ओशो– सत्संग-अनन्य श्रद्धा सत्संग तो प्रेम जैसा है, अंधा है। सारी दुनिया कहेगी, तुम्हारी प्रेयसी कुरूप है, सुंदर नहीं है; इससे क्या फर्क पड़ता है? तुम तो अंधे हो। तुम्हारी आंखों में तो वह सुंदर ही दिखाई पड़ती है। श्रद्धा एक अर्थ में परम दृष्टि है और एक अर्थ में परम अंधापन। तुम अपने विचार […]Read More
ओशो– 1910 में जर्मनी की एक ट्रेन में एक पन्द्रह–सोलह वर्ष का युवक बैंच के नीचे छिपा पड़ा है। उसके पास टिकिट नहीं है। वह घर से भाग खड़ा हुआ है। उसके पास पैसा भी नहीं है। फिर तो बाद में वह बहुत प्रसिद्ध आदमी हुआ और हिटलर ने उसके सिर पर दो लाख मार्क […]Read More
आठ आंकड़ा अर्थपूर्ण है, यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा,
ओशो– आठ का आंकड़ा योग के अष्टांगों से संबंधित है। पतंजलि ने कहा है. आठ अंगों को जो पूरा करेगा—यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि—वही केवल सत्य को उपलब्ध होगा। यह पिता की नाराजगी, यह पिता का अभिशाप सिर्फ इतनी ही सूचना देता है कि वे आठ अंग, जिनसे व्यक्ति परम सत्य को […]Read More
विचार नींद का हिस्सा है, जितना सोया हुआ आदमी, उतने
ओशो– जापान में कोई दो सौ वर्ष पहले एक बहुत अद्भुत संन्यासी हुआ। उस संन्यासी की एक ही शिक्षा थी कि जागो! नींद छोड़ दो। उस संन्यासी की खबर जापान के सम्राट को मिली। सम्राट जवान था, अभी नया नया राजगद्दी पर बैठा था। उसने उस फकीर को बुलाया। और उस फकीर से प्रार्थना की, […]Read More
Free Will in Faith: Understanding Islam’s Position on Forced Conversions
In recent times, the term “Love Jihad has gained attention, sparking debates and discussions across various platforms. At the heart of this Read More
ओशो– मनुष्य के साथ यह दुर्भाग्य हुआ है। यह सबसे बड़ा दुर्भाग्य है, अभिशाप है जो मनुष्य के साथ हुआ है कि हर आदमी किसी और जैसा होना चाह रहा है और कौन सिखा रहा है यह? यह षडयंत्र कौन कर रहा है? यह हजार-हजार साल से शिक्षा कर रही है। वह कह रही राम […]Read More
एक नई साइंस है इकोलाजी, इकोलाजी जब बहुत विकसित हो
ओशो- अभी एक नई साइंस है, इकोलाजी; अभी नई विकसित होती है। आज नहीं कल इकोलाजी जब बहुत विकसित हो जाएगी, तो कृष्ण का वचन पूरी तरह समझ में आ सकेगा। यह इकोलाजी नया विज्ञान है, जो पश्चिम में विकसित हो रहा है, क्योंकि वहा मुश्किल खड़ी हो गई, क्योंकि उन्होंने सारी की सारी प्रकृति […]Read More
ओशो– बीज से कुछ सीखो, क्योंकि तुम भी बीज हो। और तुम इस पृथ्वी पर सर्वाधिक बहुमूल्य बीज हो, क्योंकि तुमसे ही परमात्मा का फूल खिल सकता है। वह स्वर्ण-कमल तुम्हारी झील में ही खिलेगा। तुम पर एक बड़ा दायित्व है। तुम अगर बिना परमात्मा को जाने मर गये तो तुमने अपना दायित्व पूरा न […]Read More
अस्तित्व ने रूप ले लिया है, आपकी वासनाओं के कारण
ओशो– कृष्ण कहते हैं, मैं वापस लौट आता हूं यह इस बात की खबर है कि अस्तित्व वैसा ही हो जाएगा, जैसी आपकी गहरी—गहरी मौन प्रार्थना होगी। जैसा गहरा भाव होगा, अस्तित्व वैसा ही राजी हो जाएगा। इसके बड़े इंप्लीकेशंस हैं, इसकी बड़ी रहस्यपूर्ण उपपत्तिया हैं। इसका मतलब यह हुआ कि आप जो भी कर […]Read More
ओशो– आत्मा के संबंध में आने वाले दिन बहुत खतरनाक और अंधकारपूर्ण होने वाले हैं, क्योंकि विज्ञान की प्रत्येक घोषणा आदमी को यह विश्वास दिला देगी कि आत्मा नहीं है। इससे आत्मा असिद्ध नहीं होगी, इससे सिर्फ आदमी के भीतर जाने का जो संकल्प था, वह क्षीण होगा। अगर आदमी को यह समझ में आने […]Read More