जब मन दुखी होता है, तो शरीर की रेसिस्टेंस, प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है

 जब मन दुखी होता है, तो शरीर की रेसिस्टेंस, प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है

ओशो- असल में भय और भागना दो चीजें नहीं हैं। भय मन है और भागना शरीर है। प्रसन्नता और हंसी दो चीजें नहीं हैं। प्रसन्नता मन है और हंसी शरीर है। और शरीर और मन एक—दूसरे को तत्‍क्षण प्रभावित करते हैं, नहीं तो शराब पीकर आपका मन बेहोश नहीं होगा। शराब तो जाती है शरीर में, मन कैसे बेहोश होगा? शराब मजे से पीते रहिए। शरीर को नुकसान होगा, तो होगा। मन को कोई नुकसान नहीं होगा। लेकिन मन तत्‍क्षण बेहोश हो जाता है। और जब आपका मन दुखी होता है, तो शरीर भी रुग्ण हो जाता है।
अब तो शरीरशास्त्री कहते हैं कि जब मन दुखी होता है, तो शरीर की रेसिस्टेंस, प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है। अगर मलेरिया के कीटाणु फैले हुए हैं, तो जो आदमी मन में दुखी है, उसको जल्दी पकड़ लेंगे, और जो मन में प्रसन्न है, उसको नहीं पकड़ेंगे।
आप जानकर हैरान होंगे कि प्लेग फैली हुई है, सबको पकड़ रही है, और डाक्टर दिन—रात प्लेग में काम कर रहा है, उसको नहीं पकड़ रही। कारण क्या है? डाक्टर अति प्रसन्न है अपने काम से। वह जो सेवा कर रहा है, उससे आनंदित है। उसे प्लेग कोई बीमारी नहीं है, एक प्रयोग है। उसे प्लेग जो है, वह कोई खतरा नहीं है, बल्कि एक चुनौती है, एक संघर्ष है, जिसमें वह जूझ रहा है। वह प्रसन्नचित्त है, वह आनंदित है, वह बीमार नहीं पड़ेगा। क्यों? क्योंकि शरीर की प्रतिरोधक शक्ति, रेसिस्टेंस, जब आप प्रसन्न होते हैं, तब ज्यादा होती है, जब आप दीन, दुखी, पीड़ित होते हैं भीतर, तो कम हो जाती है।
कीटाणु भी बीमारियों के आप पर तब तक हमला कर सकते, जब तक आप दरवाजा न दें, कि आओ, मैं तैयार हूं। और जब आप इतने प्रसन्नता से भरे होते हैं, तो चारों तरफ आपके एक आभा होती है, जिसमें कीटाणु प्रवेश नहीं कर सकते।
चौबीस घंटे में बीमारी पकड़ने के घंटे अलग हैं। और अब ‘ आदमी के भीतर की जो खोज होती है, उससे पता चलता है कि चौबीस घंटे में कुछ समय के लिए आप पीक आवर में होते हैं, शिखर पर होते हैं अपनी प्रसन्नता के। कोई क्षण में चौबीस घंटे में एक दफा आप बिलकुल नादिर, नीचे, आखिरी अवस्था में होते हैं। उस आखिरी अवस्था में ही बीमारी आसानी से पकड़ती है। और शिखर पर कभी बीमारी नहीं पकड़ती।
वह जो शिखर का क्षण है आपके भीतर प्रसन्नता का, वह शरीर और मन का एक ही है। वह जो खाई का क्षण है, वह भी एक ही है।

ओशो आश्रम उम्दा रोड भिलाई-३