आदमी वासना से थका है, जागा नहीं क्योंकि जिसके चित्त में संसार है, उसकी प्रार्थना में संसार ही होगा

 आदमी वासना से थका है, जागा नहीं क्योंकि जिसके चित्त में संसार है, उसकी प्रार्थना में संसार ही होगा

ओशो– मन मांगता रहता है संसार को; वासनाएं दौड़ती रहती हैं वस्तुओं की तरफ; शरीर आतुर होता है शरीरों के लिए; आकांक्षाएं विक्षिप्त रहती हैं पूर्ति के लिए–ऐसे एक यज्ञ तो जीवन में चलता ही रहता है। यह यज्ञ चिता जैसा है। आग तो जलती है, लपटें तो वही होती हैं। जो हवन की वेदी से उठती हैं लपटें, वे वे ही होती हैं, जो लपटें चिता की अग्नि में उठती हैं। लपटों में भेद नहीं होता। लेकिन चिता और हवन में तो जमीन-आसमान का भेद है।हमारा जीवन भी आग की लपट है। लेकिन वासनाएं जलती हैं उसमें; उन लपटों में आकांक्षाएं, इच्छाएं जलती हैं। गीला ईंधन जलता है इच्छा का, और सब धुआं-धुआं हो जाता है। ऐसे आग में जलते हुए जीवन को भी यज्ञ कहा जा सकता है, लेकिन अज्ञान का, अज्ञान की लपटों में जलता हुआ।इस अज्ञान की लपटों में जलते हुए, कभी-कभी मन थकता भी है, बेचैन भी होता है, निराश भी, हताश भी। हताशा में, बेचैनी में कभी-कभी प्रभु की तरफ भी मुड़ता है। दौड़ते-दौड़ते इच्छाओं के साथ, कभी-कभी प्रार्थना करने का मन भी हो आता है। दौड़ते-दौड़ते वासनाओं के साथ, कभी-कभी प्रभु की सन्निधि में आंख बंद कर ध्यान में डूब जाने की कामना भी जन्म लेती है। बाजार की भीड़-भाड़ से हटकर कभी मंदिर के एकांत, मस्जिद के एकांत कोने में भी डूब जाने का खयाल उठता है।लेकिन वासनाओं से थका हुआ आदमी मंदिर में बैठकर पुनः वासनाओं की मांग शुरू कर देता है। बाजार से थका आदमी मंदिर में बैठकर पुनः बाजार का विचार शुरू कर देता है। क्योंकि बाजार से वह थका है, जागा नहीं; वासना से थका है, जागा नहीं। इच्छाओं से मुक्त नहीं हुआ, रिक्त नहीं हुआ; केवल इच्छाओं से विश्राम के लिए मंदिर चला आया है। उस विश्राम में फिर इच्छाएं ताजी हो जाती हैं।प्रार्थना में जुड़े हुए हाथ भी संसार की ही मांग करते हैं! यज्ञ की वेदी के आस-पास घूमता हुआ साधक भी, याचक भी पत्नी मांगता है, पुत्र मांगता है, गौएं मांगता है, धन मांगता है; यश, राज्य, साम्राज्य मांगता है!असल में जिसके चित्त में संसार है, उसकी प्रार्थना में संसार ही होगा। जिसके चित्त में वासनाओं का जाल है, उसके प्रार्थना के स्वर भी उन्हीं वासनाओं के धुएं को पकड़कर कुरूप हो जाते हैं।

☘️☘️ओशो  आश्रम उम्दा रोड भिलाई-३ ☘️☘️
गीता-दर्शन – भाग दो