ओशो- अपरिग्रही चित्त वह है, जो वस्तुओं की मालकियत में किसी तरह का रस नहीं लेता। उपयोगिता अलग बात है, रस अलग बात है। वस्तुओं में जो रस नहीं लेता, वस्तुओं के साथ जो किसी तरह की गुलामी के संबंध निर्मित नहीं करता, वस्तुओं के साथ जिसका कोई इनफैचुएशन, वस्तुओं के साथ जिसका कोई रोमांस […]Read More
प्रश्न : कहा जाता है कि रावण भी ब्रह्मज्ञानी था। क्या रावण भी रावण उसकी मर्जी से नहीं था? क्या रामलीला सच में ही राम की लीला थी? ओशो- निश्चित ही, रावण ब्रह्मज्ञानी था। और रावण के साथ बहुत अनाचार हुआ है। और दक्षिण में जो आज रावण के प्रति फिर से समादर का भाव […]Read More
ओशो– लाख लोग मुखौटे लगा लें हंसी के, आंसू छिपाए छिपते नहीं हैं। लाख आभूषण पहन लें सौंदर्य के, हृदय घावों से भरा है। इस संसार में कांटे ही कांटे हैं। फूल तो केवल वे ही देख पाते हैं जो स्वयं फूल बन जाते हैं। इस संसार में कांटे ही कांटे हैं, क्योंकि हम अभी […]Read More
ओशो– पाप दुख लाता है, फिर भी लोग किए जाते हैं ।पुण्य सुख लाता है, फिर भी लोग टाले जाते हैं ।तो पाप और पुण्य की प्रक्रिया को समझना ज़रूरी है ।जानते हुए भी कि पाप दुख लाता है, फिर भी मुक्त होना कठिन है ।जानते हुए भी की पुण्य सुख लाता है, फिर भी […]Read More
ओशो– जीवन तुम्हारा एक पुनरुक्ति है..एक अंधी पुनरुक्ति! उठते हो, चलते हो, काम-धाम करते हो; लेकिन कहां हो, क्या कर रहे हो..इसका कोई भी होश नहीं। कौन हो..इसका भी कोई पता नहीं। क्यों है तुम्हारा होना यहां..इसका कोई उत्तर नहीं। फिर दिन आते हैं, रातें आती हैं, समय बीतता चला जाता है..और जीवन ऐसे ही […]Read More
ओशो– बुद्ध छह वर्ष तक जो तपश्चर्या किए, उस तपश्चर्या में शिक्षा के द्वारा डाले गए संस्कारों को काटने की ही योजना थी। महावीर बारह वर्ष तक मौन रहे। उस मौन में जो शब्द सीखे थे, सिखाए गए थे उन्हें भुलाने का प्रयास था। बारह वर्षो के सतत मौन के बाद इस योग्य हुए कि […]Read More
ओशो– जीवन कोई नाटक नहीं है कि तुमने आज रिहर्सल कर लिया और कल नाटक में सम्मिलित हो गए। एक हसीद फकीर के जीवन में उल्लेख है कि एक सुबह वह अपने झोपड़े के बाहर खड़ा हुआ और पहला आदमी जो रास्ते पर आया, उसने उसे भीतर बुलाया। और उस आदमी से कहा कि मेरे […]Read More
ओशो– बड़ी पुरानी कहानी है..सम्राट सोलोमन की। यहूदी कहते हैं, सोलोमन से बुद्धिमान आदमी दुनिया में कभी दूसरा नहीं हुआ। सोलोमन का नाम तो लोकलोकांतर में व्याप्त हो गया है। हिंदुस्तान में भी गांव के लोग भी, कोई अगर बहुत ज्यादा बुद्धिमानी दिखाने लगे तो कहते हैंः बड़े सुलेमान बने हो! वह सोलोमन का नाम […]Read More
धमतरी– नवरात्र पर्व कुछ ही दिन शेष है, जिसको लेकर के धमतरी की सभी समितियां ने तैयारियां प्रारंभ कर दी है, धमतरी के विवेकानंद नगर में स्थित धमतरी की महारानी की स्थापना इस वर्ष भी की जा रही है, विवेकानंद नगर दुर्गा उत्सव समिति के सभी सदस्यों ने तैयारियां प्रारंभ कर दी है यहां की […]Read More
ओशो– चाहे वह पदार्थ का जन्म हो या चाहे वह चेतना का जन्म हो; चाहे पृथ्वी का जन्म हो या स्वर्ग का, सब कुछ रहस्य के माध्यम से पैदा हुआ है जो अस्तित्व की गहराई में छिपा है। इसलिए जिन लोगों ने भगवान को माँ के रूप में देखा है – दुर्गा या अम्बा के […]Read More