ओशो– एक अद्भुत ग्रंथ है भारत मैं। और मैं समझता हूं, उस ग्रंथ से अद्भुत ग्रंथ पृथ्वी पर दूसरा नहीं है। उस ग्रंथ का नाम है, विज्ञान भैरव तंत्र। छोटी सी किताब है। इससे छोटी किताब भी दुनियां में खोजनी मुश्किल है। कुछ एक सौ बारह सूत्र है। हर सुत्र में एक ही बात है। […]Read More
ओशो- स्त्री तत्व की जो परम अभिव्यक्ति है उसी के नौ पहलू दुर्गा के रूप में बनाए गए हैं। नवरात्रि अर्थात् नौ दिनों तक उसका एक-एक रूप पूजा जाता है। कभी वह ब्रह्मचारिणी है तो कभी स्कंदमाता, कभी महागौरी कभी कालरात्रि। भारतीय समाज पुरुष प्रधान है, सारे नैतिक नियम और धर्म पुरुषों ने ही बनाए […]Read More
प्रश्न: भगवान, आपने धनंजय को सिंबल आफ ह्यूमन एट्रिब्यूट, मानवीय गुणों का प्रतीक बताया है। और सार्त्र के कथन से, ही इज़ कंडेम्ड टु बी एंग्जाइटी रिडेन। तो स्वजनों की हत्या के खयाल से धनंजय का कंप जाना क्या मानवीय नहीं था? युद्धनिवृत्ति का उसका विचार मोहवशात भी क्या प्रकृति-संगत नहीं था? शेक्सपियर के हेमलेट […]Read More
प्रश्न: भगवान, कृपया यह बताइए कि मनुष्य के सामने द्वंद्वात्मक दशा बार-बार आती रहती है, तो इस द्वंद्व भरी दशा को पार करने के लिए मूल आधार कौन-सा होना चाहिए? और द्वंद्व भरी दशा को हम विकासोन्मुख किस तरह बना सकें? और यह जो द्वंद्व दशा होती है, उसमें से हमने जो अपना संकल्प कर […]Read More
धार्मिक आदमी स्वभावतः संकटग्रस्त होता है, अर्जुन मनुष्य का प्रतीक
प्रश्न: भगवान, अर्जुन युद्धभूमि पर गया। उसने स्वजन, गुरुजन और मित्रों को देखा तो शोक से भर गया; विषाद हुआ उसको। उसका चित्त हिंसक था। युद्धभूमि पर दुर्योधन भी था, युधिष्ठिर भी था, द्रोणाचार्य भी थे और भी जो बहुत से थे, उनके भी स्वजन-मित्र थे। उनका भी चित्त हिंसा तथा ममत्व से भरा हुआ […]Read More
जहां-जहां मेरा संबंध है, वहां-वहां प्रेम फलित नहीं होता, केवल
मैं उन लोगों को देखता हूं जो यहां लड़ते हुए एकत्र हुए हैं युद्ध में दुष्ट धृतराष्ट्र को प्रसन्न करने की इच्छा रखना | 23. संजय ने गुडाकेश द्वारा इस प्रकार संबोधित करते हुए कहा, हे भरत, हृषिकेश। दोनों सेनाओं के बीच श्रेष्ठ रथों की नियुक्ति | 24. युद्ध में दुष्ट दुर्योधन का हित करने […]Read More
प्रश्न: भगवान, भीष्म के गगनभेदी शंखनाद के प्रतिशब्द में कृष्ण शंखनाद करते हैं। तो क्या उनके शंखध्वनि एक्शन के बजाय प्रतिक्रिया, प्रत्याघात कहा जा सकता है? भगवद्गीता के प्रथम अध्याय में कृष्ण का पांचजन्य शंख या अर्जुन का देवदत्त शंख बजाना–यह उद्घोष के बजाय कोई और महासागर है? ओशो– कृष्ण का शंखनाद, भीष्म के शंखनाद […]Read More
प्रश्न: भगवान, आपका यह कहना सबसे बड़ी संशय में डाल देता है कि अचेतन मन भगवान से मंदिर हुआ है। यह तो जुंग ने पीछे से बताया, मिथोलाजी का कलेक्टिव अनकांशस से संबंध मित्रता। मगर फ्रायड का कहना है कि वह शैतान के साथ भी जिस जगह पर होता है, तो दुख बढ़ जाता है? […]Read More
प्रश्न: भगवान, वैज्ञानिक-सिद्धि में व्यक्ति का अपना कुछ होता है। और अज्ञात इस वैज्ञानिक- सिद्धि में कैसे उतरता होगा, यह तकलीफ की बात बन जाती है! ओशो- ऐसा साधारणतः लगता है कि वैज्ञानिक खोज में व्यक्ति की अपनी इच्छा काम करती है; ऐसा बहुत ऊपर से देखने पर लगता है; बहुत भीतर से देखने पर […]Read More
प्रश्न: भगवान, एक तो अज्ञात का विल होता है, एक व्यक्ति का अपना विल होता है। दोनों में कांफ्लिक्ट होते हैं। तो व्यक्ति कैसे जान पाए कि अज्ञात का क्या विल है, अज्ञात की क्या इच्छा है? ओशो– पूछते हैं, व्यक्ति कैसे जान पाए कि अज्ञात की क्या इच्छा है? व्यक्ति कभी नहीं जान पाता। […]Read More