ओशो– जगत अनित्य है। अनित्य का अर्थ होता है, जो है भी और प्रतिक्षण नहीं भी होता रहता है। अनित्य का अर्थ नहीं होता कि जो नहीं है। जगत है, भलीभांति है। उसके होने में कोई संदेह नहीं है। क्योंकि यदि वह न हो, तो उसके मोह में, उसके भ्रम में भी पड़ जाने की […]Read More
ओशो– एक संध्या एक पहाड़ी सराय में एक नया अतिथि आकर ठहरा। सूरज ढलने को था, पहाड़ उदास और अंधेरे में छिपने को तैयार हो गए थे। पक्षी अपने निबिड़ में वापस लौट आए थे। तभी उस पहाड़ी सराय में वह नया अतिथि पहुंचा। सराय में पहुंचते ही उसे एक बड़ी मार्मिक और दुख भरी […]Read More
प्रश्न :भगवान! इस भारत-भूमि पर कृष्ण, बुद्ध, महावीर, कबीर, नानक तथा ऐसी ही महान आत्माओं की किरणों का प्रकाश तो मैं प्रत्यक्ष आप में देख रहा हूं। क्या भारत-भूमि ही धार्मिकता की दृष्टि से अग्रणी रहेगी या इसमें भी विदेशी साधक अग्रणी हो जाएंगे? क्योंकि विदेशी वैज्ञानिक, इंजीनियर, डाक्टर, विचारक, द्रष्टा इस प्रकार पूना भागे […]Read More
ओशो– ध्यान करना आसान है। ध्यान क्या है, यह बताना अति कठिन है; करीब-करीब असंभव। क्योंकि ध्यान इतनी भीतरी अनुभूति है, शब्द उसे प्रगट नहीं कर पाते। और जो भी शब्दों में उसे प्रगट करने की कोशिश करता है, वह अनुभव करता है कि जो कहना चाहता था, वह नहीं कहा गया। जो नहीं कहना […]Read More
ओशो- जो आदमी कल की आशा छोड़ दे और आज कर्म करे, कर्म ही उसका फल बन जाता है, कर्म ही उसका रस बन जाता है। फिर कर्म और फल में समय का व्यवधान नहीं होता। फिर अभी कर्म और अभी फल।जीवन का रहस्य ही यही है कि हम जिसे पाना चाहते हैं, उसे हम […]Read More
ओशो– साधारण आदमी की तरकीब यह है कि वह सदा बाहर कारण खोजता है। तुम दुखी हो। तुम तत्क्षण कारण खोजते हो बाहर कि कौन मुझे दुखी कर रहा है? क्या कारण है मेरे दुख का?और बड़ा संसार है चारों तरफ। कोई न कोई कारण तुम खोज लेते हो। वह कारण झूठा है। दुखी तुम […]Read More
ओशो– धर्म का कोई संबंध मृत्यु के पार से नहीं है, धर्म का मौलिक संबंध जीवन के निखार से है। धर्म का कोई संबंध पाप और पुण्य से नहीं है, धर्म का संबंध है मूर्च्छा और जागरण से। तुम जागो! और जागोगे तो अभी ही जाग सकते हो, कल नहीं। इस क्षण को जागरण का […]Read More
ओशो– प्रशांत महासागर में एक छोटे से द्वीप पर, ईस्टर आईलैंड में एक हजार विशाल मूर्तियां हैं। जिनमें कोई भी मूर्ति बीस फीट से छोटी नहीं है। और निवासियों की कुल संख्या दो सौ है। एक हजार, बीस फीट से भी बड़ी विशाल मूर्तियां है। जब पहली दफा इस छोटे से द्वीप का पता चला […]Read More
दुनिया की हुकूमतें, दुनिया के पोलिटिशियंस, दुनिया के धर्म-पुरोहित, दुनिया
ओशो– दुनिया में बड़ा खतरा है विश्वास के कारण। क्योंकि जो लोग विश्वास करते हैं, वे किसी भी चीज पर विश्वास कर सकते हैं। उन्हें कोई भी चीज समझाई जा सकती है, क्योंकि विश्वास करने वाला आदमी कभी विचार नहीं करता। इसलिए दुनिया की हुकूमतें, दुनिया के पोलिटिशियंस, दुनिया के धर्म-पुरोहित, दुनिया के शोषण करने […]Read More
ओशो– जितना आधुनिक मनुष्य है, उतना ही ज्यादा कम प्राकृतिक, उतना ही ज्यादा कृत्रिम, उतना ही ज्यादा प्लास्टिक; असली नहीं, नकली। उसकी गंध नकली, उसका रंग नकली, उसका सब नकली! ओंठ रंग लिए हैं लिपस्टिक से, वह उसका रंग है ओंठों का। असली ओंठों का तो पता ही चलना मुश्किल हो गया है। कपड़े पहन […]Read More