प्रश्न: एक मित्र ने और पूछा है कि कृष्ण ने तो इतना बड़ा युद्ध किया तो क्या वे प्रेमपूर्ण नहीं थे? ओशो- कृष्ण जैसा प्रेम करने वाला आदमी पृथ्वी पर मुश्किल से हुआ है। कृष्ण जैसा प्यारा आदमी मुश्किल से पृथ्वी पर हुआ है। करोड़ों वर्ष लग जाते हैं तब पृथ्वी उस तरह के एकाध […]Read More
ओशो– विद्रोही वैव्यक्तिक होता है। महावीर ने कोई दल खड़ा नहीं कर लिया, विद्रोह किया—निजता ही विद्रोह थी। फिर जो लोग उनके पीछे चले, वे भी कोई दल नहीं खड़ा कर लिए। इस बात को भी खयाल मे रखना। बहुत लोग उनके पीछे चले, लेकिन जो भी उनके पीछे चला वह व्यक्तिगत रूप से विद्रोह […]Read More
श्री रामलला दर्शन योजना: दुर्ग और बस्तर संभाग के 822
तीर्थ यात्रियों को सांसद विजय बघेल ने हरी झण्डी दिखाकर दुर्ग रेल्वे स्टेशन से किया रवाना दुर्ग/ राज्य सरकार की श्री रामलला दर्शन योजना के तहत राम भक्तों का जत्था लगातार अयोध्या धाम पहुंच रहा है। कलेक्टर सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी के मार्गदर्शन में समाज कल्याण विभाग के उप संचालक श्री अमित परिहार के द्वारा […]Read More
प्रश्नः मैंने सुना है कि अपनी मां को संन्यास देते समय आपने कुर्सी से उतरकर अपनी मां के चरण छुए थे। इस अनोखी स्थिति ने मुझे रोमांचित कर दिया है। कृपया कुछ और जानने की मेरी प्यास को बुझाएं। कौन महान है – माँ या गुरु? ओशोः वे दोनों ही एक-दूजे से महान हैं। ऐसा […]Read More
साधु-संन्यासियों से मुक्त होने की जरूरत है नारी को “ओशो”
ओशो– आश्चर्य की बात है कि जिन धर्मों ने, जिन धर्मगुरुओं ने, जिन साधु-संन्यासियों और महात्माओं ने नारी को आत्मा मिलने में सबसे ज्यादा बाधा दी है, नारी अजीब पागल है, उन साधु-संन्यासियों और महात्माओं को पालने का सारा ठेका नारियों ने ले रखा है। ये मंदिर और मस्जिद नारी के ऊपर चलते हैं। साधु […]Read More
ओशो– बंधन से छूटने की कोशिश मत करो, बंधन को जानने की कोशिश करो कि बंधन कहां है! पूछो। जिज्ञासा करो। वासना मत करो। विपरीत की वासना भी वासना है। तुम कुएं से बचते हो, खाई में गिर जाते हो। इससे क्या फर्क पड़ेगा कि तुमने गिरने का ढंग बदल लिया? तुम बाएं गिरे कि […]Read More
ओशो– सुखासन में बैठ जाना। लेकिन बैठ गये और एक घंटा बैठने का तय किया तो फिर एक घंटा शरीर की मत सुनना। तुम चकित होओगे, थोड़े ही दिन में—तीन सप्ताह के भीतर, तुम चकित होओगे—और तुमने हिम्मत रखी और तुम न झुके, शरीर आवाज देना बंद कर देगा। और जब शरीर आवाज देना बंद […]Read More
वास्तविक स्वतंत्रता ओशो- मैंने सुना है…एक बार डायोजनीज को कुछ लोगों ने, लुटेरों ने पकड़ लिया। डायोजनीज बहुत स्वस्थ फकीर था। पश्चिम में, वह अकेला व्यक्ति मालूम पड़ता है जिसकी तुलना पूरब के महावीर से की जा सकती है। वह नग्न रहता था, और उसका शरीर सुंदर था। कहते हैं कि सिकंदर भी उससे ईर्ष्या […]Read More
प्रश्न: भगवान, जब कोई छल और दगाबाजी करता है, या जब कोई मुझे वस्तु की तरह उपयोग करता है, ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए? मैं उस व्यक्ति को चोट भी नहीं पहुंचाना चाहती। मन की शांति कैसे मिले? मैं टूट-फूट गई हूं। ओशो : जीवन की उलझनों में दूसरे कभी भी उत्तरदायी नहीं […]Read More
ओशो- ‘’किसी गहरे कुएं के किनारे खड़े होकर उसकी गहराईयों में निरंतर देखते रहो—जब तक विस्मय-विमुग्ध न हो जाओ।‘’ किसी गहरे कुएं में देखो; कुआं तुममें प्रतिबिंबित हो जाएगा। सोचना बिलकुल भूल जाओ; सोचना बिलकुल बंद कर दो; सिर्फ गहराई में देखते रहो। अब वे कहते है कि कुएं की भांति मन की भी गहराई […]Read More