ओशो-“क्या है तुम्हारे झूठ का राज? अहंकार। अहंकार सरासर झूठ है। ऐसी कोई चीज कहीं है ही नहीं।” कितने झूठ तुमने बना रखे हैं! लड़का बड़ा होगा, शादी होगी, बच्चे होंगे, धन कमाएगा, यश पाएगा, और तुम मर रहे हो! और तुम्हारे बाप भी ऐसे ही मरे, किं तुम बड़े होओगे, कि शादी होगी, कि […]Read More
ओशो– स्वयं को भी नहीं जीत पाए! और जो व्यक्ति स्वयं को जीते बिना और सारी जीत की योजना बनाता है, उससे ज्यादा विक्षिप्त और कौन होगा! अगर जीत की ही यात्रा करनी है, तो पहले स्वयं की कर लेनी चाहिए। स्वयं को न जीतने का क्या अर्थ है? अगर मैं आपसे कहूं कि आज […]Read More
ओशो– सारी दुनिया शब्द पर रुकी है। कोई कुरान के शब्द पर रुका है, वह अपने को मुसलमान कहता है। कोई गीता के शब्द पर रुका है, वह अपने को हिंदू कहता है। कोई बाइबिल के शब्द पर रुका है, वह अपने को ईसाई कहता है। लेकिन ये शब्दों पर रुके हुए लोग हैं। दुनिया […]Read More
ओशो– जैसे पतंजलि के बिना भारत में योग की कोई संभावना न रह जायेगी; जैसे बुद्ध के बिना ध्यान की आधारशिला उखड़ जायेगी; जैसे कृष्ण के बिना प्रेम की अभिव्यक्ति को मार्ग न मिलेगा—ऐसे गोरख के बिना उस परम सत्य को पाने के लिये विधियों की जो तलाश शुरू हुई, साधना की जो व्यवस्था बनी,वह […]Read More
ओशो- स्वयं से चूक जाना ही त्याग है। इस जगत में हमारे मन में, जब भी हम कुछ पाने की इच्छा से चलते हैं, जब भी हम भोगना चाहते हैं, तब हमें कुछ त्यागना पड़ता है। और ध्यान रहे, जब भी हम जगत में कुछ भोगना चाहते हैं, तो हमें स्वयं को त्यागना पड़ता है, […]Read More
ओशो- दो शरीरों को मिलना हो, तो भौतिक अर्थों में एकांत चाहिए। दो आत्माओं को मिलना हो, तो भीड़ में भी मिल सकती हैं। भौतिक अर्थों में एकांत का फिर कोई अर्थ नहीं है। इस भीड़ में भी दो आत्माओं का मिलन हो सकता है। क्योंकि भीड़ तो शरीर के तल पर है। यह बहुत […]Read More
प्रेम में पड़ना जैविकओशो- गिरना हमेशा आसान होता है। आप किसी भी खाई में गिर सकते हैं. बाहर निकलना मुश्किल है. लेकिन तुम्हें बाहर निकलना होगा. एक बार प्रेम लुप्त हो गया तो खाई नर्क बन जाती है। फिर दोनों ओर से झगड़ा, बहस, नोक-झोंक और हर तरह की गंदी-गंदी बातें होती हैं। कोई भी […]Read More
ओशो- मैं तुम्हें राज्यों के बिना राजा बना सकता हूं , तुम सिर्फ राजाओं की तरह अभिनय करो, और इतनी समग्रता से अभिनय करो कि तुम्हारे सामने एक असली राजा भी ऐसे दिखाई देगा जैसे वह सिर्फ अभिनय कर रहा है।और जब संपूर्ण ऊर्जा उसमें उतरती है, यह वास्तविकता बन जाता है! ऊर्जा हर चीज […]Read More
प्रश्न- मन चंचल है। और बिना अभ्यास और वैराग्य के वह कैसे स्थिर होगा? ओशो– यह बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है और जिस ध्यान की साधना के लिए हम यहां इकट्ठे हुए हैं, उस साधना को समझने में भी सहयोगी होगा। इसलिए मैं थोड़ी सूक्ष्मता से इस संबंध में बात करना चाहूंगा। पहली बात तो यह […]Read More
पीएससी भर्ती में भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा के हस्ताक्षर अभियान
दुर्ग/ छत्तीसगढ़ राज्य में प्रशासनिक सेवाओं की भर्ती के लिए बने राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा भर्ती प्रक्रिया में धांधली करते हुए कांग्रेस नेताओं और पीएससी अध्यक्ष के कई रिश्तेदारों का अनुचित तरीके से हुए चयन को लेकर पूरे प्रदेश के युवाओं में आक्रोश प्राप्त है, जिसे लेकर भारतीय जनता पार्टी दुर्ग जिला अध्यक्ष जितेन्द्र […]Read More