ओशो– नानक ने परमात्मा को गा गा कर पाया, गीतों से पटा है मार्ग नानक का, इसलिए नानक की खोज बड़ी भिन्न है, पहली बात समझ लेनी जरूरी है, नानक ने योग नहीं किया, तप नहीं किया, ध्यान नहीं किया, नानक ने सिर्फ गाया और गाकर ही पा लिया, लेकिन गाया उन्होंने इतने पूरे प्राण […]Read More
ओशो– बुद्ध निकलते हैं एक रास्ते से और एक आदमी बुद्ध को गालियां देता है। तो बुद्ध के साथ एक भिक्षु है आनंद, वह कहता है कि आप मुझे आज्ञा दें, तो मैं इस आदमी को ठीक कर दूं। तो बुद्ध बहुत हंसते हैं। तो आनंद पूछता है, आप हंसते क्यों हैं? वह आदमी भी […]Read More
ओशो– दोनों आंखों के ऊपर भ्रू-मध्य में, भृकुटी के बीच ध्यान को जो एकाग्र करे। दूसरा, नासिका से जाते हुए श्वास और आते हुए श्वास को जो सम कर ले; इन दोनों का जहां मिलन हो जाए। ध्यान हो भृकुटी मध्य में; श्वास हो जाए सम; जिस क्षण यह घटना घटती है, उसी क्षण व्यक्ति, […]Read More
ओशो– जब तक स्त्रियां बिना प्रेम के विवाह करने को राजी होती रहेंगी, तब तक वे संपत्ति से ज्यादा नहीं हो सकतीं। जब तक स्त्रियां बिना प्रेम के विवाह करने को राजी होती रहेंगी, जब तक कन्या दान चलता रहेगा, दान चल रहा है कन्या का। वही कुर्सी, फर्नीचर का मामला है, दान हो रहा […]Read More
ओशो– मन के साथ कभी भी कोई व्यक्ति एक व्यक्ति नहीं होता, बल्कि एक भीड़ होता है। भीतर भी मन एक नहीं है, अनेक है। सदा से आदमी ऐसा समझता रहा है कि उसके भीतर एक मन है। वैसा सत्य नहीं है। आपके भीतर बहुतेरे मन हैं, बहु-मन हैं। अब मनोविज्ञान स्वीकार करता है कि […]Read More
ओशो– बुद्ध कहते थे कि जिसे सादृश्य-योग साधना हो, वह पहले तो तीन महीने मरघट पर जाकर निवास करे। सादृश्य-योग साधना हो, तो पहले तीन महीने मरघट पर निवास करे। जब कोई भिक्षु आता, बुद्ध कहते, जा तीन महीने मरघट पर रह। वह कहता, इससे क्या होगा? मैं योग साधने आया! बुद्ध कहते, पहले जरा […]Read More
India is celebrating space victories with Vikram Lander Rover (Chandriyan-3) roaming the moon’s south pole and Aditya L1 journeying towards the Read More
सिग्मंड फ्रायड की सर्वाधिक महत्वपूर्ण खोज डिस्कवरी आफ दि अनकांशस,
ओशो– सिग्मंड फ्रायड की जो सर्वाधिक महत्वपूर्ण खोज है, वह खोज है, डिस्कवरी आफ दि अनकांशस, आदमी के भीतर जो अचेतन है, उसकी खोज। आदमी का मन, जैसा हम जानते हैं उसे, वह केवल ऊपर की पर्त है, चेतन मन, कांशस माइंड है। उससे गहरी पर्त, उससे नीचे दबा हुआ मन, जो कि ज्यादा महत्वपूर्ण, […]Read More
ओशो– अलग-अलग तरह के व्यक्तियों को अलग-अलग चक्रों से भीतर जाने में आसानी होगी। अब जैसे कि साधारणतः सौ में से नब्बे स्त्रियां इस सूत्र को मानें, तो कठिनाई में पड़ जाएंगी। स्त्रियों के लिए उचित होगा कि वे भ्रू-मध्य पर कभी ध्यान न करें। हृदय पर ध्यान करें, नाभि पर ध्यान करें। स्त्री का […]Read More
ओशो– व्यक्ति को तो ऐसे ही जीना चाहिए कि जैसे कल है ही नहीं। जो क्षण मिला है वह वही काफी है, तो ही व्यक्ति अधिकतम जी पाएगा। क्योंकि प्रतिक्षण का भोग कर लेगा। रहा समाज, तो सच बात तो यह है कि समाज केवल व्यवस्था है, उसके पास कोई आत्मा नहीं है। और व्यवस्थाएं […]Read More