ओशो– विद्रोही वैव्यक्तिक होता है। महावीर ने कोई दल खड़ा नहीं कर लिया, विद्रोह किया—निजता ही विद्रोह थी। फिर जो लोग उनके पीछे चले, वे भी कोई दल नहीं खड़ा कर लिए। इस बात को भी खयाल मे रखना। बहुत लोग उनके पीछे चले, लेकिन जो भी उनके पीछे चला वह व्यक्तिगत रूप से विद्रोह करके पीछे चला। महावीर से उनके शिष्यो का संबंध निजी है। प्रत्येक शिष्य का निजी है।ठीक वर्तमान में जीना धर्म है। और धर्म बड़ी से बड़ी क्रांति है। क्योंकि धर्म के मूल—सूत्र क्या है? जागो। यहा सोए हुए लोगों की दुनिया है, सोए हुए लोगों ने उनकी नींद सुव्यवस्था से चले ऐसे नियम बना रखे हैं, जो आदमी भी जागेगा, सोए हुए लोग उस से नाराज होंगे, वे उसे सूली देंगे;क्योंकि जागा आदमी उनकी नींद में खलल डालने लगेगा। तुमने देखा नहीं, तुम अगर रोज सुबह आठ बजे तक सोते हो और तुम्हारे घर में कोई व्यक्ति तीन बजे से उठ आता हो, तो उसकी मौजूदगी से खलल पड़ने लगता है। अगर वह प्रार्थना करे, पूजा करे, व्यायाम करे, आसन करे, योग करे, उसकी मौजूदगी से, उस के जागने से—एक दीया जलाए, स्नान करे बाकी लोगों की नींद में बाधा पड़ने लगी;बाकी लोगो को कठिनाई होने लगी।
यह छोटी सी जीवन की दुनिया में। लेकिन विराट में जब कोई जागता है, तो उसकी मौजूदगी दूर—दूर तक खलल पहुंचा देती है। न मालूम कितने लोगों की नींद टूटने लगती है, न मालूम कितने लोगों के सपने थर्राने लगते है—नहीं तो तुम जीसस को सूली क्यों देते, सुकरात को जहर क्यों पिलाते? तुम्हें पिलाना पड़ा। तुम्हें अपनी नींद की रक्षा करनी थी। ये लोग इतने जोर से चिल्लाने लगे, ये इतना शोरगुल मचाने लगे, ये तुम्हें आकर हिलाने लगे, ये तुम्हें उखाड़ने लगे तुम्हारी नींद से, ये चिल्लाने लगे कि तुम जो देख रहे हो वह सपना है, जागो, आंख खोलो! और तुम मधुर सपने देख रहे थे, सोने के महल बना रहे थे, तुम बड़ी कामनाओं में लिप्त थे, तुम बड़े मीठे सपनों में जा रहे थे और कोई आकर चिल्लाने लगा और कोई आकर जगाने लगा, यह घड़ी न थी कि तुम उसकी बात सुनते, तुम नाराज हुए, तुमने बदला लिया।
पहली बात, धर्म कहता है —जागो। जागरण धर्म का मूल सूत्र है। सोए हुए लोगो की भीड़ और जागा हुआ आदमी, दोनों के बीच सब तालमेल टूट जाते हैं। सोया हुआ आदमी एक तरह से सोचता है, उसके मूल्य अलग, उसकी तर्क—व्यवस्था
अलग, उसकी विचार—सरणी अलग, उसके लक्ष्य अलग, उसका सारा जीवन—ढांचा अलग, उसकी शैली अलग। और यह जागा हुआ आदमी किसी और ही दुनिया की खबर लाता है। उस दुनिया में धन का मूल्य नहीं है। सोए हुए आदमी की दुनिया में धन का ही मूल्य है। जागा हुआ आदमी कुछ ऐसी खबर लाता है जंहा काम का कोई मूल्य नहीं है। सोए हुए आदमी की दुनिया में कामवासना के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है। यह जागा हुआ आदमी एक ऐसी खबर लाता है जंहा अहंकार होता ही नहीं, और सोए हुए आदमी की दुनिया में अहंकार ही केंद्र है, जिस पर उसका चाक चलता है। इन दोनों मे मुठभेड़ हो जाती है। धर्म बगावत है। धर्म बड़ी से बड़ी बगावत है।
आमूल बगावत है। धर्म ऐसा शाश्वत विद्रोह है, जो न मरता है, न मर सकता है।