महिला समूह ने बनाई गोबर से राखियां,विधायक,महापौर व आयुक्त ने सराहना की,मुंबई,चित्तौरगढ़ के अलावा अन्य नगरों में बिकेगी दुर्ग गौठान में बनी गोबर की राखी,आनलाइन डिमांड शुरू
दुर्ग/ 19 नगर पालिक निगम सीमा क्षेत्र अंतर्गत पुलगांव गोकुल नगर स्थित गौठान मे कल्याणम महिला स्व सहायता समूह गौठान राधे गौधाम में गोबर से राखी बनाने का कार्य किया जा रहा है,विधायक अरुण वोरा,महापौर धीरज बाकलीवाल एवं आयुक्त लोकेश चन्द्राकर सभापति राजेश यादव ने समूह की महिलाओं द्वारा बनाये गए उत्पादों की तारीफ की और उन्हें शुभकामनाएं दी।समूह की महिलाओ ने बताया कि इस बार मांग अधिक है।मुम्बई और चितौरगढ़ के अलावा अन्य नगरों के व्यापारियों की ओर से अबतक 18000 हज़ार से अधिक की राखियों के ऑर्डर मिल चुके हैं।रक्षाबंधन पर भाइयों की कलाइयों पर गोबर से बनी राखी (एक प्रकार की गोबर ) से बनीं राखियां सजेंगी।रंग-बिरंगी और विभिन्न आकार की राखियों के आर्डर मिल रहे है।दुर्ग के पुलगांव स्थित गौठान मे कल्याणम महिला स्व सहायता समूह पुलगांव गौठान राधे गौधाम मे बन रही है राखी,समूह द्वारा गोबर से बनी आकर्षक राखी बनाया जा रहा है,पुलगांव स्थित शहरी गौठान अभी 450 गौवंशो के साथ संचालित हो रही है एवं महिला समूह द्वारा वर्मी कम्पोस्ट,मत्स्य पालन,मुर्गी पालन एवं गोबर से निर्मित उत्पादों पर कार्य किया जा रहा है एवं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा अनुरूप एक आत्मनिर्भर गौठान बन चुका है।गौठान मे बनी राखी का ऑर्डर अभी चित्तौरगढ़ एवं मुंबई से आ चुका है एवंअभी अन्य जगहों से भी ऑर्डर आने वाले है।गोबर से बनी राखी मे समूह द्वारा यह संदेश भी दिया जा रहा है की रक्षा सूत्र के तहत गौवंशो की रक्षा का संकल्प हर आम जनता को लेना चाहिए एवं इसरक्षाबंधन प्रत्येक बहन अपने भाइयो को हमारे गौठान मे निर्मित राखी पहना कर अप्रत्यक्ष गौसेवा मे अपनी भागीदारी दें।
लोग गायों का सम्मान करते हैं,इसलिए गाय के गोबर और औषधीय बीजों से राखी बनाई जा रही है. गोबर को धूप में अच्छी तरह सुखाया जाता है, जिससे गोबर की गंध 95 प्रतिशत तक दूर हो जाती है. इसके बाद गाय के घी, हल्दी, सफेद मिट्टी और चंदन के साथ सूखे गोबर का बारीक चूर्ण मिलाया जाता है जिसे अन्य जैविक उत्पादों के साथ आटे की तरह गूंथकर रंगीन राखियां बनाई जाती हैं. पिछली सतह पर, जिसे कलाई पर बांधने के लिए प्रयोग किया जाता है.पूरी प्रक्रिया में किसी भी रासायनिक वस्तु का उपयोग नहीं किया जाता है,समूह के मुताबिक,इस साल गाय के गोबर से बनी राखियां न सिर्फ भारत में बल्कि देश विदेशों में भी आकर्षण का केंद्र रहेंगी. इन राखियों को सनराइज ऑर्गेनिक में देसी गाय के गोबर से बनाया गया है राधेगौधाम परिसर का पार्क, जहां से हमारी महिला इकाई ने रक्षा बंधन पर गाय के गोबर और बीजों से बनी हर्बल राखियों का निर्यात करने का फैसला किया है. ये राखियां प्रवासी भारतीयों के लिए भाई और बहन केपवित्र रिश्ते का प्रतीक होंगी.गोबर की राखियों से होने वाली आय का क्या होगा उन्होंने बताया कि “गोबर की राखियों से होनेवाली आय का उपयोग गाय की रक्षा के सार्थक प्रयासों में किया जाएगा साथ ही, समूह की महिला स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं अपनीआजीविका कमाकर आत्मनिर्भर बन जाएंगी इसकेअलावा,लोग चीनी राखियों के साथ-साथ पर्यावरण को प्रदूषित करने वाली राखियों का उपयोग करने के लिए प्रेरित होंगे. इसके अलावा, कलाई पर गाय के गोबर से बनी राखी बांधने से विकिरण से भीसुरक्षा मिलेगी.राखी में तुलसी,अश्वगंधा, कालमेघ के बीज भी समूह ने कहा कि ज्यादातर लोग राखी को थोड़ी देर बाद उतार देते हैं और रक्षा बंधन के बाद फेंक देते हैं. भाई-बहन के प्यार की प्रतीक राखी कुछ दिनों बाद कूड़े के ढेर में पहुंच जाती है। इसे देखते हुए राखी में तुलसी, अश्वगंधा, कालमेघ समेत अन्य बीज डाले जा रहे हैं, ताकि राखी को फेंकने की बजाय लोग गमले में या घर के आंगन में रख सकें, इस पहल से रोपण में मदद मिलेगी।गोमय रखियो कीउपयोगिता लोगो तक पहुंचाने के लिए समूह की अध्यक्ष गायत्री डोटे व्यवस्थापक देवशीष घोष नवीन टेक्लोलोजी के द्वारा सोसल मीडिया के द्वारा मुख्यमंत्री के गोधन न्याय योजना का प्रचार कर रहे।