ओशो– धर्म अनुभव की बात कभी नहीं करता है, सिर्फ विधि की बात करता है। वह बताता है कि यह कैसे होगा, लेकिन यह नहीं बताता कि क्या। क्या को तुम पर छोड़ दिया जाता है।’ बुद्ध निरंतर चालीस वर्षों तक कहते रहे कि मुझसे सत्य, ईश्वर, मोक्ष और निर्वाण के संबंध में प्रश्न मत […]Read More
बहुप्रतीक्षित ठगड़ा बांध 4 अक्टूबर से बनेगा जनाकर्षण का नया केंद्र : वोरा दुर्ग/ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दुर्ग नगर निगम सीमा क्षेत्र में लगभग 40 करोड़ के विकास कार्यों का लोकार्पण एवं भूमिपूजन किया। कलेक्टोरेट सभागार में हुए वर्चुअल कार्यक्रम में वरिष्ठ कांग्रेस विधायक अरुण वोरा,महापौर धीरज बाकलीवाल,पिछड़ा वर्ग आयोग उपाध्यक्ष आर एन वर्मा, […]Read More
ओशो– प्रत्येक धर्म जन्मता तो उनके बीच है, जो पंडित नहीं होते, लेकिन हाथ उनके पड़ जाता है अंततः, जो पंडित होते हैं। यह दुर्भाग्य है, लेकिन यह भी नियम है।जब कोइ धर्म का जन्म होता है, तो वह उस आदमी में होता है, जिसका मन खो गया होता है, तब वह पूर्ण को जानता […]Read More
ओशो– प्रेम के साथ ईर्ष्या का कुछ भी लेना देना नहीं है। वास्तव में तुम्हारे तथाकथित प्रेम का भी प्रेम के साथ कुछ भी लेना देना नहीं है। ये सुंदर शब्द हैं जिनका तुम बिना जाने हुए कि उनका अर्थ क्या है? बिना उसका अनुभव किए हुए कि उनका क्या अर्थ है? प्रयोग किये चले […]Read More
ओशो– मौत दुख देती है, क्योंकि मौत के साथ पहली दफा हमें पता चलता है, अब कोई भविष्य नहीं है। मौत दरवाजा बंद कर देती है भविष्य का, वर्तमान ही रह जाता है। और वर्तमान में तो सिर्फ टूटे हुए वासनाओं के खंडहर होते हैं, राख होती है, असफलताओं का ढेर होता है, विषाद होता […]Read More
Promising Changes in the New Bill to Counter Mob Lynching: A Boost for Minority Protection The Bharatiya Nyaya Sanhita will replace the Read More
ओशो- मूर्ति का सबसे पहले प्रयोग अशरीरी आत्माओं से संपर्क स्थापित करने के लिए किया गया है। जैसे महावीर की मूर्ति है। इस मूर्ति पर अगर कोई बहुत देर तक चित्त एकाग्र करे और फिर आंख बंद कर ले तो मूर्ति का निगेटिव आंख में रह जाएगा। जैसे कि हम दरवाजे पर बहुत देर तक […]Read More
ओशो- कृष्ण कहते हैं – अति–चाहे निद्रा में, चाहे भोजन में, चाहे जागरण में–समता लाने में बाधा है। किसी भी बात की अति, व्यक्तित्व को असंतुलित कर जाती है, अनबैलेंस्ड कर जाती है।प्रत्येक वस्तु का एक अनुपात है; उस अनुपात से कम या ज्यादा हो, तो व्यक्ति को नुकसान पहुंचने शुरू हो जाते हैं। दो […]Read More
ओशो- परमात्मा कब आ जाता है अकारण, कब तुम्हें भर देता है, कुछ कहा नहीं जा सकता; इसीलिए शांडिल्य कहते है—प्रसाद अपात्र से अपात्र में उतर आता है। बस एक ही बात चाहिए कि अपात्र स्वीकार करने को राजी हो, बस उतनी बात चाहिए द्वार—दरवाजे बंद मत कर लेना! जब सूरज की किरण सुबह आती […]Read More
ओशो– जीवन के सत्य बहुआयामी हैं। एक ही काम बहुत तरह से किया जा सकता है। और एक ही काम तक पहुंचने की बहुत सी टेक्नीक और बहुत सी विधियां हो सकती हैं। और फिर जीवन इतना बड़ा है कि जब हम एक दिशा में लग जाते हैं तो हम दूसरी दिशाओं को भूल जाते […]Read More