ओशो– सब उपाय धर्म के क्षुद्र को भूलने के उपाय हैं। कहो उसे प्रार्थना कहो ध्यान, कहो पूजा, कहो जप; जो भी नाम देना हो, दो। क्षुद्र को भूलने के उपाय हैं। और क्षुद्र भूल जाए, तो हम उस किनारे पर खड़े हो जाते हैं, जहां से नौका विराट में छोड़ी जा सकती है। थोड़ी […]Read More
कुम्हारी/ नगर में 13 तथा 14 जनवरी दिन शनिवार व रविवार को मां महामाया सेवा समिति की ओर से दो दिवसीय छत्तीसगढ़ स्तरीय देवी जस झाँकी महोत्सव का आयोजन बाजार चौक स्थित शासकीय कन्या शाला में रखा गया है। समिति के अध्यक्ष नेतराम यादव ने बताया कि देवी जस झाँकी महोत्सव स्पर्धा पिछले 22 वर्षों […]Read More
ओशो– अक्सर तो ऐसा होता है कि जो लोग अपने को कष्ट देते हैं, वे कष्ट देने में रस पाते हैं-सैडिस्ट हैं। अपने को सताने में या दूसरे को सताने में। या सैडिस्ट हैं या मैसोचिस्ट हैं। जो लोग तप को बहुत आदर देते हैं, वे अक्सर मैसोचिस्ट होते हैं, खुद को सताने में रस […]Read More
दुर्ग/ जिले के मिनी गिरौदपुरी धाम ग्राम गिरहोला में आयोजित संत समागम में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय बतौर मुख्य अतिथि सम्मलित हुए। कार्यक्रम में खाद्य मंत्री श्री दयालदास बघेल, कृषि मंत्री श्री राम विचार नेताम भी साथ मौजूद थे। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि मिनी गिरौदपुरी […]Read More
धार्मिक व्यक्ति राजनीति के प्रति उपेक्षा ग्रहण नहीं कर सकते,
ओशो– मैं कोई राजनीतिज्ञ नहीं हूं और न ही मैंने अपने किसी पिछले जन्म में ऐसे कोई पाप किए हैं कि मुझे राजनीतिज्ञ होना पड़े। इसलिए राजनीतिज्ञ मुझसे परेशान न हों और चिंतित न हों। उन्हें घबड़ाने की और भयभीत होने की कोई भी जरूरत नहीं है। मैं उनका प्रतियोगी नहीं हूं, इसलिए अकारण मुझ […]Read More
ओशो– जो आदमी अपना शत्रु है, वही आदमी अधार्मिक है। और जो अपना शत्रु है, वह किसी का मित्र तो कैसे हो सकेगा? जो अपना भी मित्र नहीं, वह किसका मित्र हो सकेगा! जो अपने लिए ही दुख के आधार बना रहा है, वह सबके लिए दुख के आधार बना देगा।पहला पाप अपने साथ शत्रुता […]Read More
ओशो– कबीर कहते हैं, जब पाप और पुण्य भ्रम मिट जाते हैं। दोनों जल जाते हैं। पाप भी, पुण्य भी। तब भयो प्रकाश मुरारी। तभी मुरारी के दर्शन होते हैं। तभी परमात्मा की झलक आती है। पाप और पुण्य दोनों के भीतर छिपा हुआ रोग है। वह रोग है, कर्ता का भाव। अहंकार। पापी कहता […]Read More
ओशो– आप यह मत सोचें कि सत्य की यात्रा पर कोई कष्ट न होगा। अगर ऐसा होता कि सत्य की यात्रा पर कोई कष्ट न होता, तो दुनिया में इतना झूठ होता ही नहीं। सत्य की यात्रा पर कष्ट है। इसीलिए तो लोग झूठ के साथ राजी हैं। झूठ सुविधापूर्ण है। सत्य असुविधापूर्ण है। झूठ […]Read More
ओशो– टालस्टाय ने एक कहानी लिखी है। मृत्यु के देवता ने अपने एक दूत को भेजा पृथ्वी पर। एक स्त्री मर गयी थी, उसकी आत्मा को लाना था। देवदूत आया, लेकिन चिंता में पड़ गया। क्योंकि तीन छोटी-छोटी लड़कियां जुड़वां–एक अभी भी उस मृत स्त्री से लगी है। एक चीख रही है, पुकार रही है। […]Read More
ओशो– कृष्ण की गैर—मौजूदगी में भगवान मान लेने में कोई अड़चन नहीं है, क्योंकि हमारे अहंकार को कोई भी पीड़ा, कोई तुलना नहीं होती। लेकिन कृष्ण की मौजूदगी में भगवान मानना बहुत कठिन है। शायद अर्जुन भी मन के किसी कोने में कृष्ण को भगवान नहीं मान पाता होगा। शायद अर्जुन के मन में भी […]Read More