मैं तुम्हें एक जीवन के गहरे कानूनों में से एक बताता हूं, परिणाम पैदा करो और देखो, कारण घटेगा “ओशो”
ओशो- मैं तुम्हें एक जीवन के गहरे कानूनों में से एक बताता हूं। तुमने इसके बारे में बिल्कुल नहीं सोचा होगा। तुमने सुना होगा कि – पूरा विज्ञान इस पर निर्भर करता है–– कि कारण और परिणाम आधारभूत नियम है। तुम कारण निर्मित करो और परिणाम अनुसरण करता है। जीवन एक कारण-कार्य कड़ी है। तुमने मिट्टी में बीज डाल दिया है और वह अंकुरित होगा। अगर कारण है, तो वृक्ष पीछे चले आएंगे। आग है: तुम उसमें अपना हाथ डालोगे तो जल जाएगा। कारण है तो परिणाम अनुसरण करेंगे। तुम ज़हर लो और तुम मर जाओगे। तुम कारण की व्यवस्था करो और तब परिणाम घटित होता है।यह एक सबसे बुनियादी वैज्ञानिक कानूनों में से एक है, कि कारण और परिणाम जीवन के सभी प्रक्रियाओं की अंतरतम कड़ी है। धर्म एक और कानून जानता है जो इससे अधिक गहरा है। लेकिन वह दूसरा कानून जो इससे गहरा है, वह बेतुका लग सकता है अगर तुम उसे नहीं जानते और इसका प्रयोग नहीं करते। धर्म कहते हैं: परिणाम पैदा करो और कारण घटेगा। यह वैज्ञानिक दृष्टि से बिल्कुल बेतुका है। विज्ञान कहता है: यदि कारण है, परिणाम घटेगा। धर्म कहता है, इससे उल्टा भी सच है: परिणाम पैदा करो और देखो, कारण घटेगा।
मान लो एक ऐसी स्थिति बनी है जिसमें तुम खुशी से भर गए हो। एक दोस्त आ गया है, या प्रेमिका का संदेसा आया है। एक स्थिति कारण बनी है – तुम खुश हो। खुशी परिणाम है। प्रेमी कारण बना है। धर्म कहता है: खुश रहो तो प्रेमी आता है। परिणाम पैदा करो और कारण पीछे चला आता है।
यह मेरा अपना अनुभव है कि दूसरा कानून पहले के बनिस्बत अधिक बुनियादी है। मैं यह करता रहा हूं और यह कारगर हो रहा है। बस खुश रहो: प्रिय आता है। बस खुश होओ: दोस्त इकट्ठे होते हैं। बस खुश होओ: सब कुछ घटता है।
जीसस वही बात अलग शब्दों में कहते हैं: पहले तुम प्रभु के राज्य को खोजो, फिर सब कुछ पीछे चला आएगा। लेकिन प्रभु का राज्य अंतिम है , परिणाम है। तुम पहले अंत की खोज करो ––अंत का मतलब है परिणाम, फल – और कारण पीछे होंगे। यह वैसा ही है जैसा कि होना चाहिए। यह ऐसा नहीं है कि तुम सिर्फ मिट्टी में एक बीज डालो और पेड़ उगेगा; एक पेड़ होने दो और करोड़ों बीज पैदा होते हैं। अगर कारण के पीछे परिणाम आता है, तो परिणाम के पीछे फिर से कारण आता है। यह श्रृंखला है! तब यह एक चक्र बन जाता है। कहीं से शुरू करो, कारण पैदा करो या परिणाम पैदा करो।
मैं तुम्हें बता दूं, परिणाम निर्मित करना आसान है क्योंकि परिणाम पूरी तरह तुम पर निर्भर करता है, कारण इतना तुम पर निर्भर नहीं हो सकता। अगर मैं कहूं कि मैं तभी खुश हो सकता हूं जब एक खास दोस्त आया हो, तो यह एक खास दोस्त पर निर्भर करता है, वह वहां हो या नहीं। अगर मैं कहूं कि मैं तब तक खुश नहीं हो सकता जब तक मैं इतना धन प्राप्त नहीं करता, तो यह पूरी दुनिया और आर्थिक स्थितियों और सब कुछ पर निर्भर करता है। यह नहीं भी हो सकता है, और फिर मैं खुश नहीं हो सकता।
कारण मेरे से परे है। परिणाम मेरे भीतर है। कारण वातावरण में है, स्थितियों में, कारण बाहर है। मैं हूं परिणाम! अगर मैं परिणाम बना सकता हूं, कारण अनुसरण करेंगे।
खुशी को चुनो – इसका मतलब है कि तुम परिणाम को चुन रहे हो – और फिर देखो क्या होता है। परमानंद चुनो और देखो क्या होता है। आनंदित होना चुनो और देखो क्या होता है। तुम्हारा पूरा जीवन तुरंत बदल सकता है और तुम चारों ओर चमत्कार होते देखोगे क्योंकि अब तुमने परिणाम पैदा किया है और कारणों को पीछे आना होगा।
यह जादुई दिखेगा, तुम इसे ‘जादू का कानून’ भी कह सकते हो। पहला विज्ञान का कानून है और दूसरा जादू का कानून। धर्म जादू है, और तुम जादूगर हो सकते हो। यही मैं तुम्हें सिखाता हूं: जादूगर होना, जादू का रहस्य जानना।
इसकी कोशिश करो! तुम पूरी ज़िंदगी दूसरा कानून आज़माते रहे हो, न केवल इस ज़िंदगी में लेकिन कई दूसरे जन्मों में भी। अब मेरी बात सुनो! अब यह जादू का फार्मूला इस्तेमाल करो, यह मंत्र जो मैं तुम्हें दे रहा हूं। परिणाम पैदा करो और देखो क्या होता है; कारण तुरंत तुम्हारे चारों ओर घिर आते हैं, वे अनुसरण करते हैं। कारणों के लिए इंतजार मत करो, तुमने लंबे समय तक इंतज़ार किया है। खुशी को चुनो और तुम खुश होओगे ।
समस्या क्या है? तुम चुनाव क्यों नहीं कर सकते? तुम इस कानून पर अमल क्यों नहीं कर सकते? क्योंकि तुम्हारा मन, समूचा मन वैज्ञानिक सोच से प्रशिक्षित किया गया है जो कहता है कि अगर तुम खुश नहीं हो और तुम खुश होने की कोशिश करते हो तो वह खुशी कृत्रिम होगी। अगर तुम खुश नहीं हो और तुम खुश होने की कोशिश करते हो तो वह सिर्फ अभिनय होगा, वह असली नहीं होगा। यह है वैज्ञानिक सोच, कि वह असली नहीं होगा, तुम सिर्फ अभिनय करोगे।लेकिन तुम नहीं जानते: जीवन ऊर्जा के काम करने के अपने ही तरीके हैं। यदि तुम पूरी तरह से कार्य कर सकते हो तो वह वास्तविक हो जाएगा। बात सिर्फ इतनी है कि अभिनेता मौजूद नहीं होना चाहिए। उसमें पूरी तरह उतर जाओ तो कोई अंतर नहीं होगा। यदि तुम आधे मन से अभिनय कर रहे हो तो वह कृत्रिम रहेगा।
अगर मैं तुमसे कहूं नाचो, गाओ और आनंदित होओ, और तुम आधे मन से प्रयास करते हो, सिर्फ देखने के लिए कि क्या होता है, लेकिन तुम पीछे खड़े रहते हो, और तुम सोचे चले जाते हो कि यह तो कृत्रिम है; कि मैं कोशिश कर रहा हूं, लेकिन यह नहीं आ रहा है, यह सहज नहीं है –– तो वह अभिनय ही रहेगा, समय की बर्बादी होगी सो अलग।
अगर तुम कोशिश कर रहे हो , तो पूरे दिल से करो। पीछे बने मत रहो, अभिनय में उतरो, अभिनय ही हो जाओ ––अभिनेता को अभिनय में विलीन करो और फिर देखो क्या होता है। यह असली हो जाएगा और फिर तुम्हें लगेगा यह सहज है, यह तुमने नहीं किया है, तुम जान जाओगे कि ऐसा हुआ है। लेकिन जब तक तुम समग्र नहीं होगे, यह नहीं हो सकता। परिणाम पैदा करो, इसमें पूरी तरह से संलग्न होओ, देखो और परिणाम का निरीक्षण करो।
मैं तुम्हें राज्यों के बिना राजा बना सकता हूं , तुम सिर्फ राजाओं की तरह अभिनय करो, और इतनी समग्रता से अभिनय करो कि तुम्हारे सामने एक असली राजा भी ऐसे दिखाई देगा जैसे वह सिर्फ अभिनय कर रहा है। और जब संपूर्ण ऊर्जा उसमें उतरती है, यह वास्तविकता बन जाता है! ऊर्जा हर चीज को वास्तविक बनाती है। अगर तुम राज्यों के लिए प्रतीक्षा करोगे तो वे कभी नहीं आते हैं। एक सिकंदर या नेपोलियन के लिए भी, जिनके बड़े साम्राज्य थे, वे कभी नहीं आए। वे दुखी रहे क्योंकि वे जीवन के दूसरे, अधिक बुनियादी और मौलिक कानून का एहसास नहीं कर पाए। सिकंदर एक बड़ा राज्य बनाने की, एक बड़ा राजा बनने कोशिश कर रहा था। उसका पूरा जीवन राज्य बनाने में व्यर्थ हुआ, और फिर राजा होने के लिए कोई समय नहीं बचा। राज्य पूरा हो इससे पहले वह मर गया।
यह कइयों के साथ हुआ है। राज्य पूरा नहीं हो सका। दुनिया अनंत है, तुम्हारा राज्य आंशिक ही रहनेवाला है। एक आंशिक राज्य के साथ तुम एक समग्र राजा कैसे हो सकते हो? तुम्हारा राज्य सीमित होना स्वाभाविक है और एक सीमित राज्य के साथ तुम सम्राट कैसे हो सकते हो ? यह असंभव है। लेकिन तुम सम्राट हो सकते हो। सिर्फ परिणाम पैदा करो।
स्वामी राम, इस सदी के मनीषियों में से एक, अमेरिका गए। वे खुद को बादशाह राम, सम्राट राम कहते थे। और वे एक फकीर थे! किसी ने उनसे कहा: तुम सिर्फ एक भिखारी हो, लेकिन तुम खुद को सम्राट कहते हो। तो राम ने कहा: मेरी चीज़ों को मत देखो, मुझे देखो। और वे सही थे , क्योंकि अगर तुम चीजों को देखो तो सब लोग भिखारी हैं यहां तक कि एक सम्राट भी। वह एक बड़ा भिखारी है, बस इतना ही हो सकता है। जब राम ने कहा: मुझे देखो! उस पल में, राम सम्राट थे। यदि तुम देखते तो सम्राट को पाते।
परिणाम पैदा करो, सम्राट हो जाओ, जादूगर हो जाओ; और इसी पल से, क्योंकि इंतज़ार करने की कोई जरूरत नहीं है। इंतजार तब करना होता है जब साम्राज्य पहले आने की जरूरत होती है। अगर कारण पहले पैदा करना हो तो इंतज़ार और इंतज़ार और इंतज़ार करो और स्थगित किए जाओ। परिणाम पैदा करने के लिए इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं है। तुम इसी क्षण सम्राट हो सकते हो।
मैं, जब कहता हूं, हो जाओ ! बस सम्राट हो जाओ और देखो: राज्य चला आएगा। मैं इसे अपने अनुभव के माध्यम से जानता हूं। मैं एक सिद्धांत या थिओरी के बारे में बात नहीं कर रहा हूं। खुश रहो, और तुम खुशी के उस शिखर में देखोगे, पूरी दुनिया तुम्हारे साथ खुश है।एक पुरानी कहावत है: हंसो और दुनिया तुम्हारे साथ हंसती है, रोओ, और तुम अकेले रोते हो। यहां तक कि पेड़, पत्थर, रेत, बादल … अगर तुम परिणाम पैदा कर सकते हो और खुश हो सकते हो, वे सब तुम्हारे साथ नृत्य करेंगे, फिर सारा अस्तित्व एक नृत्य, एक उत्सव बन जाता है। लेकिन यह तुम पर निर्भर करता है, अगर तुम परिणाम पैदा सकते हो। और मैं तुमसे कहता हूं, तुम इसे पैदा कर सकते हो। यह सबसे आसान बात है। यह बहुत मुश्किल लगता है क्योंकि तुमने अभी तक यह कोशिश नहीं की है। कोशिश करके देखो।
ओशो आश्रम उम्दा रोड भिलाई-३