ओशो– अगर हम मन का हिसाब छोड़ दें और जरा अस्तित्व को देखें, तो पता चलेगा, सूर्य ही तो खींचता है सागर से पानी को, सूर्य ही तो बनाता है बादलों को, सूर्य ही तो बरसाता है। तो आग और पानी में जो वैमनस्य हमें दिखाई पड़ता है, वह कहीं न कहीं हमारे मन के […]Read More
“यहूदियों की अनूठी किताब है–तालमुद” परमात्मा तुमसे यह न पूछेगा
ओशो– बड़ी अनूठी किताब है। दुनिया में कोई धर्मशास्त्र वैसा नहीं। तालमुद कहती है कि परमात्मा तुमसे यह न पूछेगा कि तुमने कौन-कौन सी गलतियां कीं। गलतियों का वह हिसाब रखता ही नहीं, बड़ा दिल है। परमात्मा तुमसे पूछेगा, तुम्हें इतने सुख के अवसर दिए तुमने भोगे क्यों नहीं? गलतियों की कौन फिकर रखता है? […]Read More
ओशो– अक्सर तो ऐसा होता है कि जो लोग अपने को कष्ट देते हैं, वे कष्ट देने में रस पाते हैं-सैडिस्ट हैं। अपने को सताने में या दूसरे को सताने में। या सैडिस्ट हैं या मैसोचिस्ट हैं। जो लोग तप को बहुत आदर देते हैं, वे अक्सर मैसोचिस्ट होते हैं, खुद को सताने में रस […]Read More
ओशो– पुरुष के लिए स्त्री पहेली रही है। स्त्री के लिए पुरुष पहेली है। स्त्री सोच ही नहीं पाती कि तुम किसलिए चांद पर जा रहे हो? घर काफी नहीं? वही तो यशोधरा ने बुद्ध से पूछा, जब वे लौटकर आए, कि जो तुमने वहां पाया वह यहां नहीं मिल सकता था? ऐसा जंगल भागने […]Read More
ओशो– आत्मज्ञान दूसरे से सीखने की कोई सुविधा नहीं है; वह भीतर सफुरित होता है। जैसे वृक्षों में फूल लगते हैं, जैसे झरने बहते हैं ऐसा तुम्हारे भीतर जो बह रहा है, कलकल नाद कर रहा है, वह तुम्हारा ही है सहज उसे किसी से लेना नहीं। कोई गुरु उसे दे नहीं सकता; सभी गुरु […]Read More
ओशो– मौत इस जीवन की बड़ी से बड़ी घटना है। उससे बड़ी कोई घटना नहीं है। उस घटना के क्षण में आप स्मरण न कर सकेंगे। और अगर घबड़ाकर स्मरण किया, डरकर स्मरण किया, तो ध्यान रखना, वह स्मरण परमात्मा का नहीं, भय का होगा। मेरे एक मित्र हैं। बहुत ज्ञानी हैं। वे सदा कहते […]Read More
ओशो– यह कृष्ण का सूत्र कह रहा है, शरीर क्षेत्र है, जहां घटनाएं घटती हैं। और तुम क्षेत्रज्ञ हो, जो घटनाओं को जानता है। अगर यह एक सूत्र जीवन में फलित हो जाए, तो धर्म की फिर और कुछ जानकारी करने की जरूरत नहीं है। फिर कोई कुरान, बाइबिल, गीता, सब फेंक दिए जा सकते […]Read More
ओशो– नानक ने परमात्मा को गा गा कर पाया, गीतों से पटा है मार्ग नानक का, इसलिए नानक की खोज बड़ी भिन्न है, पहली बात समझ लेनी जरूरी है, नानक ने योग नहीं किया, तप नहीं किया, ध्यान नहीं किया, नानक ने सिर्फ गाया और गाकर ही पा लिया, लेकिन गाया उन्होंने इतने पूरे प्राण […]Read More
ओशो– बुद्ध निकलते हैं एक रास्ते से और एक आदमी बुद्ध को गालियां देता है। तो बुद्ध के साथ एक भिक्षु है आनंद, वह कहता है कि आप मुझे आज्ञा दें, तो मैं इस आदमी को ठीक कर दूं। तो बुद्ध बहुत हंसते हैं। तो आनंद पूछता है, आप हंसते क्यों हैं? वह आदमी भी […]Read More
ओशो– दोनों आंखों के ऊपर भ्रू-मध्य में, भृकुटी के बीच ध्यान को जो एकाग्र करे। दूसरा, नासिका से जाते हुए श्वास और आते हुए श्वास को जो सम कर ले; इन दोनों का जहां मिलन हो जाए। ध्यान हो भृकुटी मध्य में; श्वास हो जाए सम; जिस क्षण यह घटना घटती है, उसी क्षण व्यक्ति, […]Read More