प्रश्न- भगवान श्री, आपको श्रीकृष्ण पर बोलने की प्रेरणा कैसे व क्यों हुई? इस लंबी चर्चा का मूल आधार क्या है?‘ ओशो- सोचना हो, बोलना हो, समझना हो, तो कृष्ण से ज्यादा महत्वपूर्ण व्यक्ति खोजना मुश्किल है। ऐसा नहीं कि और महत्वपूर्ण व्यक्ति हुए हैं, लेकिन कृष्ण का महत्व अतीत के लिए कम और भविष्य […]Read More
प्रश्न- आज के आधुनिक समाज में रासलीला का क्या महत्व होगा? कृपया इस पर भी प्रकाश डालें।’ ओशो- रास को समझने के लिए पहली जरूरत तो यह समझना है कि सारा जीवन ही रास है। जैसा मैंने कहा, सारा जीवन विरोधी शक्तियों का सम्मिलन है। और जीवन का सारा सुख विरोधी के मिलन में छिपा […]Read More
ओशो- सारी मनुष्यता का मस्तिष्क पंगु बनाया गया है, ईश्वर की दृष्टि से। ईश्वर की तरफ जाने की जो प्यास है, उसे सब तरफ से काट दिया जाता है; उसको पनपने के मौके नहीं दिए जाते। और अगर कभी उठती भी हो, तो झूठे सब्स्टियूट खड़े कर दिए जाते हैं और बता दिया जाता है— […]Read More
ओशो– कृष्ण कह रहे हैं, इस भांति यज्ञरूपी कर्म करते हुए तुम देवताओं के सहयोगी बनो और वे देवता तुम्हारे सहयोगी बनें। इस भांति तुम कर्तव्य को उपलब्ध हो सकते हो। यह देवता शब्द को थोड़ा समझना जरूरी है। इस शब्द से बड़ी भ्रांति हुई है। देवता शब्द बहुत पारिभाषिक शब्द है। देवता शब्द का […]Read More
Religious observance is an important part of human experience. Among these, Ramadan and Eid stand out as beacons of spiritual reflection, compassion, Read More
मंदिर, तीर्थ, तिलक-टीके, मूर्ति-पूजा, माला, मंत्र-तंत्र, शास्त्र-पुराण, हवन-यज्ञ, अनुष्ठान, श्राद्ध,
प्रश्न- मंदिर तीर्थ तिलक—टीके मूर्ति—पूजा माला मंत्र—तंत्र शाख—पुराण हवन—यज्ञ अनुष्ठान श्राद्ध ग्रह— नक्षत्र ज्योतिष—गणना शकुन—अपशकुन इनका कभी अर्थ था अब व्यर्थ हो गए हैं। इन्हें समझाने की कृपा करें और बताएं कि क्या ये साधना के बाह्य उपकरण थे? रिमेम्बरिग या स्मरण की मात्र बाह्य व्यवस्था थी जो समय की तीव्र गति के साथ पूरी की […]Read More
ओशो– जिन लोगों ने भी मूर्ति विकसित की होगी, उन लोगों ने जीवन के परम रहस्य के प्रति सेतु बनाया था…मूर्ति-पूजा शब्द सेल्फ कंट्राडिकटरी है। इसीलिए जो पूजा करता है वह हैरान होता है कि मूर्ति कहां? और जिसने कभी पूजा नहीं की वह कहता है कि इस पत्थर को रख कर क्या होगा? इस […]Read More
ओशो- “यदि आप एक निश्चित मंत्र को लंबे समय तक दोहराते हैं, तो वह भी आपके अस्तित्व में सूक्ष्म रासायनिक परिवर्तन पैदा करता है। ओशो कहते हैं, ”यह दवाओं से बेहतर है, लेकिन फिर भी, वह भी एक सूक्ष्म दवा है।” बहुत से लोग मेरे पास आते हैं और पूछते हैं, “यदि समाधि घटित होती […]Read More
ओशो- यह बड़े मजे की बात है। लोग समझते हैं, उपवास भीतर है और भोजन बाहर है। लेकिन बिना भोजन के उपवास नहीं हो सकता। और उलटी बात भी सच है, बिना उपवास के भोजन नहीं हो सकता। इसलिए हर दो भोजन के बीच में आठ घंटे का उपवास करना पड़ता है। वह जो आठ […]Read More
ओशो– एक अद्भुत ग्रंथ है भारत मैं। और मैं समझता हूं, उस ग्रंथ से अद्भुत ग्रंथ पृथ्वी पर दूसरा नहीं है। उस ग्रंथ का नाम है, विज्ञान भैरव तंत्र। छोटी सी किताब है। इससे छोटी किताब भी दुनियां में खोजनी मुश्किल है। कुछ एक सौ बारह सूत्र है। हर सुत्र में एक ही बात है। […]Read More