ओशो- मीठी कथा है महाभारत में कि युद्ध के पूर्व अर्जुन, दुर्योधन अपने सभी मित्रों, सगे —संबंधियों के घर गए प्रार्थना करने कि युद्ध में हमारी तरफ से सम्मिलित होना। सभी नाते—रिश्तेदार थे, सभी जुड़े थे, गृहयुद्ध था। अर्जुन भी पहुंचा कृष्ण के पास; दुर्योधन भी पहुंचा। दोनों एक ही समय पहुंच गए। दोनों सदा […]Read More
ओशो- जब अष्टावक्र मां के गर्भ में थे, उनके पिता ने उन्हें शाप दिया, जिसकी वजह से उनका शरीर आठ जगहों से आड़ा-तिरछा हो गया। भगवान, इस आठ का क्या रहस्य है? वे अठारह जगह से भी टेढ़े-मेढ़े हो सकते थे और अष्टावक्र कहलाते। यह आठ का ही आंकड़ा क्यों? यह आठ आंकड़ा अर्थपूर्ण है। […]Read More
ओशो– ज्ञान जहां तक जाता है वहां तक उस ज्ञान के विस्तार का नाम वेद है। वेद का अर्थ होता है. ज्ञान; जानना। जिस मूल से वेद शब्द बना है उसी से विद्वान भी। ज्ञान अर्थात वेद। लेकिन ऐसा भी आयाम है जीवन का, और अस्तित्व की ऐसी गुह्य स्थिति भी है, जहां वेद भी […]Read More
ओशो- शिव ने कहा है “होश को दोनों भौहों के मध्य में लाओ और मन को विचार के समक्ष आने दो। देह को पैर से सिर तक प्राण तत्व से भर जाने दो, ओर वहां वह प्रकाश की भांति बरस जाए।” वह विधि पाइथागोरस को दी गई थी। पाइथागोरस यह विधि लेकर ग्रीस गया। और […]Read More
ओशो– बुद्ध का जन्म हुआ। पांचवें दिन रिवाज के अनुसार श्रेष्ठतम पंडित इकट्ठे हुए। उन्होंने बुद्ध को नाम दिया–सिद्धार्थ। सिद्धार्थ का अर्थ होता है: कामना की पूर्ति; आशा की पूर्ति; अर्थ की उपलब्धि; मंजिल का मिल जाना। बूढ़े शुद्धोधन के घर में बेटा पैदा हुआ था। जीवन भर प्रतीक्षा की थी, आशा की थी, सपने […]Read More
ओशो- इस पृथ्वी पर जितने भी सदगुरु हुए हैं उनमें गौतम बुद्ध सर्वश्रेष्ठ हैं। ईसा क्राइस्ट, महावीर, मोहम्मद और अन्य कई महान सदगुरु हुए परंतु बुद्ध फिर भी इन सबमें श्रेष्ठ हैं। ऐसा नहीं है कि बुद्ध की ज्ञानोपलब्धि किसी अन्य की ज्ञानोपलब्धि से अधिक है–ज्ञान की उपलब्धि न कम होती है न ज्यादा। वस्तुतः […]Read More
ओशो- सारी प्रकृति मनुष्य को छोड़कर मन से रहित है। ठीक से समझें, तो मनुष्य हम कहते ही उसे हैं, जिसके पास मन है। मनुष्य शब्द का भी वही अर्थ है, मन वाला।मनुष्य में और पशुओं में इतना ही फर्क है कि पशुओं के पास कोई मन नहीं और मनुष्य के पास मन है। मनुष्य […]Read More
ओशो– रामकृष्ण ने अपने जीवन में पांच —सात धर्मों की साधनाएं कीं। उनको यह खयाल आया कि सभी धर्म एक ही जगह पहुंचा देते हैं, तो मैं सभी रास्तों पर चलकर देखूं कि वहां पहुंचा देते हैं कि नहीं पहुंचा देते हैं। तो उन्होंने ईसाइयत की साधना की, उन्होंने सूफियों की साधना की, उन्होंने वैष्णवों […]Read More
ओशो- कृष्ण का जन्म होता है अँधेरी रात में, अमावस में। सभी का जन्म अँधेरी रात में होता है और अमावस में होता है। असल में जगत की कोई भी चीज उजाले में नहीं जन्मती, सब कुछ जन्म अँधेरे में ही होता है। एक बीज भी फूटता है तो जमीन के अँधेरे में जन्मता है। […]Read More
जवान रहना है तो मौन हो जाओ, आइंस्टीन की क्रांतिकारी
ओशो- अल्बर्ट आइंस्टीन ने खोज की और निश्चित ही यह सही होगी, क्योंकि अंतरिक्ष के बारे में इस व्यक्ति ने बहुत कठोर परिश्रम किया था। उसकी खोज बहुत गजब की है। उसने स्वयं ने कई महीनों तक इस खोज को अपने मन में रखी और विज्ञान जगत को इसकी सूचना नहीं दी क्योंकि उसे भय […]Read More