6-असुर्या नाम ते लोका: अन्धेन तमसावृता :। तास्ते प्रेत्याभिगच्छन्ति ये के चात्महनो जना:।। ओशो– फ्रायड ने मरने के कुछ दिन पहले अपने एक मित्र को एक पत्र में लिखा है कि इतनी जिंदगी भर लाखों लोगों के दुख को सुनने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि आदमी सदा ही दुखी रहेगा, क्योंकि […]Read More
ओशो– हम कहानी सुनते हैं कि सत्यवान मर गया है, सावित्री उसे दूर से जाकर लौटा लायी है। लेकिन कभी कोई कहानी ऐसी सुनी कि पत्नी मर गयी हो और पति दूर से जाकर लौटा लाया हो। नहीं सुनी है हमने। स्रियां लाखों वर्ष तक इस देश में पुरुषों के ऊपर बर्बाद होती रही हैं। […]Read More
ओशो– जो भी काम करना है, उसे पूरा कर लें। पूरा किया गया काम, संयत किया गया काम, सस्पेंडेड, लटका हुआ नहीं रह जाता, और व्यक्ति प्रतिपल बाहर हो जाता है–प्रत्येक कर्म के बाहर हो जाता है। और तब वैसा व्यक्ति कभी भी भार, बर्डन नहीं अनुभव करता मस्तिष्क पर। निर्भार होता है, वेटलेस होता […]Read More
मैं तुम्हें आत्महत्या का सही तरीका सिखाऊँगा, लोग आत्महत्या इसलिये
ओशो– तुम आत्महत्या के बारे में क्यों सोचते हो? क्या तुम पागल हो या और कुछ? मुझे पता है कि तुम जीवन से ऊब गये हो। यदि तुम सचमुच ऊब गये हो तो आत्महत्या नहीं करो, क्योंकि आत्महत्या तुम्हें फिर इसी जीवन में घसीट लायेगी — और हो सकता है कि इससे भी अधिक भद्दा […]Read More
प्रश्न- किसे हम कहें कि अपना मित्र है? और किसे हम कहें कि अपना शत्रु ? ओशो- एक छोटी-सी परिभाषा निर्मित की जा सकती है। हम ऐसा कुछ भी करते हों, जिससे दुख फलित होता है, तो हम अपने मित्र नहीं कहे जा सकते। स्वयं के लिए दुख के बीज बोने वाला व्यक्ति अपना शत्रु […]Read More
भिलाई-3/ श्री रामकिंकर शिष्य सेवा समिति भिलाई – दुर्ग के तत्वावधान में श्री रामकिंकर जन्म शती महोत्सव श्री रामकथा का आयोजन काली मंदिर रोड सामुदायिक भवन चरोदा में 28 दिसंबर से 1 जनवरी तक किया जा रहा है। इस आयोजन में कथा व्यास युगतुलसी श्री रामकिंकर जी महाराज की उत्तराधिकारी दीदी मां मंदाकिनी श्री रामकिंकर […]Read More
ओशो– सारे धर्मो और शास्त्रों का सार जीसस के एक सूत्र में आ जाता है: दूसरे के साथ वही करो जो तुम चाहोगे कि दूसरे तुम्हारे साथ करें। यह एक वचन काफी है। सारे वेद, शास्त्र, पुराण, कुरान और बाइबिल, इस एक छोटे से वचन में समाहित हो जाते हैं। कोई इतना ही कर ले […]Read More
ओशो– प्रकृति के विपरीत मनुष्य ने अपनी दुनिया बना ली है। सीमेंट के रास्ते, सीमेंट के मकान, सीमेंट के जंगल आदमी ने बना लिये हैं, उनमें कहीं खबर ही नहीं मिलती कि परमात्मा भी है। बड़े नगर में परमात्मा करीब—करीब मर चुका है। क्योंकि परमात्मा की खबर वहां मिलती है जहां चीजें बढ़ती हैं। पौधा […]Read More
ओशो– एक सम्राट एक गरीब स्त्री के प्रेम में पड़ गया। सम्राट था! स्त्री तो इतनी गरीब थी कि खरीदी जा सकती थी, कोई दिक्कत न थी। उसने स्त्री को बुलाया और उसके बाप को बुलाया और कहा : जो तुझे चाहिए ले—ले खजाने से, लेकिन यह लड़की मुझे दे—दे। मैं इसके प्रेम में पड़ […]Read More
महाभारत के लिए कोई कुरुक्षेत्र नहीं चाहिए; महाभारत तुम्हारे मन
ओशो– एक आदमी का विवाह हुआ। झगडैल प्रकृति का था, जैसे कि आदमी सामान्यत: होते हैं। मां—बाप ने यह सोचकर कि शायद शादी हो जाए तो यह थोड़ा कम क्रोधी हो जाए, थोड़ा प्रेम में लग जाए, जीवन में उलझ जाए तो इतना उपद्रव न करे, शादी कर दी। शादी तो हो गई। और आदमी […]Read More