प्रेम क्या है? ओशो– जीना और जानना तो आसान है, लेकिन कहना बहुत कठिन है। जैसे कोई मछली से पूछे कि सागर क्या है? तो मछली कह सकती है, यह है सागर, यह रहा चारों तरफ, वही है। लेकिन कोई पूछे कि कहो क्या है, बताओ मत, तो बहुत कठिन हो जाएगा मछली को। आदमी […]Read More
ओशो– हम जो भी कर रहे हैं, उसमें हम अपने को नष्ट कर रहे हैं। लोग, अगर मैं उनसे कहता हूं कि ध्यान करो, प्रार्थना करो, पूजा में उतरो, तो वे कहते हैं, समय कहां! और वे ही लोग ताश खेल रहे हैं। उनसे मैं पूछता हूं क्या कर रहे हो? वे कहते हैं, समय […]Read More
ओशो– जैसे सात शरीर हैं, ऐसे ही सात चक्र भी हैं। और प्रत्येक एक चक्र मनुष्य के एक शरीर से विशेष रूप से जुड़ा हुआ है। जैसे सात शरीर में जो हमने कहे— भौतिक शरीर, फिजिकल बॉडी, इस शरीर का जो चक्र है, वह मूलाधार है; वह पहला चक्र है। इस मूलाधार चक्र का भौतिक […]Read More
ओशो– प्रेम की दिशा के परिवर्तन का नाम भक्ति है। और प्रेम से हम इस जगत में प्रवेश करते हैं। प्रेम से ही हम इस जगत के बाहर जा सकते हैं। लेकिन प्रेम के कुछ लक्षण समझ लेने जरूरी हैं। प्रेम का पहला लक्षण तो है उसका अंधापन। और जो भी प्रेम में नहीं होता, […]Read More
• अंतराज्यीय नशीली दवाईयो के सप्लाई चैन पर राजस्थान के कोटा, बुन्दी जयपुर में दुर्ग पुलिस द्वारा छापेमारी की गई कार्यवाही। • अंतराष्ट्रीय मार्केट में भी थी सप्लाई, डार्क वेब के माध्यम से जुड़े थे आरोपी दुर्ग/ छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सूखे नशे के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान के तहत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राम गोपाल […]Read More
ओशो– मैं तुमसे यह कहना चहता हूं.एक महीने भर तक इस बात की खोज करो कि तुम कितने—कितने समय पर झूठ होते हो। रास्ते पर कोई मिलता, तुम कहते, ‘नमस्कार, बड़े दिनों में दर्शन हुए, बड़ी आंखें तरस गईं। ‘ और भीतर तुम कह रहे हो, ‘ये दुष्ट सुबह से कहां मिल गया, यह सारा […]Read More
स्वस्थ राजनीति के प्रतीकपुरुष कृष्ण ओशो– भगवान श्रीकृष्ण आध्यात्मिक पुरुष थे। साथ-ही-साथ उन्होंने राजनीति में भी भाग लिया। और राजनीतिज्ञ के रूप में जो उन्होंने महाभारत के युद्ध में किया वह यह: भीष्म के आगे शिखंडी को खड़ा करके उन्हें धोखे से मरवाया। द्रोण को, “अश्वत्थामा मारा गया’, ऐसा झूठ बुलवाकर मरवाया। कर्ण को, जब […]Read More
ओशो– सब उपाय धर्म के क्षुद्र को भूलने के उपाय हैं। कहो उसे प्रार्थना कहो ध्यान, कहो पूजा, कहो जप; जो भी नाम देना हो, दो। क्षुद्र को भूलने के उपाय हैं। और क्षुद्र भूल जाए, तो हम उस किनारे पर खड़े हो जाते हैं, जहां से नौका विराट में छोड़ी जा सकती है। थोड़ी […]Read More
दुर्ग/ कलेक्टर सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी के निर्देश के परिपालन में आज सभी एस डी एम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी सहित राजस्व अमला ने धान खरीदी से सम्बंधित विभाग के अधिकारियों के साथ अपने अपने क्षेत्र अंतर्गत धान उपार्जन केंद्रों का निरीक्षण किये। इस दौरान उन्होंने केंद्रों में धान खरीदी,उठाव की स्थिति, स्टैग, ड्रेनेज, बारदाने, […]Read More
ओशो– अक्सर तो ऐसा होता है कि जो लोग अपने को कष्ट देते हैं, वे कष्ट देने में रस पाते हैं-सैडिस्ट हैं। अपने को सताने में या दूसरे को सताने में। या सैडिस्ट हैं या मैसोचिस्ट हैं। जो लोग तप को बहुत आदर देते हैं, वे अक्सर मैसोचिस्ट होते हैं, खुद को सताने में रस […]Read More