गोपनीयों में गुप्त रखने योग्य, भावों में मौन ओशो– यह बड़ा उलटा मालूम पड़ेगा, क्योंकि गोपनीय तो हम किसी बात को रखते हैं। मौन को भी कोई गोपनीय रखता है? गोपनीय तो हम किसी विचार को रखते हैं। निर्विचार को भी कोई गोपनीय रखता है? कोई बात छिपानी हो तो हम छिपाते हैं। मौन का […]Read More
ओशो– हिंदू जलाते हैं शरीर को। क्योंकि जब तक शरीर जल न जाए, तब तक आत्मा शरीर के आसपास भटकती है। पुराने घर का मोह थोड़ा सा पकड़े रखता है।तुम्हारा पुराना घर भी गिर जाए तो भी नया घर बनाने तुम एकदम से न जाओगे। तुम पहले कोशिश करोगे, कि थोड़ा इंतजाम हो जाए और […]Read More
ओशो– परमात्मा भी रिजोनेंस है; प्रतिध्वनि देता है। जैसे हम होते हैं, ठीक वैसी प्रतिध्वनि परमात्मा भी हमें देता है। हमारे चारों ओर वही मौजूद है। हमारे भीतर जो फलित होता है, तत्काल उसमें प्रतिबिंबित हो जाता है; वह दर्पण की भांति हमें लौटा देता है, हमारे प्रतिबिंबों को। कृष्ण कहते हैं, जो मुझे जिस […]Read More
एकाध दिन ऐसा व्रत उपासना करें, चौबीस घंटे एक व्रत
ओशो– कभी एकाध दिन ऐसा प्रयोग करें। चौबीस घंटे के लिए एक व्रत ले लें। बहुत तरह के व्रत लेते हैं लोग। चौबीस घंटे भूखे रहेंगे फिर भूखे ही रह पाते हैं, और कुछ होता नहीं। कि चौबीस घंटे घी न खाएंगे, न घी खाया तो क्या फर्क पड़ता है? कि चौबीस घंटे यह न […]Read More
ईश्वर-अस्तित्व का प्रमाण क्या है? ओशो– कोई प्रमाण नहीं है, या प्रत्येक चीज प्रमाण है। तर्क की दृष्टि से तो कोई प्रमाण नहीं, क्योंकि परमात्मा तर्कातीत है। न तो तर्क से कोई सिद्ध कर सकता है उसे, न असिद्ध कर सकता है। और खयाल रखना, जो तर्क से सिद्ध हो सकता है वह तर्क से […]Read More
ओशो- विक्षिप्तता और स्वास्थ्य का एक ही लक्षण है जिसकी मालकियत हाथ में हो उसको स्वास्थ्य समझना, और जिसकी मालकियत हाथ में न हो उसको विक्षिप्तता समझना। अब यह बड़े मजे का क्राइटेरियन है। अब जो हो रहा है जिनको, जब मैं कहता हूं शांत हो जाएं, वे तत्काल शांत हो गए हैं। और वे […]Read More
दांतों में स्मृतियां है जो हमें मनुष्य के सामूहिक अवचेतन
ओशो– इन पिछले कुछ दिनों से मेरे दांतों में भयानक दर्द है। मैं बिलकुल भी सो नहीं पाया। घंटों लेटे रहते हुए मैंने अपने जीवन में पहली बार दांतों के बारे में सोचा। साधारणतया डेंटिस्ट, दंत चिकित्सक को छोड़कर दांतों के बारे में कौन सोचता है।जो मैं तुम्हें बताने जा रहा हूं वह तुम्हारे लिए […]Read More
ओशो- मौत दुख देती है, क्योंकि मौत के साथ पहली दफा हमें पता चलता है, अब कोई भविष्य नहीं है। मौत दरवाजा बंद कर देती है भविष्य का, वर्तमान ही रह जाता है। और वर्तमान में तो सिर्फ टूटे हुए वासनाओं के खंडहर होते हैं, राख होती है, असफलताओं का ढेर होता है, विषाद होता […]Read More
सत्य सार्वजनिक, युनिवर्सल एवं सार्वभौम है और असत्य निजी–प्रायव्हेट होता
ओशो- ध्यान रखना, तुम सोचते हो शायद कि एक संसार है, जिसमें हम सब रहते हैं; तो तुम गलती में हो। यहां जितने मन हैं, उतने ही संसार हैं। यहां जितने लोग हैं, उतने ही संसार हैं।और एक-एक आदमी के भीतर भी एक ही मन होता तो आसानी थी। एक-एक आदमी के भीतर अनेक मन […]Read More
ओशो– गुरु को खोजना हो तो शास्त्र को अलग रख देना। और गुरु को खोजना हो तो किसी व्यक्ति की सन्निधि को पाने की कोशिश करना; उसके सत्संग में बैठना। और अपने सिद्धांत लेकर मत जाना; अपने नापने-जोखने के इंतजाम लेकर मत जाना। सीधे हृदय को हृदय से मिलने देना, बुद्धि को बीच में मत […]Read More