ओशो- स्वयं से चूक जाना ही त्याग है। इस जगत में हमारे मन में, जब भी हम कुछ पाने की इच्छा से चलते हैं, जब भी हम भोगना चाहते हैं, तब हमें कुछ त्यागना पड़ता है। और ध्यान रहे, जब भी हम जगत में कुछ भोगना चाहते हैं, तो हमें स्वयं को त्यागना पड़ता है, […]Read More
ओशो- दो शरीरों को मिलना हो, तो भौतिक अर्थों में एकांत चाहिए। दो आत्माओं को मिलना हो, तो भीड़ में भी मिल सकती हैं। भौतिक अर्थों में एकांत का फिर कोई अर्थ नहीं है। इस भीड़ में भी दो आत्माओं का मिलन हो सकता है। क्योंकि भीड़ तो शरीर के तल पर है। यह बहुत […]Read More
प्रेम में पड़ना जैविकओशो- गिरना हमेशा आसान होता है। आप किसी भी खाई में गिर सकते हैं. बाहर निकलना मुश्किल है. लेकिन तुम्हें बाहर निकलना होगा. एक बार प्रेम लुप्त हो गया तो खाई नर्क बन जाती है। फिर दोनों ओर से झगड़ा, बहस, नोक-झोंक और हर तरह की गंदी-गंदी बातें होती हैं। कोई भी […]Read More
ओशो- मैं तुम्हें राज्यों के बिना राजा बना सकता हूं , तुम सिर्फ राजाओं की तरह अभिनय करो, और इतनी समग्रता से अभिनय करो कि तुम्हारे सामने एक असली राजा भी ऐसे दिखाई देगा जैसे वह सिर्फ अभिनय कर रहा है।और जब संपूर्ण ऊर्जा उसमें उतरती है, यह वास्तविकता बन जाता है! ऊर्जा हर चीज […]Read More
प्रश्न- मन चंचल है। और बिना अभ्यास और वैराग्य के वह कैसे स्थिर होगा? ओशो– यह बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है और जिस ध्यान की साधना के लिए हम यहां इकट्ठे हुए हैं, उस साधना को समझने में भी सहयोगी होगा। इसलिए मैं थोड़ी सूक्ष्मता से इस संबंध में बात करना चाहूंगा। पहली बात तो यह […]Read More
ओशो– धर्म अनुभव की बात कभी नहीं करता है, सिर्फ विधि की बात करता है। वह बताता है कि यह कैसे होगा, लेकिन यह नहीं बताता कि क्या। क्या को तुम पर छोड़ दिया जाता है।’ बुद्ध निरंतर चालीस वर्षों तक कहते रहे कि मुझसे सत्य, ईश्वर, मोक्ष और निर्वाण के संबंध में प्रश्न मत […]Read More
ओशो– प्रत्येक धर्म जन्मता तो उनके बीच है, जो पंडित नहीं होते, लेकिन हाथ उनके पड़ जाता है अंततः, जो पंडित होते हैं। यह दुर्भाग्य है, लेकिन यह भी नियम है।जब कोइ धर्म का जन्म होता है, तो वह उस आदमी में होता है, जिसका मन खो गया होता है, तब वह पूर्ण को जानता […]Read More
ओशो– प्रेम के साथ ईर्ष्या का कुछ भी लेना देना नहीं है। वास्तव में तुम्हारे तथाकथित प्रेम का भी प्रेम के साथ कुछ भी लेना देना नहीं है। ये सुंदर शब्द हैं जिनका तुम बिना जाने हुए कि उनका अर्थ क्या है? बिना उसका अनुभव किए हुए कि उनका क्या अर्थ है? प्रयोग किये चले […]Read More
ओशो– मौत दुख देती है, क्योंकि मौत के साथ पहली दफा हमें पता चलता है, अब कोई भविष्य नहीं है। मौत दरवाजा बंद कर देती है भविष्य का, वर्तमान ही रह जाता है। और वर्तमान में तो सिर्फ टूटे हुए वासनाओं के खंडहर होते हैं, राख होती है, असफलताओं का ढेर होता है, विषाद होता […]Read More
ओशो- मूर्ति का सबसे पहले प्रयोग अशरीरी आत्माओं से संपर्क स्थापित करने के लिए किया गया है। जैसे महावीर की मूर्ति है। इस मूर्ति पर अगर कोई बहुत देर तक चित्त एकाग्र करे और फिर आंख बंद कर ले तो मूर्ति का निगेटिव आंख में रह जाएगा। जैसे कि हम दरवाजे पर बहुत देर तक […]Read More