ओशो- महावीर के संबंध में कहा जाता है— पच्चीस सौ साल में महावीर के पीछे चलनेवाला कोई भी व्यक्ति नहीं समझा पाया कि इसका राज क्या है। महावीर ने बारह वर्षों में केवल तीन सौ पैंसठ दिन भोजन किया। इसका अर्थ हुआ कि ग्यारह वर्ष भोजन नहीं किया। कभी तीन महीने बाद एक दिन किया, […]Read More
बड़ा प्यारा सुत्र, मार्गों में अष्टांगिकमार्ग, सत्यों में चार पद,
ओशो- बहुत मार्ग हैं भीतर आने के, लेकिन बुद्ध कहते हैं, अष्टांगिक मार्ग उसमें श्रेष्ठ है। तुम बाहर के मार्गों की बातें कर रहे हो कि कौन सा रास्ता अच्छा है, अरे पागलों, अष्टांगिक मार्ग श्रेष्ठ है। भीतर आने के बहुत मार्गों में आठ अंगों वाला अष्टांगिक मार्ग श्रेष्ठ है। वे आठ अंग निम्न है […]Read More
राम और रावण, मृत्यु और जीवन, दोनों विरोध वस्तुत: विरोधी
प्रश्न : कहा जाता है कि रावण भी ब्रह्मज्ञानी था। क्या रावण भी रावण उसकी मर्जी से नहीं था? क्या रामलीला सच में ही राम की लीला थी? ओशो- निश्चित ही, रावण ब्रह्मज्ञानी था और रावण के साथ बहुत अनाचार हुआ है और दक्षिण में जो आज रावण के प्रति फिर से समादर का भाव […]Read More
कलेक्टर ने किया रक्तदान, जिला अस्पताल में आयोजित रक्तदान शिविर
दुर्ग/ कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी के मार्गदर्शन में आज जिला अस्पताल में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। शासकीय डॉ. वा. वा. पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय दुर्ग के यूथ रेडक्रास सोसायटी एवं राष्ट्रीय सेवा योजना अंतर्गत महाविद्यालय के टीचर एवं स्टाफ द्वारा 7 यूनिट रक्तदान किया गया। इस शिविर में कलेक्टर सुश्री चौधरी ने भी […]Read More
धर्म बपौती नहीं है, प्रत्येक व्यक्ति की निजी उपलब्धि है
ओशो– इस समय सारी जमीन जिस भूल में पड़ी है, वह भूल यह है कि हम उस धर्म को, जिसे कि चेष्टा से, साधना से, प्रयास से उपलब्ध करना होगा, उसे हम पैदाइश से उपलब्ध मान लेते हैं! इससे बड़ा धोखा नहीं हो सकता। और जो आपको यह धोखा देता है, वह आपका दुश्मन है। […]Read More
नये के लिए पुराने को गिराना आवश्यक “ओशो”
ओशो– सुना है मैंने, एक गांव में बहुत पुराना चर्च था। वह चर्च इतना पुराना था कि आज गिरेगा या कल, कहना मुश्किल था। हवाएं जोर से चलती थीं तो गांव के लोग डरते थे कि चर्च गिर जाएगा। आकाश में बादल आते थे तो गांव के लोग डरते थे कि चर्च गिर जाएगा। उस […]Read More
आलसी शासन: अगर तुम्हारी गुणवत्ता दूसरे की निंदा बन जाए
ओशो- ऐसा हुआ कि मोहम्मद का एक शिष्य यहूदियों की किताब तालमुद पढ़ रहा था। मोहम्मद ने उसे तालमुद पढ़ते देखा तो उससे कहा, देख, अगर तालमुद पढ़नी हो तो यहूदी हो जा! क्योंकि बिना यहूदी हुए तू कैसे तालमुद समझ पाएगा? मुसलमान रहते हुए तू तालमुद समझ न पाएगा, क्योंकि तेरा पूरापन तालमुद से […]Read More
आलसी शासन: राजनीति का अर्थ है, दूसरे तुम्हें नैतिक बनाने
ओशो- जब विपत्ति आए तो तुम घबड़ाना मत, क्योंकि विपत्ति के ही छाएदार रास्ते से भाग्य भी यात्रा करता है। विपत्ति के पीछे ही भाग्य आता है। विपत्ति के पीछे ही सुख, महासुख की संभावना छिपी है। जब विपत्ति आए तो तुम घबड़ा मत जाना, उद्विग्न मत हो जाना, जल्दी ही भाग्य तुम्हारे द्वार पर […]Read More
आलसी शासन: कानून अगर अतिशय हो तो लोगों को अपराधी
ओशो- कानून अगर अतिशय हो तो लोगों को अपराधी बनाता है क्योंकि इतना कानून कोई भी बरदाश्त नहीं कर सकता कि जीना मुश्किल हो जाए। कानून जीने में सहायता देने को है, जीने को मिटा देने को नहीं। इसलिए कम से कम कर होने चाहिए और कम से कम कानून होने चाहिए। न्यूनतम कानून से […]Read More
राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में एकलव्य आर्चरी से दो खिलाड़ियों का
भिलाई/ विगत दिनों रुंगटा स्कूल में आयोजित कंपाउंड तीरंदाजी की सीबीएसई ईस्ट फॉर का जोनल प्रतियोगिता आयोजित हुई जिसमें भिलाई की एकलव्य आर्चरी से U- 17 बालिका ग्रुप में प्रीत कौर और U-14 बालक वर्ग में अकुल हालदार चयनित हुए हैं। ये दोनों दिल्ली में होने वाली राष्ट्रीय प्रतियोगिता में सम्मिलित होंगे । वही स्कूल […]Read More