ओशो– माया का केवल अर्थ इतना है कि सोए हुए तुमने सारे कृत्य किए हैं। सोए हुए ही तुम उनसे बचने की कोशिश कर रहे हो। और सारी साधना का सूत्र एक है कि तुम जाग जाओ। जागते ही, सोए हुए तुमने जो किया है, वह व्यर्थ हो जाता है। वह सपने से ज्यादा नहीं […]Read More
ओशो– तीन सूत्र खयाल रख लें। एक, अगर दूसरे को धोखा देने निकले–असफल हुए तो भी असफल होओगे; अगर पूरे सफल हुए तो भी असफल होओगे। दूसरा, बुद्धिमानी का उपयोग दूसरे को गड्ढे में गिराने के लिये मत करना। दूसरे के लिये गड्ढा मत खोदना। क्योंकि आखिर में पाओगे कि अपनी ही कब्र खुद गई। […]Read More
ओशो– बुद्ध अपने भिक्षुओं से कहते थे कि तुम चौबीस घंटे, राह पर तुम्हें कोई दिखे, तो उसके मंगल की कामना करना। वृक्ष भी मिल जाए, तो उसके मंगल की कामना करके उसके पास से गुजरना। पहाड़ भी दिख जाए, तो मंगल की कामना करके उसके निकट से गुजरना। राहगीर दिख जाए अनजान, तो मंगल […]Read More
ओशो– पुनर्जन्म का प्रारंभ जीवन की आकांक्षा है, जीते रहने की आकांक्षा, लस्ट फार लाइफ, जीवेषणा, और जीता ही रहूं, और जीता ही चला जाऊं। एक वासना पूरी नहीं होती कि दस वासनाओं को जन्म दे जाती है। और किसी भी वासना को पूरा करना हो, तो जीवन चाहिए, समय चाहिए, अन्यथा वासना पूरी नहीं […]Read More
प्रश्न : किसी सुंदर युवती को देखकर जाने क्यों मन उसकी ओर आकर्षित हो जाता है, आंखें उसे निहारने लगती हैं! मेरी उम्र पचास हो गई है, फिर भी ऐसा क्यों होता है? क्या यह वासना है, या प्रेम, या सुंदरता की स्तुति? कृपया मेरा मार्ग-निर्देश करें। ओशो– ऐसा होता है निरंतर; क्योंकि जब दिन […]Read More
ओशो– अज्ञानी कल्पना में जीता है। कल्पना का अर्थ है कि झूठा जगत, जो उसने अपने मन से बना लिया है; जो है नहीं, पर जो उसने आरोपित कर लिया है। एक काल्पनिक जगत में जीता है अज्ञानी। जहां मित्र नहीं हैं, वहां सोच लेता है, मित्र हैं। जहां अपना नहीं है कोई, वहां सोच […]Read More
ओशो– मुल्ला नसरुद्दीन एक ट्रेन में सफर कर रहा था। उसकी पत्नी उसके बगल में ही बैठी थी। और सामने की ही सीट पर एक बहुत सुंदर युवती बैठी थी। मुल्ला आंख बचा-बचा कर उस सुंदर युवती को देख लेता था। पत्नी तो जली जा रही थी। लेकिन मुल्ला ने कुछ हरकत भी नहीं की […]Read More
ओशो– परमात्मा तो चारो तरफ से कोशिश कर रहा है तुम में प्रवेश कर जाने की , मगर तुम्हारी प्याली इतनी भरी है कि कही कोई जगह ही नही है । उसकी बदलिया तो तुम्हे अभी भी घेरे खड़ी है । उसके लोक में तो सदा ही सावन है । उसके लोक में तो कभी […]Read More
ओशो– जिसे नितांत अकेले होने का साहस है, वही इस खोज पर जा भी सकता है। मन तो हमारा यही करता है कि कोई साथ हो, कोई गुरु साथ हो, कोई मित्र साथ हो, कोई जानकार साथ हो, कोई मार्गदर्शक साथ हो, कोई सहयोगी साथ हो; अकेले होने के लिए हमारा मन नहीं करता। लेकिन […]Read More
ओशो– अभी जब मैं बम्बई था कुछ दिन पहले, एक मित्र ने आकर मुझे खबर दी कि एक बहुत बड़े संन्यासी वहां प्रवचन कर रहे है। आपने उनके प्रवचन सुने होंगे। वह प्रवचन कर रहे हैं। भगवान की कथा कर रहे हैं! या कुछ कर रहे हैं, स्त्री नहीं छू सकती हैं उन्हें! एक स्री […]Read More