ओशो- शुभ कर्म जिसका सफल हो जाए, उसकी तो दुर्गति का सवाल ही नहीं है। लेकिन शुभ कर्म जिसका सफल भी न हो पाए, उसकी भी दुर्गति नहीं होती। इससे दूसरी बात भी आपको कह दूं, तो जल्दी खयाल में आ जाएगा। अशुभ कर्म जिसने किया, सफल न भी हो पाए, तो भी दुर्गति हो […]Read More
युवोदय टीम द्वारा स्वामी आत्मानंद स्कूल निकुम में मानसिक स्वास्थ्य
दुर्ग/ कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी के मार्गदर्शन में युवोदय स्वयंसेवकों के द्वारा अलग-अलग विषयों में जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में युवोदय टीम के द्वारा स्वामी आत्मानंद एक्सीलेंट इंग्लिश/हिंदी मीडियम स्कूल निकुम में एक दिवसीय कार्यशाला ’’आओ बात करें’’ का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने और […]Read More
दुर्ग/ शिक्षा ही एकमात्र माध्यम है जो आदिवासियों के जीवन स्तर को ऊपर उठाएगा। इसीलिए प्रत्येक आदिवासी ब्लॉक में 4 से 5 एकलव्य आदिवासी आश्रम होने चाहिए। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग शीघ्र ही आदिवासी वर्ग के लिए युवा संवाद एवं जन संवाद का कार्यक्रम नई दिल्ली में प्रधानमंत्री के साथ आयोजित करेगा। उपरोक्त बातें आज […]Read More
दुर्ग/ नगर पालिक निगम सीमा क्षेत्र अंतर्गत 70 वर्ष से अधिक के वरिष्ठ नागरिकों का नया आयुष्मान कार्ड बनाया जाना है।नगर निगम के कर्मचारी इसके लिए घर-घर दस्तक दें रहे है।वरिष्ठ नागिरकों का आयुष्मान बनाने घर-घर पहुंचकर निरन्तर कर्मचारी तीन दिनों में 386 आयुष्मान कार्ड बनाया गया है।यह कार्य नगर पालिक निगम क्षेत्र में 22 […]Read More
ओशो- आदमी के भीतर एक जाल है। उसी जाल से वह सारे जगत को बाहर से नापता-जोखता है। इसलिए जब आपको कोई आदमी चोर मालूम पड़े, तो एक बार सोचना फिर से कि उसके चोर मालूम पड़ने में आपके भीतर का चोर तो सहयोगी नहीं हो रहा! और जब कोई आदमी बेईमान मालूम पड़े, तो […]Read More
ओशो- एक यहूदी फकीर हुआ बालसेन। एक दिन एक धनपति उससे मिलने आया। वह उस गांव का सबसे बड़ा धनपति था, यहूदी था। और बालसेन से उसने कहा कि कुछ शिक्षा मुझे भी दो। मैं क्या करूं? बालसेन ने उसे नीचे से ऊपर तक देखा, वह आदमी तो धनी था लेकिन कपड़े चीथड़े पहने हुए […]Read More
प्रश्न: भारत के लोग सदियों से गुलाम और गरीब रहने के कारण भयानक हीनता के भाव से पीड़ित हैं, और इसलिए पश्चिम का अंधानुकरण कर रहे हैं। क्या यह अंधानुकरण अस्वस्थ नहीं है? और क्या उन्हें अपना मार्ग और गंतव्य स्वयं ही नहीं ढूंढना चाहिए? इस संदर्भ में आप हमें क्या मार्गदर्शन देंगे? ओशो- मृत्युंजय […]Read More
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं को किया गया सम्मानित
दुर्ग/ छत्तीसगढ़ शासन महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा प्रति वर्ष 14 नवम्बर को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं के सम्मान के लिए दिवस मनाये जाने का निर्णय लिया गया है। इसी अनुक्रम में विगत 14 नवम्बर 2024 को जिला एवं परियोजना स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन विवेकानंद सभागार में किया गया जिसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं […]Read More
दुर्ग/ शासकीय डॉ. वामन वासुदेव पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय दुर्ग के रेडक्रॉस के तत्वाधान से एनीमिया जागरूकता पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कलेक्टर सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी द्वारा कॉलेज भ्रमण के दौरान छात्राओं की रक्त अल्पतता को लेकर चिन्ता व्यक्त की गई थी। उनके दिशा निर्देशन में आयोजित इस कार्यशाला में जिला […]Read More
ओशो- शिव जैसा ध्यानी नहीं है। ध्यानी हो तो शिव जैसा हो। क्या अर्थ है? ध्यान का अर्थ होता है : न विचार, वासना, न स्मृति, न कल्पना। ध्यान का अर्थ होता हैः भीतर सिर्फ होना मात्र। इसीलिए शिव को मृत्यु का, विध्वंस का, विनाश का देवता कहा है। क्योंकि ध्यान विध्वंस है–विध्वंस है मन […]Read More