More
ओशो- मैं के साथ आपका नाम जुड़ा हुआ है, मेरा नाम जुड़ा हुआ है। अगर आपका नाम राम है, कोई राम को गाली दे दे तो आप अपना होश खो देंगे। लेकिन क्या कभी आपने सोचा कि किसी का कोई नाम होता है? क्या कभी विचार किया कि राम क्या मेरा नाम है? क्या किसी […]Read More
ओशो- ध्यान चेतना की विशुद्ध अवस्था है- जहां कोई विचार नहीं होते, कोई विषय नहीं होता। साधारणतया हमारी चेतना विचारों से, विषयों से, कामनाओं से आच्छादित रहती है। जैसे कि कोई दर्पण धूल से ढका हो। हमारा मन एक सतत प्रवाह है- विचार चल रहे हैं, कामनाएं चल रही हैं, पुरानी स्मृतियां सरक रही हैं- […]Read More