ओशो- मैं मानता हूं बुद्ध ने जो किया वह महान है और जो जीसस ने किया वह साधारण है, उसका कोई मूल्य नहीं है। मेरी इन बातों ने पश्चिम को घबड़ा दिया।
घबड़ा देने का कारण यह था कि पश्चिम आदी हो गया है एक बात का कि पूरब गरीब है, भेजो ईसाई मिशनरी और गरीबों को ईसाई बना लो। और करोड़ों लोग ईसाई बन रहे हैं। लेकिन जो लोग ईसाई बन रहे हैं पूरब में वे सब गरीब हैं, भिखारी हैं, अनाथ हैं, आदिवासी हैं, भूखे हैं, नंगे हैं।उन्हें धर्म से कोई संबंध नहीं है। उन्हें स्कूल चाहिए, अस्पताल चाहिए, दवाइयां चाहिए, उनके बच्चों के लिए शिक्षा चाहिए, कपड़े चाहिए, भोजन चाहिए। ईसाइयत कपड़े और रोटी से उनका धर्म खरीद रही है।
मुझे दुश्मन की तरह देखने का कारण यह था कि मैंने कोई पश्चिम के गरीब को या अनाथ को या भिखमंगे को और वहां कोई भिखमंगों की कमी नहीं है, सिर्फ अमरीका में तीस मिलियन भिखारी हैं! जो दुनिया के दूसरे भिखारी को ईसाई बनाने में लगे हैं वे अपने भिखारियों के लिए कुछ भी नहीं कर रहे हैं क्योंकि वे ईसाई हैं ही।
मैंने जिन लोगों को प्रभावित किया उनमें प्रोफेसर्स थे, लेखक थे, कवि थे, चित्रकार थे, मूर्तिकार थे, वैज्ञानिक थे, आर्किटेक्ट थे, प्रतिभा—संपन्न लोग थे। और यह बात घबराहट की थी कि अगर देश के प्रतिभा—संपन्न लोग मुझसे प्रभावित हो रहे हैं तो यह बड़े खतरे की सूचना है।
क्योंकि यही लोग हैं जो रास्ता तय करते हैं दूसरे लोगों के लिए। इनको देखकर दूसरे लोग उन रास्तों पर चलते हैं। इनके पदचिन्ह दूसरों को भी इन्हीं रास्तों पर ले जाएंगे।
और मैंने किसी को भी नहीं कहा कि तुम अपना धर्म छोड़ दो। मैंने किसी को भी नहीं कहा कि तुम कोई नया धर्म स्वीकार कर लो।
मैंने तो सिर्फ इतना ही कहा कि तुम समझने की कोशिश करो क्या धर्म है और क्या अधर्म है। फिर तुम्हारी मर्जी। तुम बुद्धिमान हो और विचारशील हो। मैंने उन देशों में पहली बार यह जिज्ञासा पैदा की कि जिस पूरब के लोगों को हम ईसाई बनाने के लिए हजारों मिशनरियों को भेज रहे हैं उस पूरब ने आकाश की बहुत ऊंचाइयां छुई हैं।
हम अभी जमीन पर घसीटने के योग्य नहीं हैं। उन ऊंचाइयों के सामने उनकी बाइबिल, उनके प्रोफेट, उनके मसीहा, बहुत बचकाने, बहुत अदना, अप्रौढ़ अपरिपक्व सिद्ध होते हैं। इससे एक घबराहट और एक बेचैनी पैदा हो गई।
मेरे एक भी बात का जवाब पश्चिम में नहीं है। मैं तैयार था प्रेसिडेंट रोनाल्ड रीगन से व्हाइट हाऊस में डिस्कस करने को, खुले मंच पर, क्योंकि वह फंडामैंटलिस्ट ईसाई हैं। वह मानते हैं कि ईसाई धर्म ही एकमात्र धर्म है, बाकी सब धर्म थोथे हैं।
पोप को मैंने कई बार निमंत्रण दिया कि मैं वेटिकन आने को तैयार हूं, तुम्हारे लोगों के बीच तुम्हारे धर्म के संबंध में चर्चा करना चाहता हूं और तुम्हें चेतावनी देना चाहता हूं कि जिसे तुम धर्म कह रहे हो वह धर्म नहीं है और जो धर्म है तुम्हें उसका पता भी नहीं है।
ओशो आश्रम उम्दा रोड भिलाई-३ कोपले फिर फूट आईं– (प्रवचन–01)