“यहूदियों की अनूठी किताब है–तालमुद” परमात्मा तुमसे यह न पूछेगा कि तुमने कौन-कौन सी गलतियां कीं “ओशो”

ओशो– बड़ी अनूठी किताब है। दुनिया में कोई धर्मशास्त्र वैसा नहीं। तालमुद कहती है कि परमात्मा तुमसे यह न पूछेगा कि तुमने कौन-कौन सी गलतियां कीं। गलतियों का वह हिसाब रखता ही नहीं, बड़ा दिल है। परमात्मा तुमसे पूछेगा, तुम्हें इतने सुख के अवसर दिए तुमने भोगे क्यों नहीं? गलतियों की कौन फिकर रखता है? भूल-चूक का कौन हिसाब रखता है?
वह तुमसे पूछेगा, इतने अवसर दिए सुख के, तुमने भोगे क्यों नहीं? तालमुद कहती है, एक ही पाप है जीवन में, और वह है जीवन के अवसरों को बिना भोगे गुजर जाने देना। जब तुम आनंदित हो सकते थे, आनंदित न हुए। जब गीत गा सकते थे, गीत न गाया। सदा कल पर टालते रहे, स्थगित करते रहे।
स्थगित करने वाला आदमी जीएगा कब? कैसे जीएगा? स्थगित करना ही तुम्हारे जीवन की शैली हो जाती है। बच्चे थे तब जवानी पर छोड़ा, जवान हो तब बुढ़ापे पर छोड़ोगे। और बुढ़ापे में लोग हैं, वे अगले जनम पर छोड़ रहे हैं। वे कह रहे हैं, परलोक में देखेंगे।
यही लोक है एकमात्र। और यही क्षण है। सत्य का यही क्षण है। बाकी सब झूठ है। मन का जाल है। लेकिन अगर तुम्हें अच्छा लगता है, तुम्हारी मर्जी। तुम्हें अच्छा लगता हो, तो मैं कौन हूं बाधा देने वाला? तुम सपने देखो। कभी न कभी तुम जागोगे, तब रोओगे, पछताओगे। तब तुम पछताओगे कि इतना समय यूं ही गंवाया। और ध्यान रखना जीवन में जितना दुख भर लोगे, जितने आंसू घने कर लोगे, जितना पछतावा हो जाएगा, उतना ही कठिन हो जाता है रोकना फिर दुख को, आंसुओं को।
ओशो आश्रम उम्दा रोड भिलाई-३
एस धम्मो सनंतनो–(प्रवचन–06)