ओशो- गुरजिएफ अपने संस्मरणों में लिखता है, मैं जिंदगी में कोई बुरा काम नहीं कर पाया। मेरे बाप ने मुझे धोखा दे दिया। उसने कहा, चौबीस घंटे बाद कर लेना। लेकिन चौबीस घंटा तो बहुत वक्त है, चौबीस सेकेंड भी कोई बुरा काम करते वक्त रुक जाए, तो नहीं कर सकता। चौबीस सेकेंड भी! क्योंकि […]Read More
प्रथम अखिल भारतीय पुलिस वेटलिफ्टिंग क्लस्टर 2024-25 के तृतीय दिवस
दुर्ग/ प्रथम अखिल भारतीय पुलिस वेटलिफ्टिंग क्लस्टर 2024-25 का आयोजन छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा प्रथम बटालियन छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल, भिलाई में दिनांक 23.09.2024 से 27.09.2024 तक किया जा रहा है। आज, दिनांक 25.09.2024 को इस प्रतियोगिता के तृतीय दिवस पर भिलाई के जैन भवन, अग्रसेन भवन सेक्टर 6, एवं महाराष्ट्र मंडल सेक्टर 4 में आयोजित योगा, […]Read More
ओशो- मैं तुम्हें एक जीवन के गहरे कानूनों में से एक बताता हूं। तुमने इसके बारे में बिल्कुल नहीं सोचा होगा। तुमने सुना होगा कि – पूरा विज्ञान इस पर निर्भर करता है–– कि कारण और परिणाम आधारभूत नियम है। तुम कारण निर्मित करो और परिणाम अनुसरण करता है। जीवन एक कारण-कार्य कड़ी है। तुमने […]Read More
ऑल इंडिया पुलिस वेटलिफ्टिंग क्लस्टर प्रतियोगिता में रिथमिक योग पुरुष में बीएसएफ एवम महिला वर्ग में राजस्थान पुलिस को मिला गोल्ड दुर्ग/ प्रथम ऑल इंडिया पुलिस वेटलिफ्टिंग क्लस्टर चैंपियनशिप 2024-25 दिनांक 23 एवम 24.09.2024 को वेटलिफ्टिंग पावर लिफ्टिंग एवं योगा के अलग-अलग इवेंट हुए। जिसमे दिनांक 23.09.2024 को रिथमिक योग पुरुष में बीएसएफ से बी […]Read More
ध्यान धीरे-धीरे तुम्हारे सारे जीवन पर फैल जाना चाहिए इसलिए
प्रश्न : मैं ध्यान करना चाहता हूँ, लेकिन मैं हर समय व्यस्त रहता हूँ। मैं नहीं जानता कि कैसे ध्यान किया जाये या इसे करने के लिये कब समय निकाला जाये… ??? ओशो: दुनिया भर में ध्यान के सारे शिक्षक तुम्हें कहते रहे हैं कि तुम्हें ध्यान के लिये अलग से समय निकालना है। लेकिन […]Read More
डोंगरगढ़/ डोंगरगढ़ में पहाड़ी पर विराजित विश्व प्रसिद्ध मां बम्लेश्वरी मंदिर में डेढ़ क्विंटल वजनी चांदी का दरवाजा लगेगा। नवरात्र पर्व 2024 के पहले पुराने दरवाजे को निकालकर नया दरवाजा लगाया जाएगा। जानकारी के मुताबिक इसकी लागत लगभग डेढ़ करोड़ रुपये होगी। दरवाजे पर लगाए जाने वाली चांदी की चादर की मोटाई 22 गेज की […]Read More
ओशो- मैने सुना है कि एक वेश्या और संन्यासी आमने-सामने रहते थे। एक ही दिन मरे। देव-दूत इकट्ठे हुए और संन्यासी को नरक ले जाने लगे और वेश्या को स्वर्ग। फिर किसी को संदेह पैदा हुआ, क्योंकि संन्यासी चिल्लाया, ‘यह क्या कर रहे हो? कुछ गलती हो गयी! मुझे स्वर्ग ले जाओ, मैं संन्यासी हूँ […]Read More
ओशो- मैं भर्तृहरि के जीवन में एक उल्लेख पढ़ता था। भर्तृहरि सम्राट हुए। सम्राट होते ही इन्होंने अपने वजीरों को बुलाया और एक बड़ी अनूठी आज्ञा दी। आज्ञा यह थी कि जितने भी सुख संभव हो संसार में, मैं सब भोगना चाहता हूं। वजीरों ने सोचा: खूब भोगी–सम्राट हो गया है। पहले दिन ही सिंहासन […]Read More
ओशो- किसी को भी दुखी करके देखो, तुम दुखी हो ही जाओगे। और इससे उलटा भी सही है। तुम किसी को सुखी करके देखो और तुम पाओगे कि सुख न मालूम कितने रूपों में तुम्हारे हृदय में भी गुंजरित हो उठा है। और तुम किसी के रास्ते से एक छोटा सा कांटा भी हटाओ, तो […]Read More
प्रश्नः आपकी बातें सुनता हूं, तो प्रभु-खोज के विचार उठते हैं। लेकिन समझ नहीं पड़ता कि कहां से शुरू करूं! ओशो- कहीं से भी शुरू करो–शुरू करो। परमात्मा सब तरफ है। जहां से भी शुरू करोगे, उसी में शुरू होगा। कहां से शुरू करूं–इस प्रश्न में मत उलझो। क्योंकि परमात्मा तो एक तरह का वर्तुल […]Read More