वर्ष 2023 के तृतीय नेशनल लोक अदालत में कुल 51449 मामले निराकृत तथा अवार्ड राशि 24 करोड़ 62 लाख 14 हजार 315 रूपए रही
दुर्ग / 09 सितंब 2023 को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई-दिल्ली के निर्देशानुसार एवं छ0ग0राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के मार्गदर्शन में तथा नीता यादव, जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के निर्देशन में जिला न्यायालय एवं तहसील व्यवहार न्यायालय में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया । जिसके तहत जिला न्यायालय दुर्ग, व्यवहार न्यायालय भिलाई-3, व्यवहार न्यायालयपाटन एवं व्यवहार न्यायालय धमधा, तथा किशोर न्याय बोर्ड, श्रमन्यायालय, स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाऐं), राजस्व न्यायालय एवं उपभोक्ता फोरम दुर्ग में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया।नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ मॉं सरस्वती के तैलचित्र पर नीता यादव जिला न्यायाधीश दुर्ग द्वारा माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवल कर प्रातः 10ः30 बजे किया गया । शुभारंभ कार्यक्रम में सिराजुद्दीन कुरैशी प्रधान न्यायाधीश, कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग, शैलेश कुमार तिवारी, विशेष न्यायाधीश एस.सी./एस.टी. एक्ट दुर्ग, संजीव कुमार टॉमक, प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश दुर्ग के अलावा जिला अधिवक्ता संघ, दुर्ग की अध्यक्ष नीता जैन एवं अन्य पदाधिकारीगण, न्यायाधीश गण, अधिवक्तागण तथा विभिन्न बैंक के प्रबंधक उपस्थित रहे।नेशनल लोक अदालत में कुल 32 खण्डपीठ का गठन किया गया । परिवार न्यायालय दुर्ग हेतु 02 खण्डपीठ, जिला न्यायालय दुर्ग हेतु 23, तहसील न्यायालयभिलाई-3 में 02 खण्डपीठ , तहसील पाटन हेतु 01 खण्डपीठ, तहसील न्यायालय धमधा में 01 खण्डपीठ, किशोर न्याय बोर्ड हेतु 01 श्रम न्यायालय हेतु 01 तथा स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाऐं) दुर्ग के लिए 01 खण्डपीठ का गठन किया गया । इसके अतिरिक्त राजस्व न्यायालय में भी प्रकरण का निराकरण हेतु खण्डपीठ का गठन किया गया था।उक्त नेशनल लोक अदालत में राजीनामा योग्य दाण्डिक , सिविल , परिवार , मोटर दुर्घटना दावा, से संबंधित प्रकरण रखे गये तथा उनका निराकरण आपसी सुलह, समझौते के आधार पर किया गया। इसके अलावा बैकिंग/वित्तीय संस्था, विद्युत एवं दूरसंचार से संबंधित प्री-लिटिगेशन प्रकरणों (विवाद पूर्व प्रकरण) का निराकरण भी किया गया।उक्त आयोजित नेशनल लोक अदालत का निरीक्षण माननीय कार्यपालक अध्यक्ष न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी न्यायाधीश छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर के द्वारा किया गया । माननीय न्यायमूर्ति के द्वारा न्यायालय परिसर में गठित खण्डपीठों का निरीक्षण करते हुए उपस्थित पक्षकारों से रू-ब-रू हुये तथा नेशनल लोक अदालत से संबधित कार्यो का जायजा लिया गया।निरीक्षण के दौरान माननीय न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी के साथ नीता यादव जिला न्यायाधीश दुर्ग, शैलेश कुमार तिवारी, विशेष न्यायाधीश एस.सी./एस.टी. एक्ट दुर्ग आनंद प्रकाश वारियाल सदस्य सचिव छ0ग0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर, संतोष ठाकुर, मुख्य न्यायिक मजिस्टेट दुर्ग तथा सचिव आशीष डहरिया के अलावा जिला अधिवक्ता संघ, दुर्ग की अध्यक्ष नीता जैन एवं अन्य पदाधिकारीगण, न्यायाधीशगण, अधिवक्तागण उपस्थित रहे।माननीय न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी के द्वारा पत्रकारों से भी रू-ब-रू होते हुए उनके पूछे गये प्रश्नों का समुचित उत्तर दिया गया। 10 साल से उपर के मामलों के निराकरण नहीं होने के प्रश्नों के जवाब में माननीय न्यायमूर्ति के द्वारा कहा गया कि जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती है वैसे-वैसे प्रकरणों की संख्या भी बढ़ती है जिस अनुपात में केस बढ़ता है उसकी तुलना में कोर्ट कम ही बने हुए हैं फिर भी पुराने मामलों का निराकरण किया जा रहा है। वहीं मामलों के निराकरण में पुलिस विभाग की भूमिका भी बड़ी है यदि पुलिस विभाग की ओर से कोर्ट के द्वारा जारी समंस/वारंट की तामिली अधिक संख्या में शीघ्रता से किये जावेंगे तो मामलें के निराकरण में शीघ्रता से वृद्धि होगी। माननीय न्यायमूर्ति के द्वारा आगे कहा गया कि जिले में स्थायी लोक अदालत जनोपयोगी सेवाऐ भी कार्यरत है जिसमें प्रकरणों की सुनवाई का क्षेत्र विस्तृत है किन्तु उक्त लोक अदालत की जानकारी आम लोगों को कम होने से उक्त लोक अदालत में मामलें कम निराकृत होते हैं यहां मीडिया की भूमिक बड़ी हो जाती है कि संबंधित स्थायी लोक अदालत का वृहद पैमाने में आमजनों के बीच प्रचार प्रसार करें ताकि संबंधित लोक अदालत के बारे में तथा उक्त लोक अदालत में सुनवाई योग्य प्रकरणों की आम जनों को जानकारी हो सके । वर्तमान में सभी जिलों में लीगल एड डिफेंस कौंसिल की स्थापना हुई है पूर्व में पेनल अधिवक्ताओं के माध्यम से प्रकरणों के निपटारे का अपेक्षाकृत सफलता कम मिल रही थी इसलिए लीगल एड डिफेंस कौसिल सिस्टम की सभी जिलों में स्थापना की गयी है जिससे पक्षकारों को अच्छे अधिवक्ता मिलने के साथ ही प्रकरणों के निराकरण में भी शीघ्रता आयी है।माननीय न्यायमूर्ति द्वारा लोक अदालत की महत्ता को बताते हुए कहा गया कि लोक अदालत में प्रकरण के निपटारे का अनुपात छत्तीसगढ़ राज्य में बहुत अच्छा है। लोक अदालत में दोनों पक्षकार खुश रहत हैं तथा राजीनामा होने से प्रकरण का शीघ्र निपटारा हो जाता है, इसमें न तो किसी की हार होती है और न ही किसी की जीत होती है।आज आयोजित नेशनल लोक अदालत के अवसर पर जिला प्रशासन के सहयोग से जिला न्यायालय परिसर दुर्ग में ही ’’मतदाता सूची में नाम जुड़वाने’’ एक दिवसीय ’’जागरूकता शिविर’’ का आयोजन भी किया गया जिसमें बड़ी संख्या में ऐसे लोग जिनके नाम मतदाता सूची में सम्मिलित नहीं था उनके द्वारा अपने नाम ’’मतदाता सूची’’ में जुड़वाने का कार्य किया गया। उक्त आयोजित शिविर में बहुतायत संख्या में लोग लाभांवित हुए हैं।वर्ष के इस तृतीय नेशनल लोक अदालत में कुल 4368 न्यायालयीन प्रकरण तथा कुल 47081 प्री-लिटिगेशन प्रकरण निराकृत हुए जिनमें कुल समझौता राशि 246214315/- रूपये रहा । निराकृत हुए प्रकरण में 548 दाण्डिक प्रकरण, क्लेम के 96 प्रकरण, पारिवारिक मामलें के 149 चेक अनादरण के 416 मामलें, व्यवहार वाद के 50 मामलें , किशोर न्याय बोर्ड के 21 मामलें श्रम न्यायालय के कुल 57 मामलें तथा स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाऐं) दुर्ग के कुल 537 मामलें निराकृत हुए।उक्त नेशनल लोक अदालत में निराकृत प्रकरण के कुछ महत्वपूर्ण प्रकरण निम्नानुसार रहे:चार वर्षो से पति से पृथक रह रही बोलने में असमर्थ पत्नि द्वारा पति से आपसी राजीनामा कर पुनः दापत्य जीवन प्रारंभ किया गया:- मामला खण्डपीठ क्र. 01 के पीठासीन अधिकारी सिराजुद्दीन कुरैशी प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग का है जिसमें बोलने में असमर्थ युवती का विवाह भिलाई निवासी युवक से वर्ष 2017 में सम्पन्न हुआ तथा एक वर्ष पश्चात् से ही युवती का पति अपने पत्नि को छोटी-छोटी बात पर शारीरिक व मानसिक रूप प्रताड़ित करता था व दहेज के लिए परेशान करता था जिससे पति पत्नि के बीच विवाद हुआ व दोनों अलग रहने लगे। युवती कम पढ़ी-लिखी थी उसके पास आय का कोई साधन नहीं होने से पत्नि के द्वारा भरण-पोषण का मामला कुटुम्ब न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। उक्त मामले की सुनवाई आज नेशनल लोक अदालत में की गयी जिसमें माननीय न्यायालय द्वारा दोनों पति-पत्नि को समझाईश दी गयी। इस पर पत्नि भले बोलने में सक्षम नहीं थी किन्तु उनके द्वारा इशारों के माध्यम से वह अपने पति के साथ रहने को तैयार हो गयी तथा पति भी अपनी पत्नि को रखने सहमति जाहिर किया। इस प्रकार दोनों पुनः खुशहाल जीवन जीने राजीखुशी वापस घर गये।कुटुम्ब न्यायालय के इसी खण्डपीठ क्र. 01 में 27 वर्ष पूर्व विवाह हुए आवेदिका पत्नि के द्वारा अपने अनावेदक पति से उनके शराब पीकर क्रूरतापूर्ण व्यवहार किये जाने से तंग आकर माननीय न्यायालय के समक्ष विवाह-विच्छेद का मामला प्रस्तुत किया गया था। जिसमें आज दिनांक 09.09.2023 को आयोजित नेशनल लोक अदालत में न्यायालय द्वारा समझाईश दिये जाने से तथा आवेदिका के शर्तो पर कि अनावेदक पति पुनः शराब का सेवन नहीं करेगा तथा मारपीट व गाली गलौच नहीं करेगा वही अनावेदक द्वारा आवेदिका कोअनावश्यक गुस्सा नहीं करने की शर्तो पर आपसी राजीनामा कर मामला समाप्त कर हॅंसी-खुशी वापस घर गये।नेशनल लोक अदालत में कई मामलों में वीडियों कॉफ्रेसिंग के माध्यम से हुआ प्रकरणों में राजीनामा, खण्डपीठ क्र. 09 के पीठासीन अधिकारी सरोजनी जनार्दन खरे, न्या.मजि.प्र.श्रे. दुर्ग के खण्डपीठ में धारा 379 भा.द.सं. के एक मामले जिसमें प्रार्थी बिहार राज्य में पढ़ाई के लिए गया हुआ है, वह आज दिनांक 09.09.2023 को नेशनल लोक अदालत में उपस्थित होने में असमर्थता जाहिर की जिस पर न्यायालय के द्वारा विडियों कॉन्फेंसिग के माध्यम से प्रार्थी व आरोपीगण के मध्य आपसी राजीनामा से प्रकरण का निराकरण किया गया । जिसके कारण प्रार्थी ने आभार व्यक्त किया कि उसे बिहार राज्य में अपनी पढ़ाई छोड़कर आये बगैर विडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से राजीनामा होने से उसका बहुमूल्य समय तथा आने जाने का व्यय बच गया।इसी प्रकार खण्डपीठ क्र. 12 के पीठासीन अधिकारी सत्यानंद प्रसाद न्या.मजि.प्र.श्रे. दुर्ग के खण्डपीठ में थाना अण्डा क्षेत्रांतर्गत धारा 294, 506, 323/34 भा.द.सं. के एक मामले जिसमें प्रार्थी दिल्ली में थल सेना मुख्यालय में कार्यरत् है, इनके द्वारा भी 09 सितंबर को नेशनल लोक अदालत में उपस्थित होने में असमर्थता जाहिर करने पर न्यायालय के द्वारा विडियों कॉन्फेंसिग के माध्यम से प्रार्थी व आरोपीगण के मध्य आपसी राजीनामा से प्रकरण का निराकरण किया गया । जिस पर प्रार्थी द्वारा बिना अवकाश लिए विडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से मामलें में राजीनामा होने से आभार व्यक्त किया गया ।खण्डपीठ क्र. 07 के पीठासीन अधिकारी संतोष ठाकुर मुख्य न्या.मजि.दुर्ग के खण्डपीठ में मोटरसायकल चोरी के एक मामलें में धारा 379 भा.द.सं. के तहत शिक्षक नगर दुर्ग निवासी प्रार्थी जो आज नेशनल लोक अदालत में न्यायालय आने में असमर्थता जाहिर करने पर न्यायालय द्वारा विडियों कॉन्फेंसिग के माध्यम से प्रार्थी व आरोपीगण के मध्य आपसी राजीनामा से प्रकरण का निराकरण कर मामला समाप्त किया गया। तथा इसी खण्डपीठ में एक मामला जो धारा 294, 323, 506 भा.दं.वि. का था जिसमें प्रार्थी पंचशील नगर दुर्ग का निवासी होने से इनके द्वारा आज नेशनल लोक अदालत में न्यायालय आने में असमर्थता जाहिर किये जाने पर वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से प्रार्थी व आरोपीगण के मध्य आपसी राजीनामा से प्रकरण का निराकरण कर मामला समाप्त किया गया।खण्डपीठ क्र. 22 के पीठासीन अधिकारी कु0 पॉयल टोपनो न्या.मजि.प्र.श्रे. दुर्ग के खण्डपीठ में आवेदिका के द्वारा अपने पति के विरूद्ध धारा 12 सहपठित धारा 17, 18, 19, 20, 21, 22 घरेलु हिंसा सेमहिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत मामला प्रस्तुत किया गया था जिसमें न्यायालय द्वारा आवेदिका पत्नि एवं अनावेदक पति को समझाईश दिये जाने से उभय पक्ष न्यायालय की बात मानते हुए न्यायालय के समक्ष आपसी राजीनामा करते हुए मामला समाप्त कर व पुनः दाम्पत्य जीवन का निर्वहन राजी-खुशी से करने राजी हुए जिससे इनका टूटा हुआ घर पुनः नेशनल लोक अदालत के माध्यम से पुनः जुड़ गया ।