ओशो- तुम्हें भेंट में भी नहीं दी जा सकती मुक्ति। क्योंकि भेंट की कोई कीमत करना ही नहीं जानता। कितनी चीजें तुम्हें भेंट में मिली हैं, तुमने कोई कीमत की? जीवन तुम्हें भेंट में मिला है, तुमने कभी परमात्मा को धन्यवाद दिया कि हे प्रभु, तेरा मैं अनुगृहीत हूं, क्योंकि तूने मुझे जीवन दिया? जीवन […]Read More
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July 7, 2023
ओशो- भक्ति एक अनूठी शराब है; अंगूर की नहीं–आत्मा को। और भक्ति और शराब में कुछ गहरा तालमेल है। शराब भुलाती है; भक्ति मिटाती है। शराब क्षण भर को करती है वही काम, जो भक्ति सदा के लिए कर देती है। शराब क्षण-भंगुर भक्ति है; और भक्ति है; और भक्ति शाश्वत शराब है। कोई किस […]Read More
alertchhattisgarh
July 6, 2023
ओशो- भारत का व्यवसायी समाज हजारों वर्षाें से उत्पादक काम नहीं कर रहा है। भारत का व्यवसायी समाज केवल, बीच के दलाल का काम कर रहा है। उत्पादक, प्रोडेक्टिव भारत का व्यवसायी समाज नहीं है। आज भी, आज भी भारत का बड़ा व्यवसायी समाज उत्पादक और ग्राहक के बीच में कड़ियों का काम कर रहा […]Read More