ओशो– जीवन तुम्हारा एक पुनरुक्ति है..एक अंधी पुनरुक्ति! उठते हो, चलते हो, काम-धाम करते हो; लेकिन कहां हो, क्या कर रहे हो..इसका कोई भी होश नहीं। कौन हो..इसका भी कोई पता नहीं। क्यों है तुम्हारा होना यहां..इसका कोई उत्तर नहीं। फिर दिन आते हैं, रातें आती हैं, समय बीतता चला जाता है..और जीवन ऐसे ही […]Read More
A year has elapsed since the Indian Government took a decisive step to ban the radical organisation, the Popular Front of India (Read More
ओशो– बुद्ध छह वर्ष तक जो तपश्चर्या किए, उस तपश्चर्या में शिक्षा के द्वारा डाले गए संस्कारों को काटने की ही योजना थी। महावीर बारह वर्ष तक मौन रहे। उस मौन में जो शब्द सीखे थे, सिखाए गए थे उन्हें भुलाने का प्रयास था। बारह वर्षो के सतत मौन के बाद इस योग्य हुए कि […]Read More
ओशो– जीवन कोई नाटक नहीं है कि तुमने आज रिहर्सल कर लिया और कल नाटक में सम्मिलित हो गए। एक हसीद फकीर के जीवन में उल्लेख है कि एक सुबह वह अपने झोपड़े के बाहर खड़ा हुआ और पहला आदमी जो रास्ते पर आया, उसने उसे भीतर बुलाया। और उस आदमी से कहा कि मेरे […]Read More
ओशो– बड़ी पुरानी कहानी है..सम्राट सोलोमन की। यहूदी कहते हैं, सोलोमन से बुद्धिमान आदमी दुनिया में कभी दूसरा नहीं हुआ। सोलोमन का नाम तो लोकलोकांतर में व्याप्त हो गया है। हिंदुस्तान में भी गांव के लोग भी, कोई अगर बहुत ज्यादा बुद्धिमानी दिखाने लगे तो कहते हैंः बड़े सुलेमान बने हो! वह सोलोमन का नाम […]Read More
ओशो– चाहे वह पदार्थ का जन्म हो या चाहे वह चेतना का जन्म हो; चाहे पृथ्वी का जन्म हो या स्वर्ग का, सब कुछ रहस्य के माध्यम से पैदा हुआ है जो अस्तित्व की गहराई में छिपा है। इसलिए जिन लोगों ने भगवान को माँ के रूप में देखा है – दुर्गा या अम्बा के […]Read More
ओशो– वैज्ञानिक कहते हैं कि जब तुम किसी की तरफ बहुत प्रेम से देखते हो तो तुम्हारे भीतर से एक ऊर्जा उसकी तरफ बहती है। अब इस ऊर्जा को नापने के भी उपाय हैं। तुम्हारी तरफ से एक विशिष्ट ऊष्मा, गर्मी उसकी तरफ प्रवाहित होती है ठीक वैसे ही जैसे विद्युत के प्रवाह होते हैं; […]Read More
ओशो– सुना है मैंने, राजस्थान में एक लोक-कथा है। एक गांव में गांव के राजपूत सरदार ने गांवभर में खबर रख छोड़ी है कि कोई मूंछ बड़ी न करे। खुद मूंछ बड़ी कर रखी है। और अपने दरवाजे पर तख्त डालकर बैठा रहता है। और गांव में खबर कर रखी है कि कोई मूंछ ऊंची […]Read More
ओशो– धर्म को कौन मारता है? नास्तिक तो नहीं मार सकते.नास्तिक की क्या बिसात! लेकिन झूठे आस्तिक मार डालते हैं। और झूठे आस्तिकों से पृथ्वी भरी है। झूठे धार्मिक मार डालते हैं। और झूठे धार्मिकों का बड़ा बोल—बाला है। मंदिर उनके, मस्जिद उनके,गिरजे उनके,गुरुद्वारे उनके. झूठे धार्मिक की बडी सत्ता है! राजनीति पर बल उसका-पद […]Read More
ओशो- अगर ओठों पर मुस्कुराहट हो, तो भी कारण भीतर है। आंखों में आंसू हों, तो भी कारण भीतर है। जिसने देखा कि कारण बाहर है, वही अधार्मिक है। जिसने यह बात समझ ली कि मेरी जिंदगी में जो भी घट रहा है वह मेरा ही कृत्य है, वह मेरे ही होश और जतन या […]Read More